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नक्सलियों के बाद अब पेपर लीक माफिया ले रहे इस ऐप की मदद, ये है वजह - RO ARO PAPER LEAK SCANDAL

बीते दिनों यूपी में हुए आरओ एआरओ परीक्षा पेपर लीक मामले में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. पेपर लीक करने की पूरी प्लानिंग एक एप के जरिए रची गई थी. इस एप में बीना मोबाइल नंबर के ही गोपनीय बातें की जाती थी.आइए जानते है वो कौन सी एप्लीकेशन है और वह किस तरह से काम करती है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 26, 2024, 11:53 AM IST

लखनऊ: आरओ एआरओ और पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने के लिए आरोपियों ने उस एप्लीकेशन का इस्तमाल किया, जिसे नक्सली और ड्रग हथियारों के सौदागर सुरक्षा एजेंसियों से अपनी बातों को छुपाने के लिए करते थे. उस एप्लीकेशन के जरिए होने वाले हर बात गोपनीय रहती है, सुरक्षा एजेंसी न ही उसे ट्रेस कर पाती है और न ही उसका कोई बैकप निकलवा पाती है. हालांकि, पेपर लीक करने वालों को यह शातिर एप्लीकेशन भी बचा नहीं सकी है. पुलिस के शिकंजे में एक एक कर सभी फंसते चले गए. ऐसे में आइए जानते है वो कौन सी एप्लीकेशन है और वह किस तरह से काम करती है. इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसी इसको लेकर क्या कर रही है?

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने दी जानकारी

नक्सलियों की पसंदीदा एप है जंगी: छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सली क्षेत्रों में वहां नक्सली, हथियारों और ड्रग्स की तस्करी करने वाले आपस में हर तरह का संपर्क करते थे. लेकिन, सुरक्षा एजेंसी को इसकी भनक नहीं लग पा रही है. जांच इस बात की शुरू की गई, कि आखिर वो ऐसा कौन सा कम्युनिकेशन टूल यूज कर रहे है, जिसकी मदद से वो एक दूसरे से संपर्क में है. सामने आया कि इसके पीछे चाइनीज अपलिकेशन जंगी है. यह एक ऐसा एप है, जो बिना सर्वर के संचालित होता है. इसे व्हाट्सएप और टेलीग्राम की ही तरह इस्तमाल में लाया जाता है. इतना ही नहीं, इसके द्वारा ऑडियो वीडियो कॉल की जा सकती है. फोटो और वीडियो भेजा जा सकता है, लेकिन यह सिर्फ उन्ही दो लोगों के बीच गोपनीय रहता है जो इसका इस्तमाल करते हैं. इसका कोई भी बैकप नहीं होता है. इसके पीछे का कारण इस ऐप का सर्वर लेस होना है. ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों का इस जंगी एप के चलते नक्सलियों के बीच होने वाली बातचीत की जानकारी नहीं पा रही थी.

इसे भी पढ़े-RO-ARO पेपर लीक कांड: मास्टरमाइंड डॉ. शरद पटेल स्कूल प्रबंधकों के साथ चढ़ा STF के हत्थे - RO ARO PAPER LEAK SCANDAL

पेपर लीक कांड की साजिश जंगी में रची गई: जंगी एप एक बार फिर इसलिए चर्चा में आई है, क्योंकि बीते दिनों यूपी में हुए आरओ एआरओ परीक्षा पेपर लीक मामले में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. पेपर लीक करने की पूरी प्लानिंग इसी जंगी एप के जरिए रची गई. पेपर लीक कांड के मास्टरमिंग शरद पटेल, राजीव नयन मिश्रा और रवि अत्री ने रणनीति बनाई थी, कि पेपर लीक होने से लेकर उसका परिणाम आने तक वो मोबाइल, व्हाट्सएप और टेलीग्राम का इस्तमाल नही करेंगे. इससे वो पुलिस की रडार में आ सकते है. किसी भी कम्युनिकेशन के लिए वो जंगी एप्लीकेशन का इस्तमाल करेंगे. शरद पटेल ने प्रयागराज के एक स्कूल से आरओ एआरओ का पेपर लीक करवाने के बाद से मोबाइल कॉल, व्हाट्सएप और टेलीग्राम से कम्युनिकेशन बंद कर दिया था. एसटीएफ एएसपी विशाल विक्रम बताते है कि, शरद, राजीव नयन और रवि अत्री ने आरओ एआरओ और पुलिस भर्ती का पेपर लीक करने के बाद हर तरह का संपर्क इसी जंगी के जरिए किया था. यही वजह थी, कि पेपर लीक होने की भनक पुलिस या एसटीएफ को नहीं लग सकी थी.

बिना मोबाइल नंबर के चलती है जंगी मैसेंजर एप: साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते है कि, जंगी एप वैसे तो भारत में बैन है. बीते वर्ष इसी माह में इसे बैन किया गया था. यह एक चाइनीज बेस्ड मैसेंजर एप्लीकेशन है, जैसे व्हाट्सएप टेलीग्राम होती है. लेकिन, इसमें मोबाइल नंबर लिंक नहीं होता. यह एप्लीकेशन दावा करता है, कि आपका जो डाटा है वह कहीं पर सेव नहीं किया जाता. यही वजह है कि आजकल जो क्रिमिनल्स हैं, उनके लिए एप्लीकेशंस काफी सहायक होती है. क्योंकि इसमें कोई भी मोबाइल नंबर लिंक नहीं होता, सर्वर होता नहीं है. उसका जितना भी डाटा है वह कहीं पर भी सेव नहीं होता. जिससे ये सभी सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर नहीं आते है. हालांकि, अब धीरे धीरे ये एप्लीकेशन सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनती जा रही है, क्योंकि बैन के बाद भी अब भी ये कई प्लेटफार्म पर मौजूद है.

यह भी पढ़े-यूपी पुलिस पेपर लीक केस: रिसॉर्ट में तीन हजार अभ्यर्थियों को रटाए गए थे सवालों के जवाब - STF Action In Paper Leak Case

लखनऊ: आरओ एआरओ और पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने के लिए आरोपियों ने उस एप्लीकेशन का इस्तमाल किया, जिसे नक्सली और ड्रग हथियारों के सौदागर सुरक्षा एजेंसियों से अपनी बातों को छुपाने के लिए करते थे. उस एप्लीकेशन के जरिए होने वाले हर बात गोपनीय रहती है, सुरक्षा एजेंसी न ही उसे ट्रेस कर पाती है और न ही उसका कोई बैकप निकलवा पाती है. हालांकि, पेपर लीक करने वालों को यह शातिर एप्लीकेशन भी बचा नहीं सकी है. पुलिस के शिकंजे में एक एक कर सभी फंसते चले गए. ऐसे में आइए जानते है वो कौन सी एप्लीकेशन है और वह किस तरह से काम करती है. इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसी इसको लेकर क्या कर रही है?

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने दी जानकारी

नक्सलियों की पसंदीदा एप है जंगी: छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सली क्षेत्रों में वहां नक्सली, हथियारों और ड्रग्स की तस्करी करने वाले आपस में हर तरह का संपर्क करते थे. लेकिन, सुरक्षा एजेंसी को इसकी भनक नहीं लग पा रही है. जांच इस बात की शुरू की गई, कि आखिर वो ऐसा कौन सा कम्युनिकेशन टूल यूज कर रहे है, जिसकी मदद से वो एक दूसरे से संपर्क में है. सामने आया कि इसके पीछे चाइनीज अपलिकेशन जंगी है. यह एक ऐसा एप है, जो बिना सर्वर के संचालित होता है. इसे व्हाट्सएप और टेलीग्राम की ही तरह इस्तमाल में लाया जाता है. इतना ही नहीं, इसके द्वारा ऑडियो वीडियो कॉल की जा सकती है. फोटो और वीडियो भेजा जा सकता है, लेकिन यह सिर्फ उन्ही दो लोगों के बीच गोपनीय रहता है जो इसका इस्तमाल करते हैं. इसका कोई भी बैकप नहीं होता है. इसके पीछे का कारण इस ऐप का सर्वर लेस होना है. ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों का इस जंगी एप के चलते नक्सलियों के बीच होने वाली बातचीत की जानकारी नहीं पा रही थी.

इसे भी पढ़े-RO-ARO पेपर लीक कांड: मास्टरमाइंड डॉ. शरद पटेल स्कूल प्रबंधकों के साथ चढ़ा STF के हत्थे - RO ARO PAPER LEAK SCANDAL

पेपर लीक कांड की साजिश जंगी में रची गई: जंगी एप एक बार फिर इसलिए चर्चा में आई है, क्योंकि बीते दिनों यूपी में हुए आरओ एआरओ परीक्षा पेपर लीक मामले में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. पेपर लीक करने की पूरी प्लानिंग इसी जंगी एप के जरिए रची गई. पेपर लीक कांड के मास्टरमिंग शरद पटेल, राजीव नयन मिश्रा और रवि अत्री ने रणनीति बनाई थी, कि पेपर लीक होने से लेकर उसका परिणाम आने तक वो मोबाइल, व्हाट्सएप और टेलीग्राम का इस्तमाल नही करेंगे. इससे वो पुलिस की रडार में आ सकते है. किसी भी कम्युनिकेशन के लिए वो जंगी एप्लीकेशन का इस्तमाल करेंगे. शरद पटेल ने प्रयागराज के एक स्कूल से आरओ एआरओ का पेपर लीक करवाने के बाद से मोबाइल कॉल, व्हाट्सएप और टेलीग्राम से कम्युनिकेशन बंद कर दिया था. एसटीएफ एएसपी विशाल विक्रम बताते है कि, शरद, राजीव नयन और रवि अत्री ने आरओ एआरओ और पुलिस भर्ती का पेपर लीक करने के बाद हर तरह का संपर्क इसी जंगी के जरिए किया था. यही वजह थी, कि पेपर लीक होने की भनक पुलिस या एसटीएफ को नहीं लग सकी थी.

बिना मोबाइल नंबर के चलती है जंगी मैसेंजर एप: साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते है कि, जंगी एप वैसे तो भारत में बैन है. बीते वर्ष इसी माह में इसे बैन किया गया था. यह एक चाइनीज बेस्ड मैसेंजर एप्लीकेशन है, जैसे व्हाट्सएप टेलीग्राम होती है. लेकिन, इसमें मोबाइल नंबर लिंक नहीं होता. यह एप्लीकेशन दावा करता है, कि आपका जो डाटा है वह कहीं पर सेव नहीं किया जाता. यही वजह है कि आजकल जो क्रिमिनल्स हैं, उनके लिए एप्लीकेशंस काफी सहायक होती है. क्योंकि इसमें कोई भी मोबाइल नंबर लिंक नहीं होता, सर्वर होता नहीं है. उसका जितना भी डाटा है वह कहीं पर भी सेव नहीं होता. जिससे ये सभी सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर नहीं आते है. हालांकि, अब धीरे धीरे ये एप्लीकेशन सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनती जा रही है, क्योंकि बैन के बाद भी अब भी ये कई प्लेटफार्म पर मौजूद है.

यह भी पढ़े-यूपी पुलिस पेपर लीक केस: रिसॉर्ट में तीन हजार अभ्यर्थियों को रटाए गए थे सवालों के जवाब - STF Action In Paper Leak Case

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