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देश-विदेश में महकने के लिए तैयार दून की लीची, कृषि विज्ञान केंद्र तैयार कर रहा उन्नत किस्म की पौध

Rose scented variety of litchi देहरादून के कृषि विज्ञान केंद्र में लीची की रोज सेंटेड किस्म की पौध तैयार की जा रही है. केंद्र में इस किस्म की 5 हजार पौध तैयार की जा रही है.

vikashnagar
विकासनगर
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 18, 2024, 7:07 PM IST

Updated : Feb 18, 2024, 7:17 PM IST

कृषि विज्ञान केंद्र तैयार कर रहा लीची की उन्नत किस्म की पौध.

विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार शर्मा ने देहरादून में अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म की लीची की पौध तैयार की है. इस नई पौध को शीघ्र ही किसानों के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी.

देहरादून की लीची की महक देशभर में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी महकती है. विदेशों में भी देहरादून की लीची के मिठास का जादू चलता है. आलम ये है कि देहरादून की लीची की डीमांड किसानों के पास हर सीजन में एडवांस में रहती है. यही कारण है कि देहरादून को लीची की खास पैदावार और इसके स्वाद के लिए भी जाना जाता है. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी देहरादून लीची के लिए उन्नत किस्म के लिए नए-नए शौध करता रहता है.

इस समय कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक बागवानी से जुड़े किसानों के लिए देहरादून में पैदा होने वाली लीची की लगभग 5 हजार से अधिक पौध तैयार कर रहे हैं, जो शीघ्र ही बागवानी में रुचि रखने वाले किसानों के लिए उपलब्ध होगी. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार शर्मा का कहना है कि करीब 5 हजार लीची की पौध तैयार की गई है. लीची का पौध बीज से नहीं, बल्कि लीची की गुटी से तैयार किए जाते हैं. लीची का एक पौधा 7 से 8 महीने में तैयार होता है. जिसे किसानों को 125 रुपए में उपलब्ध करवाया जाता है.

खासकर देहरादून की रोज सेंटेड लीची के पौध की ज्यादातर डीमांड रहती है. लीची का पौधा बहुवर्षीय पौधा है. यह लगभग 70 वर्षों तक जीवित रहता है. लीची के नए बगीचे को तैयार करने के लिए इसकी जड़ों में माइक्रो रायजा एक बीजाणु होता है. इसको लीची के पौधों के जड़ों में होना अति आवश्यक है. लीची 7 से 8 साल में फल देना शुरू करता है. औसतन एक पेड़ से एक क्विंटल से 2 क्विंटल तक फल प्राप्त कर सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः खो गई देहरादून की लीची की महक और मिठास, कंक्रीट के जंगलों का बगीचों पर हुआ वास

कृषि विज्ञान केंद्र तैयार कर रहा लीची की उन्नत किस्म की पौध.

विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार शर्मा ने देहरादून में अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म की लीची की पौध तैयार की है. इस नई पौध को शीघ्र ही किसानों के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी.

देहरादून की लीची की महक देशभर में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी महकती है. विदेशों में भी देहरादून की लीची के मिठास का जादू चलता है. आलम ये है कि देहरादून की लीची की डीमांड किसानों के पास हर सीजन में एडवांस में रहती है. यही कारण है कि देहरादून को लीची की खास पैदावार और इसके स्वाद के लिए भी जाना जाता है. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी देहरादून लीची के लिए उन्नत किस्म के लिए नए-नए शौध करता रहता है.

इस समय कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक बागवानी से जुड़े किसानों के लिए देहरादून में पैदा होने वाली लीची की लगभग 5 हजार से अधिक पौध तैयार कर रहे हैं, जो शीघ्र ही बागवानी में रुचि रखने वाले किसानों के लिए उपलब्ध होगी. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार शर्मा का कहना है कि करीब 5 हजार लीची की पौध तैयार की गई है. लीची का पौध बीज से नहीं, बल्कि लीची की गुटी से तैयार किए जाते हैं. लीची का एक पौधा 7 से 8 महीने में तैयार होता है. जिसे किसानों को 125 रुपए में उपलब्ध करवाया जाता है.

खासकर देहरादून की रोज सेंटेड लीची के पौध की ज्यादातर डीमांड रहती है. लीची का पौधा बहुवर्षीय पौधा है. यह लगभग 70 वर्षों तक जीवित रहता है. लीची के नए बगीचे को तैयार करने के लिए इसकी जड़ों में माइक्रो रायजा एक बीजाणु होता है. इसको लीची के पौधों के जड़ों में होना अति आवश्यक है. लीची 7 से 8 साल में फल देना शुरू करता है. औसतन एक पेड़ से एक क्विंटल से 2 क्विंटल तक फल प्राप्त कर सकते हैं.

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Last Updated : Feb 18, 2024, 7:17 PM IST
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