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MY समीकरण से लालू का मोह भांग! जातिगत जनगणना के बाद मुसलमानों की हिस्सेदारी घटी? - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

मुस्लिम और यादव वोट बैंक लालू प्रसाद यादव की ताकत मानी जाती है. 2019 लोकसभा चुनाव तक दोनों समुदाय के हिस्से में ज्यादातर सीटे जाती थी, लेकिन अब MY समीकरण से लालू प्रसाद का मोह भंग होता दिख रहा है और अब इनके हिस्सेदारी भी कम हो रही है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 30, 2024, 4:21 PM IST

पटना : लालू प्रसाद यादव बिहार के राजनीतिक शिखर पर दो दशक तक रहे. MY समीकरण उनकी ताकत मानी जाती थी. मुस्लिम और यादव वोट बैंक के बदौलत राष्ट्रीय जनता दल की बुनियाद मजबूत हुई. जातिगत वोट बैंक की सियासत को धार देने के लिए जातिगत जनगणना कराया गया, लेकिन जनसंख्या के अनुपात में उन्हें हिस्सेदारी कम मिल रही है.

MY समीकरण से लालू बना रहे दूरी : 1990 से 2005 तक लालू प्रसाद यादव का बिहार की राजनीति में सिक्का चलता था. मुस्लिम और यादव यानी की MY समीकरण की बदौलत लालू ने डेढ़ दशक तक शासन किया. बिहार में मुसलमान की आबादी लगभग 17.70% है तो यादव 14.28% हैं. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक भी करते हैं.

राष्ट्रीय जनता दल में अब लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव की मजबूत दखल स्थापित हो चुकी है. लालू प्रसाद यादव की बुनियाद कमजोर पड़ने लगी है. मुस्लिम और यादव की हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है. यह बात दीगर है कि मुसलमान की आबादी यादवों से अधिक होने के बावजूद लालू ने अधिक तवज्जो यादवों को दिया. इसकी बानगी 2015 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिली. राजद ने कुल 48 यादवों को टिकट दिया तो कुल 16 मुसलमान को टिकट दी गई.

जाति गणना बना आईना : 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने 19 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और पार्टी ने 8 यादवों को टिकट दिया तो पांच मुसलमान को भी टिकट मिला. धीरे-धीरे राष्ट्रीय जनता दल का भरोसा MY समीकरण से उठता जा रहा है. कम होते भरोसे के साथ उनकी हिस्सेदारी भी कम होती जा रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर दो मुसलमान को ही लड़ाने की तैयारी में है.

दो मुसलमान और 6 यादवों को टिकट : मधुबनी से अली अशरफ फातमी और अररिया से तस्लीमुद्दीन के पुत्र को मैदान में उतरने की तैयारी है. जबकि यादवों की संख्या 6 से अधिक होने वाली है. अर्थात कम से कम 6 लोकसभा सीट पर यादव उम्मीदवार देखने को मिलेंगे. जिसमें पाटलिपुत्र, दरभंगा, बांका, सारण और मधेपुरा लोकसभा सीट पर यादव उम्मीदवार का उतरना तय है.

A2Z की ओर बढ़ रही आरजेडी : वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि राष्ट्रीय जनता दल अब A2Z की ओर बढ़ चली है. एक ओर यादवों की हिस्सेदारी कम की जा रही है, तो मुसलमान को और भी कम किया जा रहा है. लालू प्रसाद यादव को लग रहा है कि अति पिछड़ों की बदौलत एक बार फिर वह सत्ता में वापसी कर सकते हैं और विधानसभा चुनाव के पहले वह लोकसभा चुनाव में यह प्रयोग कर देखना भी चाहते हैं.

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पटना : लालू प्रसाद यादव बिहार के राजनीतिक शिखर पर दो दशक तक रहे. MY समीकरण उनकी ताकत मानी जाती थी. मुस्लिम और यादव वोट बैंक के बदौलत राष्ट्रीय जनता दल की बुनियाद मजबूत हुई. जातिगत वोट बैंक की सियासत को धार देने के लिए जातिगत जनगणना कराया गया, लेकिन जनसंख्या के अनुपात में उन्हें हिस्सेदारी कम मिल रही है.

MY समीकरण से लालू बना रहे दूरी : 1990 से 2005 तक लालू प्रसाद यादव का बिहार की राजनीति में सिक्का चलता था. मुस्लिम और यादव यानी की MY समीकरण की बदौलत लालू ने डेढ़ दशक तक शासन किया. बिहार में मुसलमान की आबादी लगभग 17.70% है तो यादव 14.28% हैं. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक भी करते हैं.

राष्ट्रीय जनता दल में अब लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव की मजबूत दखल स्थापित हो चुकी है. लालू प्रसाद यादव की बुनियाद कमजोर पड़ने लगी है. मुस्लिम और यादव की हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है. यह बात दीगर है कि मुसलमान की आबादी यादवों से अधिक होने के बावजूद लालू ने अधिक तवज्जो यादवों को दिया. इसकी बानगी 2015 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिली. राजद ने कुल 48 यादवों को टिकट दिया तो कुल 16 मुसलमान को टिकट दी गई.

जाति गणना बना आईना : 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने 19 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और पार्टी ने 8 यादवों को टिकट दिया तो पांच मुसलमान को भी टिकट मिला. धीरे-धीरे राष्ट्रीय जनता दल का भरोसा MY समीकरण से उठता जा रहा है. कम होते भरोसे के साथ उनकी हिस्सेदारी भी कम होती जा रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर दो मुसलमान को ही लड़ाने की तैयारी में है.

दो मुसलमान और 6 यादवों को टिकट : मधुबनी से अली अशरफ फातमी और अररिया से तस्लीमुद्दीन के पुत्र को मैदान में उतरने की तैयारी है. जबकि यादवों की संख्या 6 से अधिक होने वाली है. अर्थात कम से कम 6 लोकसभा सीट पर यादव उम्मीदवार देखने को मिलेंगे. जिसमें पाटलिपुत्र, दरभंगा, बांका, सारण और मधेपुरा लोकसभा सीट पर यादव उम्मीदवार का उतरना तय है.

A2Z की ओर बढ़ रही आरजेडी : वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि राष्ट्रीय जनता दल अब A2Z की ओर बढ़ चली है. एक ओर यादवों की हिस्सेदारी कम की जा रही है, तो मुसलमान को और भी कम किया जा रहा है. लालू प्रसाद यादव को लग रहा है कि अति पिछड़ों की बदौलत एक बार फिर वह सत्ता में वापसी कर सकते हैं और विधानसभा चुनाव के पहले वह लोकसभा चुनाव में यह प्रयोग कर देखना भी चाहते हैं.

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