कोरिया: चितमारपारा स्थित मंगल राइस मिल में छत्तीसगढ़ का एक बड़ा और अनूठा मामला सामने आया है. यहां करीब 38,000 क्विंटल धान का डीओ (डिलीवरी ऑर्डर) काटा गया. लेकिन इस राइस मिल से एफसीआई और नान के गोदामों में मात्र 28.98 मीट्रिक टन चावल जमा किया गया. मामले का जब खुलासा हुआ तो जिला प्रशासन सक्रिए हो गया और छापामार कार्रवाई की.
2635 हजार क्विंंटल चावल के बदले 28 मीट्रिक चावल जमा किया: मिली जानकारी के अनुसार, साल 2023-24 में धान खरीदी वर्ष के दौरान 38,000 क्विंटल से ज्यादा धान उठाव के बदले में निर्धारित 2,635 हजार क्विंटल चावल एफसीआई और नान में जमा करना था. लेकिन राइस मिल ने सिर्फ 28.98 मीट्रिक टन चावल ही जमा किया. जिला प्रशासन ने इसके लिए जांच टीम गठित की. टीम ने जब बाकी धान और चावल के बारे में पूछा तो मिलर्स की तरफ से धान या चावल के बारे में कोई संतोषजनक जानकारी नहीं मिली.
अपर कलेक्टर एवं खाद्य अधिकारी अरुण मरकाम ने बताया-" छत्तीसगढ़ कस्टम नीति के तहत 2635 मीट्रिक टन चावल जमा करना था जिसमें अब तक सिर्फ 28 मीट्रिक टन चावल ही जमा किया गया. बाकी 2606 मीट्रिक टन चावल जमा करने को कहा गया. इसकी समिति से जांच की गई. जांच में पता चला कि 2606 मीट्रिक टन चावल उपलब्ध ही नहीं है. उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. जवाब की समय सीमा होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी."
बंद मिल में करोड़ों का घोटाला!: चितमारपारा में स्थित मंगल राइस मिल पिछले दो- तीन साल से बंद पड़ा है. बावजूद इसके कागजों में बड़ी मात्रा में समिति से धान उठाव किया गया. रहवासियों का कहना है कि मिल का बिजली बिल सामान्य है, जो दर्शाता है कि मिल बंद है. अगर मिल चल रही होती तो बिजली की खपत ज्यादा होती. इस बात की पुष्टि क्षेत्र के रहवासियों ने भी की. उन्होंने बताया कि मिल के आसपास कोई गतिविधि नहीं देखी गई है.
स्थानीय का दावा बंद पड़ी है राइस मिल: स्थानीय राजेश कुमार वर्मा ने बताया-" राइस मिल शुरू होने के बाद एक दो महीने चला. इसके बाद बंद हो गया. 2 साल बाद फिर शुरू होने के बाद महीनेभर चला. अब चार- पांच साल से राइस मिल बंद पड़ा है."
स्थानीय योगेश शुक्ला बताते हैं-" सालभर से राइस मिल की बिजली कटी हुई है. अधिकारी जाकर देखते हैं तो ना वहां धान है ना ही चावल. लेकिन उसी राइस मिल से लाखों का टर्नओवर दिखाया जा रहा है. भाजपा के राज में भ्रष्टाचार की सीमा लांघ चुकी है. कलेक्टर से निवेदन है कि इसकी निष्पक्ष जांच करनी चाहिए." फिलहाल करोड़ों के चावल घोटाले में प्रशासन ने मिलर को तीन दिन का समय दिया है. संतोषजनक जवाब न मिलने पर कठोर कार्रवाई की बात कही है.