कुरुक्षेत्र: हरियाणा में कुरुक्षेत्र पुलिस ने अंतरराज्यीय चोरी और लूट मामलों में शामिल इनामी बदमाश को गिरफ्तार किया है. आरोपी के कब्जे से गन भी बरामद की गई है. साथ ही 6 जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए हैं. पुलिस और सीआरपीएफ के फर्जी आई कार्ड तथा फर्जी पैन कार्ड भी बरामद किए गए हैं. आरोपी का नाम सुनील कुमार उर्फ फौजी बताया जा रहा है. आरोपी कुरुक्षेत्र में गांव खासपुर का रहने वाला है.
असले के साथ घूमता था आरोपी: पुलिस अधीक्षक जशनदीप सिंह रंधावा ने बताया कि सीआईए की टीम पीपली फ्लाईओवर पर मौजूद थी. पुलिस को मामले संबंधी सूचना मिली थी. आरोपी पहले सीआरपीएफ में तैनात था. जिसके बाद वे अलग-अलग राज्यों में चोरी, लूट, हत्या की वारदात को अंजाम देता है. आरोपी सुनील कुमार उर्फ फौजी पर राजस्थान में भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. राजस्थान पुलिस ने आरोपी पर इनाम भी घोषित किया है. पुलिस ने बताया कि आरोपी पिछले कई समय से चंडीगढ़, कुरुक्षेत्र, करनाल में एच आर 40 ई- 6616 नंबर कार में घूम रहा था. उसके पास एक लोडिड असलहा भी रहता था.
हरियाणा पुलिस की वर्दी के पीछे छिपाई पहचान: आरोपी ने पहचान छिपाने के लिए हरियाणा पुलिस के नाम के फर्जी आई कार्ड बनाए हुए थे. कई बार पुलिस की तीन स्टार वर्दी पहनकर भी चोरी की वारदातों को अंजाम दे चुका है. आरोपी के खिलाफ सदर थानेसवर थाना में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. आरोपी को कोर्ट में पेश कर 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है.
आरोपी पर 15 हजार रुपये का इनाम घोषित: पुलिस अधीक्षक जशनदीप सिंह रंधावा ने बताया कि आरोपी सुनील तेलंगाना, महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में लूट और चोरी की वारदातों को अंजाम दे चुका है. आरोपी पर राजस्थान के जिला हनुमानगढ़ पुलिस चोरी के मामले में आरोपी पर 5 हजार रूपये का ईनाम घोषित किया था. उत्तर प्रदेश के थाना शामली में आरोपी ने पुलिस की वर्दी में थाना परिसर से गाड़ी चोरी की थी. यूपी पुलिस द्वारा मामला दर्ज करके आरोपी पर 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था. आरोपी 2018 से आपराधिक मामलों में शामिल हो गया है. सर्विस के दौरान ही आरोपी ने अपना लाइसेंस बनवा लिया था. जिसका इस्तेमाल वह टोल प्लाजा जैसी जगहों पर करता था.
8 साल तक की सर्विस: कुरुक्षेत्र के ही खासपुर के रहने वाले सुनील कुमार उर्फ फौजी वर्ष 2007 में बतौर सिपाही सीआरपीएफ में भर्ती हुआ. वर्ष 2016 तक तैनात रहा. इसी दौरान उसने अपनी पहचान के दर्जनों युवकों से सीआरपीएफ में भर्ती कराने की आड़ में लाखों रुपये ले लिए. जब वह युवकों को भर्ती नहीं करा सका और ना ही लिए गए रुपये लौटाए तो युवकों ने उसके कमांडिंग ऑफिसर से मुलाकात कर पूरे मामले जानकारी उनको दी. आरोपी पर मामला निपटाने व जांच शुरू होने का दबाव बनने लगा तो 2015 में छुट्टी आने के बाद वह दोबारा ड्यूटी पर नहीं पहुंचा. जिस कारण उसे सीआरपीएफ से डिसमिस कर दिया था.
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