पटना: बिहार में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. नेपाल और मध्य प्रदेश में हो रही बारिश से बिहार की नदियों का जलस्तर एक बार फिर से बढ़ने लगा है. इसे बिहार पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. पटना में पुनपुन नदी, बक्सर में गंगा और कोसी नदी रौद्र रूप दिखाने लगी है. कोसी-सीमांचल क्षेत्र की नदियों का भी जलस्तर अब बढ़ता जा रहा है और बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं. सबसे ज्यादा परेशानी सोन नदी से होती है. सोन नदी में बिहार के आठ जिलों से पानी आता है.
तिब्बत, नेपाल से लेकर कई राज्यों का आता है पानी: बिहार की नदियों में तिब्बत, नेपाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ के साथ-साथ राजस्थान तक का पानी आता है. इन राज्यों में जैसी बारिश हुई उनसे जुड़ी नदियों में पानी भी उसी हिसाब से आता है. दक्षिण बिहार की कई नदियां मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ से जुड़ी है तो वहीं उत्तर बिहार की नदियों में पानी नेपाल से आता है.
बक्सर के कई गांव बाढ़ के पानी से घिरा: बक्सर में गंगा रौद्र रूप दिखाने लगी है. यहां गंगा खतरे की निशान के तरफ तेजी से बढ़ रही है. जलस्तर बढ़ने से गंगा,चौसा, बक्सर, सिमरी, चक्की और ब्रह्मपुर प्रखण्ड के सैकड़ों गांव के लोग सहम गए है. नदी का जलस्तर चेतवानी बिंदु को रात्रि 10 बजे पार कर खतरे की निशान के तरफ तेजी से बढ़ रही है.आलम यह है कि नदी अपने किनारों को तोड़कर रिहायशी इलाकों में प्रवेश करने लगी है. अब तक चौसा प्रखण्ड के बनारपुर गांव बाढ़ की पानी से घिर गया है. राहत बचाव को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी पूरी तरह से अलर्ट है.
इन नदियों का भी जलस्तर बढ़ा: सोन नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश का असर पटना के गंगा घाटों पर भी दिख रहा है. गांधी घाट में डेंजर लेवल 48.60 मीटर है और गंगा का जलस्तर 48.96 मीटर पर पहुंच गया है यानी 36 सेंटीमीटर गंगा गांधी घाट में ऊपर बह रही है. वहीं दीघा घाट में डेंजर लेवल 50.45 मीटर है.गंगा का जलस्तर 50.32 मीटर तक पहुंच गया है. पटना के मनेर में भी डेंजर लेवल के करीब गंगा है. वहीं पुनपुन नदी भी श्रीपालपुर में डेंजर लेवल के पास पहुंच गया है. 50.60 मी डेंजर लेवल है और यहां पुनपुन 50.58 मी. तक पहुंच गया है.
डरा रही उत्तर बिहार की नदियां: उत्तर बिहार की नदियों में बागमती मुजफ्फरपुर के रुन्नीसैदपुर में खतरे के निशान से 102 सेंटीमीटर ऊपर है बेनीबाद में खतरे के निशान से 104 सेंटीमीटर ऊपर है गंडक गोपालगंज के डुमरिया घाट में खतरे के निशान से 19 सेंटीमीटर ऊपर है इसके अलावा सीमांचल के अररिया में परमाण नदी खतरे के निशान से 33 सेंटीमीटर ऊपर है अन्य नदियों में अभी जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है
बागमती नदी उफनाई: नेपाल और तराई क्षेत्र में लगातार हुई बारिश का असर अब बिहार की नदियों में दिखने लगा है. उत्तर बिहार के कई जिले से होकर बहने वाली बागमती नदी भी उफान पर आ गई है. जिसका असर मुजफ्फरपुर के कटरा प्रखंड औराई प्रखंड और गायघाट प्रखंड में देखने को मिला है. नदी के उफान पर आने से कई गांव में बाढ़ का पानी घुस गया.
सोन नदी में आठ जिलों में आता है पानी: 15 सितंबर 1973 को केंद्रीय जल आयोग ने मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच बाणसागर समझौता कराया था. बाणसागर डैम से ही पानी सासाराम के नजदीक बने इंद्रपुरी बराज में आता है. वहां से बिहार के आठ जिलों में सोन नदी में पानी जाता है. जब मध्य प्रदेश में अत्यधिक बारिश होती है और डैम में पानी अधिक हो जाता है. उसके कारण बिहार की मुश्किलें बढ़ती है.
बाढ़ में बिहार दोहरी मार झेल रहा है: यहां नेपाल से आने वाली नदियों खासकर कोसी, बागमती, गंडक से इस बार भी मानसून के शुरुआत में नेपाल में हुई भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी थी. लेकिन मानसून सुस्त पड़ने और नेपाल में बारिश बहुत ज्यादा नहीं होने के के पिछले कई दिनों से उत्तर बिहार में राहत मिली हुई है तो वहीं मध्य प्रदेश के सोन जल ग्रहण क्षेत्र में हुई भारी बारिश के कारण दक्षिण बिहार की नदियां उफान पर है.
"बिहार को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. रिवर लिंकिंग की भी चर्चा होती है लेकिन उसपर समाधान अबतक नहीं निकला. देश के साथ कई अन्य राज्यों में भी जल को लेकर विवाद है. ब्रह्मपुत्र नदी चीन से आती है. उसके जल को लेकर भी कई बार चर्चा होती है. बाढ़ से बचाव और जल के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जल नीति बनाने की जरूरत है. क्योंकि बिहार सबसे ज्यादा परेशान है." - एन के चौधरी, पूर्व प्राचार्य पटना विवि
13 साल बाद इंद्रपुरी बाराज से छोड़ा गया पानी: 2016 में इंद्रपुरी बाराज से 11 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया था और वह भी मानसून जब समाप्ति की ओर था. सितंबर महीने में पटना से सटे निचले इलाकों में बाढ़ आ गया था. पटना पर भी खतरा बढ़ गया था. दक्षिण बिहार के कई इलाकों में बाढ़ से तबाही मची थी. वहीं 13 साल बाद इंद्रपुरी बाराज से 5 लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा गया है . इसका असर पटना के गंगा घाट पर भी दिख रहा है.
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