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लाभार्थी ही लगा रहे पीएम आवास योजना को पलीता, चट कर गए अनुदान का पैसा

गोरखपुर में पीएम आवास योजना कई सैकड़ों लाभार्थी मिला अनुदान चट कर गए. अब इनसे रिकवरी की तैयारी की जा रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 26, 2024, 7:14 PM IST

गोरखपुर : एक तरफ गरीबों के सिर पर छत देने के लिए पीएम आवास योजना चलाई जा रही है, तो दूसरी ओर इसमें धांधली भी खुलकर सामने आ रही है. चयनित आवेदक ही इस योजना को पलीता लगा रहे हैं. बिना छत के वह अनुदान के पैसों को चट कर जा रहे हैं. गोरखपुर में 225 ऐसे मामले सामने आए हैं. जिसके बाद निगरानी करने वाले अधिकारियों की भी जवाबदेही बढ़ गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के 225 लाभार्थियों के खिलाफ बोर्ड ऑफ रेवेन्यू पोर्टल पर शहरी विकास अभिकरण कार्यालय(डूडा) ने आरसी अपलोड कर दी है. 353 और लाभार्थियों के खिलाफ भी आरसी जारी करने की तैयारी है. इस प्रकार 578 लाभार्थी ऐसे हैं, जो प्रधानमंत्री आवास योजना के धन के गबन के आरोपी पाए गए हैं.

अनुदान ले लिया, काम नहीं करा रहे पूरा

प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत गोरखपुर नगर निगम और 11 नगर पंचायत में कुल 50420 आवास स्वीकृत हैं. इनमें से 41751 लाभार्थियों ने करीब 50% तक अपने आवास का निर्माण पूर्ण कर लिया है, लेकिन जो अन्य लाभार्थी बचे हुए हैं वह कई बार चेतावनी के बाद भी निर्माण पूरा नहीं कर रहे हैं. जिसमें सबसे कम निर्माण करने वाले 578 लाभार्थियों से विभाग को रिकवरी करने की तैयारी करनी पड़ रही है. गोरखपुर नगरी विकास अभिकरण यानी डूडा के परियोजना अधिकारी विकास सिंह ने इस संबंध में बताया कि इन लाभार्थियों के अलावा करीब 200 अन्य लाभार्थी नगर निगम और नगर पंचायत क्षेत्र में ऐसे हैं, जिन्होंने लंबे समय से आवास निर्माण कार्य रोक रखा है. बार-बार चेतावनी के बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण नहीं कर रहे हैं. जबकि योजना के तहत लाभार्थियों को पहली, दूसरी और तीसरी किस्त के तौर पर 50000, डेढ़ लाख और 50000 उनके खाते में भेज दिए गए हैं.

जिम्मेदारों से होगी पूछताछ

उन्होंने कहा कि लाभार्थियों निर्माण में लापरवाही की तस्वीर कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का संकेत देती है. यही वजह है कि निर्माण कार्य से जुड़े हुए विभाग के सुपरवाइजर और अन्य जिम्मेदार लोगों से भी इस मामले में पूछताछ की जाएगी और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है. जिन तीन किस्तों में इन लाभार्थियों को धन आवंटित होता है, उसमें निर्माण कार्य की प्रगति के साथ या फंड रिलीज होता है. ऐसे में तीनों चरणों के फंड रिलीज होने के बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण न होना, निर्माण कार्य का शुरू न किया जाना और चेतावनी के बाद भी कोई जवाब न देने पर रिकवरी के लिए आरसी जारी करने की कार्यवाही को मजबूर किया है.

यह भी पढ़ें : 162 साल पुरानी बर्ड घाट रामलीला कमेटी पर भ्रष्टाचार का आरोप, मामले की जांच शुरू की

यह भी पढ़ें : 12 घंटे की छापेमारी में तिवारी हाते से खाली हाथ लौटी ED की टीम, सपा ने कहा-राजनीतिक द्वेष में हुई कार्रवाई

गोरखपुर : एक तरफ गरीबों के सिर पर छत देने के लिए पीएम आवास योजना चलाई जा रही है, तो दूसरी ओर इसमें धांधली भी खुलकर सामने आ रही है. चयनित आवेदक ही इस योजना को पलीता लगा रहे हैं. बिना छत के वह अनुदान के पैसों को चट कर जा रहे हैं. गोरखपुर में 225 ऐसे मामले सामने आए हैं. जिसके बाद निगरानी करने वाले अधिकारियों की भी जवाबदेही बढ़ गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के 225 लाभार्थियों के खिलाफ बोर्ड ऑफ रेवेन्यू पोर्टल पर शहरी विकास अभिकरण कार्यालय(डूडा) ने आरसी अपलोड कर दी है. 353 और लाभार्थियों के खिलाफ भी आरसी जारी करने की तैयारी है. इस प्रकार 578 लाभार्थी ऐसे हैं, जो प्रधानमंत्री आवास योजना के धन के गबन के आरोपी पाए गए हैं.

अनुदान ले लिया, काम नहीं करा रहे पूरा

प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत गोरखपुर नगर निगम और 11 नगर पंचायत में कुल 50420 आवास स्वीकृत हैं. इनमें से 41751 लाभार्थियों ने करीब 50% तक अपने आवास का निर्माण पूर्ण कर लिया है, लेकिन जो अन्य लाभार्थी बचे हुए हैं वह कई बार चेतावनी के बाद भी निर्माण पूरा नहीं कर रहे हैं. जिसमें सबसे कम निर्माण करने वाले 578 लाभार्थियों से विभाग को रिकवरी करने की तैयारी करनी पड़ रही है. गोरखपुर नगरी विकास अभिकरण यानी डूडा के परियोजना अधिकारी विकास सिंह ने इस संबंध में बताया कि इन लाभार्थियों के अलावा करीब 200 अन्य लाभार्थी नगर निगम और नगर पंचायत क्षेत्र में ऐसे हैं, जिन्होंने लंबे समय से आवास निर्माण कार्य रोक रखा है. बार-बार चेतावनी के बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण नहीं कर रहे हैं. जबकि योजना के तहत लाभार्थियों को पहली, दूसरी और तीसरी किस्त के तौर पर 50000, डेढ़ लाख और 50000 उनके खाते में भेज दिए गए हैं.

जिम्मेदारों से होगी पूछताछ

उन्होंने कहा कि लाभार्थियों निर्माण में लापरवाही की तस्वीर कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का संकेत देती है. यही वजह है कि निर्माण कार्य से जुड़े हुए विभाग के सुपरवाइजर और अन्य जिम्मेदार लोगों से भी इस मामले में पूछताछ की जाएगी और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है. जिन तीन किस्तों में इन लाभार्थियों को धन आवंटित होता है, उसमें निर्माण कार्य की प्रगति के साथ या फंड रिलीज होता है. ऐसे में तीनों चरणों के फंड रिलीज होने के बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण न होना, निर्माण कार्य का शुरू न किया जाना और चेतावनी के बाद भी कोई जवाब न देने पर रिकवरी के लिए आरसी जारी करने की कार्यवाही को मजबूर किया है.

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