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करोड़ों की जमीन पर कब्जे के मामले में बिल्डर कमल चौधरी, धीरू चौधरी और पहलवान पर 10-10 हजार का इनाम

करोड़ों की जमीन पर कब्जे के मामले में बिल्डर कमल चौधरी, धीरू चौधरी और पहलवान पर 10-10 हजार का इनाम घोषित किया गया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2024, 12:49 PM IST

आगराः जिले के बहुचर्चित जगदीशपुरा करोड़ों की जमीन पर कब्जा मामले में फरार बिल्डर कमल चौधरी, धीरू चौधरी और पुरुषोत्तम पहलवान के कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए हैं. विवेचक की तीनों आरोपियों पर इनाम की संस्तुति करने की फाइल पर डीसीपी सिटी सूरज राय ने तीनों पर 10-10 हजार रुपये इनाम घोषित कर दिया गया है. इसके साथ ही तीनों आरोपियों की तलाश में दो स्पेशल टीमें लगाई हैं.

बता दें कि, शहर के जगदीशपुरा थाना क्षेत्र के बोदला में बैनारा फैक्ट्री के पास करोड़ों रुपए की दस हजार वर्ग गज जमीन पर कब्जा किया गया था. जिसके लिए खाकी, खादी, बिल्डर और दबंगों की मंडली ने पांच निर्दोषों को दो फर्जी मुकदमे लिखकर जेल भेजा था. कब्जा की जमीन की बाउंड्रीवाल कराकर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे. दो सिक्योरिटी गार्ड तैनात करके करके प्लॉट काटने की तैयारी कर ली थी. जब पीड़ित जेल से आए तो डीजीपी से शिकायत की. जिस पर आगरा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी हरकत में आए. फिर, जमीन की कथित मालकिन उमा देवी की तहरीर पर बिल्डर कमल चौधरी, धीरू चौधरी, एसओ जितेंद्र कुमार सहित 18 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.

जगदीशपुरा थाना पुलिस ने सबसे पहले अमित अग्रवाल को जेल भेजा था. उसके बाद एसओ जितेंद्र कुमार को जेल भेजा गया. दोनों की गिरफ्तारी के बाद भी रहस्यों से पर्दा नहीं उठा है. इस मामले में दोनों ने पूरा ठीकरा पुरुषोत्तम पहलवान के सिर पर फोड़ दिया गया. पुलिस खुद दूध की धुली बन गई. अब मामले के विवेचक जगदीशपुरा एसओ कुशलपाल सिंह ने आरोपियों के गैर जमानती वारंट के लिए डकैती कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था.

आरोपियों के खिलाफ गैरजमानती वारंट
विवेचक की पत्रावली के अवलोकन के बाद कोर्ट ने बिल्डर कमल चौधरी उनके बेटे धीरू चौधरी और पुरुषोत्तम पहलवान के गैर जमानती वारंट जारी किए हैं. इस बारे में डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि, एक भी आरोपित नहीं बचेगा. तीनों आरोपियों पर 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है. ये इनाम की रकम बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही तीनों आरोपियों के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जाएगा. अभी फरार तोनों इनामी आरोपियों को तलाश में दो स्पेशल टीमें संभावित स्थानों पर दबिश दे रही हैं.

कौन उजागर करेगा वीडियो का सच ?
जेल गए आरोपित एसओ जितेंद्र कुमार ने बताया था कि, एक वीडियो वायरल हुआ था. उसी के आधार पर दबिश दी थी. पुलिस ने अभी तक उस कैमरामैन से यह सवाल नहीं पूछा है कि, उसके पास वीडियो कहां से आया था. जिसने वीडियो बनाया होगा. आशंका है वह और उसके साथ अन्य भी इस साजिश में शामिल हो सकते हैं. इसी वायरल वीडियो में रवि कुशवाह और अरुण के नाम भी उजागर किए गए थे. यह दर्शाया था कि, दोनों मिलकर गांजा बेचते हैं. अरुण कौन है ? यह खुद पुलिस को नहीं पता है.

एसआईटी की जांच में भी नहीं खुल रहे राज
करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा के मामले में पुलिस खुद कठघरे में है. इसलिए एसआईटी की जांच भी कछुआ गति से आगे बढ़ रही है. अभी एक भी राज ऐसा नहीं खुला है. जो नया हो. एसआईटी की जांच में वे ठेकेदार अभी तक बचे हुए हैं. जो पुलिस से कोई भी काम कराने के ठेके लिया करते थे. जमीन के इस करोड़ों रुपए के खेल में भी ऐसे ही ठेकेदारों की भूमिका है.

निलंबन नहीं जेल भेजने की हो कार्रवाई
आगरा मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने एक बैठक में आबकारी अधिकारी को ऐसे प्रकरणों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं. उन्होंने आबकारी विभाग ने चार बीघा जमीन पर पीड़ित परिवार पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने तथा आबकारी निरीक्षक के निलंबन का संज्ञान लिया है. उनका कहना है कि, ऐसे गंभीर मामले में सामने आने पर निलंबन ही नहीं बल्कि आरोपी को जेल भी भेजा जाना चाहिए.

बाकी के खिलाफ एफआईआर का इंतजार
बता दें कि, पीड़ित ने नवंबर 2023 में डीजीपी ऑफिस में मामले की शिकायत हुई थी. जिस पर दिसंबर के आखिरी सप्ताह में मामला पुलिस के संज्ञान में आया था. मुकदमे में भी सिर्फ तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार को आरोपित बनाया है. जबकि एनडीपीएस का मुकदमा दरोगा विकास कुमार ने दर्ज कराया था. शराब का मुकदमा आबकारी विभाग की टीम ने दर्ज कराया था. मगर, मुकदमा लिखे 12 दिन बीत चुके हैं. अभी तक आबकारी विभाग और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

ये भी पढ़ेंः राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा; अनुष्ठान का पांचवां दिन LIVE, कश्मीर के मुसलमानों ने दिया केसर, तिरुपति बालाजी से आ रहा 3 टन लड्डू

ये भी पढे़ंः ज्ञानवापी परिसर में कड़ी सुरक्षा में हो रही वजूखाने की सफाई, कर्मियों के अलावा अन्य किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं

आगराः जिले के बहुचर्चित जगदीशपुरा करोड़ों की जमीन पर कब्जा मामले में फरार बिल्डर कमल चौधरी, धीरू चौधरी और पुरुषोत्तम पहलवान के कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए हैं. विवेचक की तीनों आरोपियों पर इनाम की संस्तुति करने की फाइल पर डीसीपी सिटी सूरज राय ने तीनों पर 10-10 हजार रुपये इनाम घोषित कर दिया गया है. इसके साथ ही तीनों आरोपियों की तलाश में दो स्पेशल टीमें लगाई हैं.

बता दें कि, शहर के जगदीशपुरा थाना क्षेत्र के बोदला में बैनारा फैक्ट्री के पास करोड़ों रुपए की दस हजार वर्ग गज जमीन पर कब्जा किया गया था. जिसके लिए खाकी, खादी, बिल्डर और दबंगों की मंडली ने पांच निर्दोषों को दो फर्जी मुकदमे लिखकर जेल भेजा था. कब्जा की जमीन की बाउंड्रीवाल कराकर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे. दो सिक्योरिटी गार्ड तैनात करके करके प्लॉट काटने की तैयारी कर ली थी. जब पीड़ित जेल से आए तो डीजीपी से शिकायत की. जिस पर आगरा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी हरकत में आए. फिर, जमीन की कथित मालकिन उमा देवी की तहरीर पर बिल्डर कमल चौधरी, धीरू चौधरी, एसओ जितेंद्र कुमार सहित 18 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.

जगदीशपुरा थाना पुलिस ने सबसे पहले अमित अग्रवाल को जेल भेजा था. उसके बाद एसओ जितेंद्र कुमार को जेल भेजा गया. दोनों की गिरफ्तारी के बाद भी रहस्यों से पर्दा नहीं उठा है. इस मामले में दोनों ने पूरा ठीकरा पुरुषोत्तम पहलवान के सिर पर फोड़ दिया गया. पुलिस खुद दूध की धुली बन गई. अब मामले के विवेचक जगदीशपुरा एसओ कुशलपाल सिंह ने आरोपियों के गैर जमानती वारंट के लिए डकैती कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था.

आरोपियों के खिलाफ गैरजमानती वारंट
विवेचक की पत्रावली के अवलोकन के बाद कोर्ट ने बिल्डर कमल चौधरी उनके बेटे धीरू चौधरी और पुरुषोत्तम पहलवान के गैर जमानती वारंट जारी किए हैं. इस बारे में डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि, एक भी आरोपित नहीं बचेगा. तीनों आरोपियों पर 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है. ये इनाम की रकम बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही तीनों आरोपियों के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जाएगा. अभी फरार तोनों इनामी आरोपियों को तलाश में दो स्पेशल टीमें संभावित स्थानों पर दबिश दे रही हैं.

कौन उजागर करेगा वीडियो का सच ?
जेल गए आरोपित एसओ जितेंद्र कुमार ने बताया था कि, एक वीडियो वायरल हुआ था. उसी के आधार पर दबिश दी थी. पुलिस ने अभी तक उस कैमरामैन से यह सवाल नहीं पूछा है कि, उसके पास वीडियो कहां से आया था. जिसने वीडियो बनाया होगा. आशंका है वह और उसके साथ अन्य भी इस साजिश में शामिल हो सकते हैं. इसी वायरल वीडियो में रवि कुशवाह और अरुण के नाम भी उजागर किए गए थे. यह दर्शाया था कि, दोनों मिलकर गांजा बेचते हैं. अरुण कौन है ? यह खुद पुलिस को नहीं पता है.

एसआईटी की जांच में भी नहीं खुल रहे राज
करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा के मामले में पुलिस खुद कठघरे में है. इसलिए एसआईटी की जांच भी कछुआ गति से आगे बढ़ रही है. अभी एक भी राज ऐसा नहीं खुला है. जो नया हो. एसआईटी की जांच में वे ठेकेदार अभी तक बचे हुए हैं. जो पुलिस से कोई भी काम कराने के ठेके लिया करते थे. जमीन के इस करोड़ों रुपए के खेल में भी ऐसे ही ठेकेदारों की भूमिका है.

निलंबन नहीं जेल भेजने की हो कार्रवाई
आगरा मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने एक बैठक में आबकारी अधिकारी को ऐसे प्रकरणों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं. उन्होंने आबकारी विभाग ने चार बीघा जमीन पर पीड़ित परिवार पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने तथा आबकारी निरीक्षक के निलंबन का संज्ञान लिया है. उनका कहना है कि, ऐसे गंभीर मामले में सामने आने पर निलंबन ही नहीं बल्कि आरोपी को जेल भी भेजा जाना चाहिए.

बाकी के खिलाफ एफआईआर का इंतजार
बता दें कि, पीड़ित ने नवंबर 2023 में डीजीपी ऑफिस में मामले की शिकायत हुई थी. जिस पर दिसंबर के आखिरी सप्ताह में मामला पुलिस के संज्ञान में आया था. मुकदमे में भी सिर्फ तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार को आरोपित बनाया है. जबकि एनडीपीएस का मुकदमा दरोगा विकास कुमार ने दर्ज कराया था. शराब का मुकदमा आबकारी विभाग की टीम ने दर्ज कराया था. मगर, मुकदमा लिखे 12 दिन बीत चुके हैं. अभी तक आबकारी विभाग और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

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