शिमला: भारत मां की सुरक्षा के लिए जीवन का सर्वोच्च बलिदान करने वाले हिमाचल के वीर सपूत राइफलमैन कुलभूषण मांटा को शौर्य चक्र दिया गया है. देश की राष्ट्रपति और भारतीय सेना की सर्वोच्च कमांडर महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने गैलेंट्री अवार्ड-2024 समारोह में राष्ट्रपति भवन में ये सम्मान प्रदान किया है. बलिदानी कुलभूषण मांटा की मां और पत्नी ने गर्व भरे चेहरे पर धैर्य के भाव लिए ये सम्मान ग्रहण किया.
राष्ट्रीय राइफल्स के राइफलमैन कुलभूषण मांटा ने कश्मीर के बारामूला में आतंकियों के साथ दो-दो हाथ किए थे. कुलभूषण मांटा ने एक आतंकी को पकड़ लिया था. इस दौरान एक अन्य आतंकी ने कायरतापूर्ण तरीके से अंधाधुंध गोलीबारी की. कुलभूषण मांटा गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस ऑपरेशन में राइफलमैन कुलभूषण ने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया था. उनकी बहादुरी का सम्मान करते हुए देश की राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र प्रदान किया. ये सम्मान बलिदानी कुलभूषण की मां दुर्मा देवी व पत्नी नीतू कुमारी ने ग्रहण किया.
मां और पत्नी ने दिया साहस व धैर्य का परिचय
उल्लेखनीय है कि जिस समय बलिदानी की पवित्र पार्थिव देह पैतृक गांव शिमला के गौंठ में पहुंची थी तो नीतू कुमारी ने अद्भुत साहस व धैर्य का परिचय देते हुए बहादुर पति की देह को सैल्यूट किया था. उसी साहस व धैर्य का परिचय बलिदानी की मां व पत्नी ने राष्ट्रपति भवन में सम्मान ग्रहण करते समय भी दिया. शौर्य के इस सम्मान के समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.
President Droupadi Murmu conferred Shaurya Chakra upon Rifleman Kulbushan Manta, The Jammu & Kashmir Rifles, 52nd Battalion The Rashtriya Rifles, posthumously. He was part of a joint operation in the Baramulla district of Jammu and Kashmir when due to his gallant action and… pic.twitter.com/bVilnGtr7Q
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 5, 2024
दो साल पहले देश पर बलिदान हुए थे कुलभूषण
शिमला जिले के चौपाल उपमंडल के गौंठ गांव के राइफलमैन कुलभूषण मांटा ने वर्ष 2022 में मातृभूमि की रक्षा करते हुए जीवन का बलिदान दिया था. अक्टूबर 2022 में नॉर्थ कश्मीर के बारामूला जिले में ऑपरेशन रक्षक में राइफलमैन कुलभूषण मांटा अपने साथियों के साथ तैनात थे. आतंकियों का सफाया करने के लिए कुलभूषण मांटा के नेतृत्व में तलाशी दल सतर्क था. इस बीच, कुलभूषण के नेतृत्व में टुकड़ी दो आतंकवादियों के नजदीक पहुंच गई.
भारतीय सेना के रूप में अपने काल को समीप आते देख दोनों आतंकियों ने वहां से भागने का प्रयास किया. इस दौरान कुलभूषण मांटा ने एक आतंकी को पकड़ लिया. दूसरे आतंकी ने गोलीबारी शुरू कर दी. मुठभेड़ में राइफलमैन कुलभूषण मांटा घायल हो गए थे. तब भी मांटा ने बहादुरी के साथ ऑपरेशन जारी रखा. एक आतंकी जिंदा पकड़ा गया. कुलभूषण ने आखिरी सांस तक सेना की शौर्य परंपरा को निभाया. जिस समय कुलभूषण ने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया, वे सिर्फ 27 साल के थे. कुलभूषण के बलिदान के समय उनका बेटा अढ़ाई महीने का था. कुलभूषण देश सेवा के लिए वर्ष 2014 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. हिमाचल को अपने सपूत पर गर्व है.