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ट्राइबल क्षेत्र में भाजपा की हार की ये रही वजह, मंथन में डूबी बीजेपी को अभी से सताने लगी विधानसभा चुनाव की चिंता - Review of BJP defeat

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 6, 2024, 7:05 PM IST

BJP's defeat in Jharkhand. झारखंड में बीजेपी सभी ट्राइबल सीट हार गई. गुरुवार को रांची बीजेपी ऑफिस में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में हार की समीक्षा की गई और कमियों को सुधार कर विधानसभा चुनाव में मैदान में जाने का फैसला लिया गया.

BJP's defeat in Jharkhand
BJP's defeat in Jharkhand (BJP's defeat in Jharkhand)

रांची: लोकसभा चुनाव परिणाम से झारखंड बीजेपी को निराशा हाथ लगी है. निराशा हो भी क्यों नहीं जिस सेक्टर पर बीजेपी पिछले एक साल से अधिक समय से प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही थी उसे पाने में वो फेल हो गई. इस बार के चुनाव में भाजपा को उम्मीद थी कि सभी ट्राइबल सीटों को जीतने में वो कामयाब होगी मगर ऐसा हुआ नहीं.

2019 से भी खराब प्रदर्शन होने पर अब बीजेपी को नवंबर दिसंबर में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव की चिंता अभी से सताने लगी है. 2019 में एनडीए के खाते में राज्य की 14 में से 12 सीटें आई थी जबकि इस बार 2024 के चुनाव में 9 पर सिमट गई है. सबसे ज्यादा क्षति बीजेपी को ट्राइबल सीट पर हुआ है जो 2019 के लोकसभा चुनाव से भी खराब रहा. इस बार एक भी ट्रायबल सीट नहीं जीतना जनजातियों की बीजेपी के प्रति नाराजगी का साफ संकेत है. इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को देखना पड़ा था जब कोल्हान की सभी सीट गंवानी पड़ी थी जिसके कारण बीजेपी सरकार नहीं बना पाई.

लोकसभा चुनाव से सीख लेते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस दिखाने की रणनीति अभी से बननी शुरू हो गई है. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद पहली बार झारखंड बीजेपी की गुरुवार 06 जून को हुई बैठक में जहां नवनिर्वाचित पार्टी के सांसदों का अभिनंदन किया गया वहीं दूसरी ओर चुनाव परिणाम की आंशिक समीक्षा हुई. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पार्टी नेताओं के द्वारा ट्राइबल सीटों पर हुई हार के लिए लोकसभा एवं जिला स्तर पर समीक्षा बैठक कर कारणों को तलाशने का निर्णय लिया गया. इस मौके पर क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र जी के साथ साथ बाबूलाल मरांडी ने भी बैठक को संबोधित किया.

झारखंड में बीजेपी के हारने के पीछे ये रहा कारण

  1. मोदी की गारंटी की तुलना में लोगों ने विपक्ष के संविधान बदलने की बात को स्वीकारा
  2. पांच एससी सीटों में से चार में भाजपा को 40% से भी कम मिले वोट
  3. सरना धर्म कोड पर भाजपा की चुप्पी
  4. जनजातीय क्षेत्र में आदिवासी और मुस्लिम वोटों की गोलबंदी को तोड़ने में फेल रही बीजेपी
  5. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को भुनाने में सफल रहा विपक्ष
  6. शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में नहीं चला मोदी की गारंटी
  7. स्थानीय स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं में समन्वय का रहा अभाव
  8. ऐन वक्त पर प्रत्याशी बदलने का भी दिखा असर

विपक्ष ने संविधान बदलने पर भ्रम फैलाया-बाबूलाल

करीब दो घंटे तक बंद कमरे में चली झारखंड बीजेपी की बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा 50 विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही है जो सुखद संकेत है. आने वाले समय में होने वाले विधानसभा चुनाव में हम लोग मजबूती के साथ उतरेंगे. लोकसभा चुनाव में ट्राइबल सीटों पर हुई हार की पार्टी समीक्षा करेगी और विधानसभा चुनाव में उसे दूर कर हम पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे.

उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान विपक्ष द्वारा संविधान बदलने का भ्रम फैलाया गया जिसे रोकने में हम कमजोर रहे. नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि चुनाव परिणाम में भले ही हम 2019 की तुलना में तीन सीट कम लाये हैं और लक्ष्य से दूर रहे मगर राष्ट्रीय स्तर पर जो आंकड़ा देखेंगे तो अकेले बीजेपी ने जितनी सीट लाई है उससे कम विपक्षी दलों के द्वारा लाया गया है.

लोकसभा चुनाव के बाद हमारा लक्ष्य विधानसभा चुनाव पर है और हम मजबूती के साथ अपनी कमी को दूर करते हुए चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं. विधायक सी पी सिंह ने विपक्ष के द्वारा फैलाए गए भ्रम को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि हम चुनाव परिणाम की समीक्षा कर कमियों को दूर करेंगे. बैठक में सीता सोरेन, गीता कोड़ा, समीर उरांव, बीडी राम, संजय सेठ, नीलकंठ सिंह मुंडा सहित पार्टी के लोकसभा प्रभारी और पदाधिकारी मौजूद थे.

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2019 से भी खराब प्रदर्शन होने पर अब बीजेपी को नवंबर दिसंबर में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव की चिंता अभी से सताने लगी है. 2019 में एनडीए के खाते में राज्य की 14 में से 12 सीटें आई थी जबकि इस बार 2024 के चुनाव में 9 पर सिमट गई है. सबसे ज्यादा क्षति बीजेपी को ट्राइबल सीट पर हुआ है जो 2019 के लोकसभा चुनाव से भी खराब रहा. इस बार एक भी ट्रायबल सीट नहीं जीतना जनजातियों की बीजेपी के प्रति नाराजगी का साफ संकेत है. इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को देखना पड़ा था जब कोल्हान की सभी सीट गंवानी पड़ी थी जिसके कारण बीजेपी सरकार नहीं बना पाई.

लोकसभा चुनाव से सीख लेते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस दिखाने की रणनीति अभी से बननी शुरू हो गई है. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद पहली बार झारखंड बीजेपी की गुरुवार 06 जून को हुई बैठक में जहां नवनिर्वाचित पार्टी के सांसदों का अभिनंदन किया गया वहीं दूसरी ओर चुनाव परिणाम की आंशिक समीक्षा हुई. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पार्टी नेताओं के द्वारा ट्राइबल सीटों पर हुई हार के लिए लोकसभा एवं जिला स्तर पर समीक्षा बैठक कर कारणों को तलाशने का निर्णय लिया गया. इस मौके पर क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र जी के साथ साथ बाबूलाल मरांडी ने भी बैठक को संबोधित किया.

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  1. मोदी की गारंटी की तुलना में लोगों ने विपक्ष के संविधान बदलने की बात को स्वीकारा
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  5. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को भुनाने में सफल रहा विपक्ष
  6. शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में नहीं चला मोदी की गारंटी
  7. स्थानीय स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं में समन्वय का रहा अभाव
  8. ऐन वक्त पर प्रत्याशी बदलने का भी दिखा असर

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उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान विपक्ष द्वारा संविधान बदलने का भ्रम फैलाया गया जिसे रोकने में हम कमजोर रहे. नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि चुनाव परिणाम में भले ही हम 2019 की तुलना में तीन सीट कम लाये हैं और लक्ष्य से दूर रहे मगर राष्ट्रीय स्तर पर जो आंकड़ा देखेंगे तो अकेले बीजेपी ने जितनी सीट लाई है उससे कम विपक्षी दलों के द्वारा लाया गया है.

लोकसभा चुनाव के बाद हमारा लक्ष्य विधानसभा चुनाव पर है और हम मजबूती के साथ अपनी कमी को दूर करते हुए चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं. विधायक सी पी सिंह ने विपक्ष के द्वारा फैलाए गए भ्रम को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि हम चुनाव परिणाम की समीक्षा कर कमियों को दूर करेंगे. बैठक में सीता सोरेन, गीता कोड़ा, समीर उरांव, बीडी राम, संजय सेठ, नीलकंठ सिंह मुंडा सहित पार्टी के लोकसभा प्रभारी और पदाधिकारी मौजूद थे.

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