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उल्टी दिशा में बहने लगती है बिहार की यह नदी, हर बार बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं 10 गांव के लोग - Ganga Flowing In reverse Direction

REVERSE FLOW OF GANGA RIVER: शेखपुरा में गंगा उल्टी बहती नजर आती है. जिसकी वजह से 10 गांव के लोग बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं. मुआवजा नहीं मिलने की वजह से लोग सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हैं. यहां जानें कैसे बहती है उल्टी गंगा.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 15, 2024, 6:13 PM IST

शेखपुरा में जल जमाव क्षेत्र (ETV Bharat)

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा जिले का अभागा घाट कुसुंभा प्रखंड जहां के दो पंचायत के 10 गांव के लोग बाढ़ की विभीषिका तो झेलते हैं, लेकिन मुआवजा के हकदार नहीं है. सरकार की तरफ से उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता, जबकि उनके गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर लखीसराय जिले की सीमा शुरू हो जाती है, जहां लोगों को बाढ़ आने पर उन्हें सभी सरकारी सुविधा मिल जाती हैं.

कई गांव टापू बन जाते हैं टापू: शेखपुरा जिले को जल जमाव क्षेत्र घोषित किया गया है. हालांकि जब गंगा नदी का पानी पूरे टाल क्षेत्र में फैलना शुरू होती है तो पानापुर पंचायत और घाट कुसुम्भा के कई गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं. यही नहीं बाढ़ के दौरान उनका संपर्क प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक टूट जाता है.

क्यों उल्टी बहने लगती है नदी?: जानकारी के अनुसार जिले के घाट कुसुम्भा प्रखंड से हरोहर नदी बहते हुए लखीसराय जिले में जाकर गंगा नदी से मिलती है. अमूमन बरसात के समय ही इस नदी में पानी रहता है, बाकी गर्मियों के दिन में पानी लगभग सूख जाता है. बरसात के समय में जब गंगा नदी का जलस्तर अपने सीमा रेखा को लांघता है तब गंगा नदी का जलस्तर वापस पीछे की ओर आना शुरू हो जाता है. जिस कारण गंगा में जाकर मिलने वाली नदी में गंगा से ही पानी नदी में पीछे आने लगता है. गंगा के वाटर लेबल के बराबर होने तक यह नदी उल्टी दिशा में बहती है. जिसके चलते आसपास के 10 गांव प्रभावित हो जाते हैं.

Ganga Flowing In reverse Direction
शेखपुरा में गंगा नदी (ETV Bharat)

डूब जातें हैं कई क्षेत्र: इतना ज्यादा पानी आने के कारण शेखपुरा, मोकामा के साथ नालंदा का टाल क्षेत्र पूरी तरह से डूब जाता है. इस कारण शेखपुरा जिले के घाट कुसुम्भा प्रखंड का कई गांव टापू में तब्दील हो जाता है. वहां आने जाने के लिए मात्र नाव का ही सहारा बचता है. ऐसे में बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले लोगों को सरकारी मुआवजा नहीं मिलता, जिससे लोगों में काफी नाराजगी है.

गंगा नदी के जलस्तर ने बढ़ाई परेशानी: पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण यहां के पानापुर, जितवारपुर, कोयला, मोरवरिया, एजनीघाटज़ भदोसी, घाटकुसुम्भा सहित अन्य गांव पूरी तरह से डूब जाते हैं. फिलहाल मानसून को लेकर नदी में पानी भर आया है लेकिन गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि को देख यहां के लोग सहमे हुए हैं. अगर गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ता है तो फिर यह क्षेत्र बाढ़ की विभीषिका झलने को मजबूर हो जाएगा.

Ganga Flowing In reverse Direction
गंगा से मिलती है हरोहर नदी (ETV Bharat)

सौतेला व्यवहार कर रही सरकार: इस संबंध में जानकारी देते हुए स्थानीय लोगों ने कहा सरकार शेखपुरा जिले के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. कई वर्षों से यहां बाढ़ तो आता है परंतु सरकारी लाभ नहीं मिलता. बगल में ही लखीसराय जिले का बढ़हीया है, जहां उन्हें सब लाभ मिलता है. कई बार इस संबंध में अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों से बात की गई सिर्फ आश्वासन मिला आज तक कोई पहल नहीं की गई.

"ललन सिंह के द्वारा ही इस क्षेत्र को जल जमाव क्षेत्र घोषित किया गया है. बाढ़ के दौरान वह कई बार क्षेत्र का निरीक्षण करने तो आते हैं परंतु उनसे मांग करने के बाद भी इस क्षेत्र को लाभ नहीं मिला. यहां के जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में कुछ ठोस पहल नहीं करते हैं."-ग्रामीणों

पढ़ें-पटना में डराने लगी गंगा, दीघा घाट पर 52 सेंटीमीटर ऊपर चढ़ा पानी, सड़कें दरिया में तब्दील - Bihar Flood

शेखपुरा में जल जमाव क्षेत्र (ETV Bharat)

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा जिले का अभागा घाट कुसुंभा प्रखंड जहां के दो पंचायत के 10 गांव के लोग बाढ़ की विभीषिका तो झेलते हैं, लेकिन मुआवजा के हकदार नहीं है. सरकार की तरफ से उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता, जबकि उनके गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर लखीसराय जिले की सीमा शुरू हो जाती है, जहां लोगों को बाढ़ आने पर उन्हें सभी सरकारी सुविधा मिल जाती हैं.

कई गांव टापू बन जाते हैं टापू: शेखपुरा जिले को जल जमाव क्षेत्र घोषित किया गया है. हालांकि जब गंगा नदी का पानी पूरे टाल क्षेत्र में फैलना शुरू होती है तो पानापुर पंचायत और घाट कुसुम्भा के कई गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं. यही नहीं बाढ़ के दौरान उनका संपर्क प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक टूट जाता है.

क्यों उल्टी बहने लगती है नदी?: जानकारी के अनुसार जिले के घाट कुसुम्भा प्रखंड से हरोहर नदी बहते हुए लखीसराय जिले में जाकर गंगा नदी से मिलती है. अमूमन बरसात के समय ही इस नदी में पानी रहता है, बाकी गर्मियों के दिन में पानी लगभग सूख जाता है. बरसात के समय में जब गंगा नदी का जलस्तर अपने सीमा रेखा को लांघता है तब गंगा नदी का जलस्तर वापस पीछे की ओर आना शुरू हो जाता है. जिस कारण गंगा में जाकर मिलने वाली नदी में गंगा से ही पानी नदी में पीछे आने लगता है. गंगा के वाटर लेबल के बराबर होने तक यह नदी उल्टी दिशा में बहती है. जिसके चलते आसपास के 10 गांव प्रभावित हो जाते हैं.

Ganga Flowing In reverse Direction
शेखपुरा में गंगा नदी (ETV Bharat)

डूब जातें हैं कई क्षेत्र: इतना ज्यादा पानी आने के कारण शेखपुरा, मोकामा के साथ नालंदा का टाल क्षेत्र पूरी तरह से डूब जाता है. इस कारण शेखपुरा जिले के घाट कुसुम्भा प्रखंड का कई गांव टापू में तब्दील हो जाता है. वहां आने जाने के लिए मात्र नाव का ही सहारा बचता है. ऐसे में बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले लोगों को सरकारी मुआवजा नहीं मिलता, जिससे लोगों में काफी नाराजगी है.

गंगा नदी के जलस्तर ने बढ़ाई परेशानी: पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण यहां के पानापुर, जितवारपुर, कोयला, मोरवरिया, एजनीघाटज़ भदोसी, घाटकुसुम्भा सहित अन्य गांव पूरी तरह से डूब जाते हैं. फिलहाल मानसून को लेकर नदी में पानी भर आया है लेकिन गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि को देख यहां के लोग सहमे हुए हैं. अगर गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ता है तो फिर यह क्षेत्र बाढ़ की विभीषिका झलने को मजबूर हो जाएगा.

Ganga Flowing In reverse Direction
गंगा से मिलती है हरोहर नदी (ETV Bharat)

सौतेला व्यवहार कर रही सरकार: इस संबंध में जानकारी देते हुए स्थानीय लोगों ने कहा सरकार शेखपुरा जिले के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. कई वर्षों से यहां बाढ़ तो आता है परंतु सरकारी लाभ नहीं मिलता. बगल में ही लखीसराय जिले का बढ़हीया है, जहां उन्हें सब लाभ मिलता है. कई बार इस संबंध में अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों से बात की गई सिर्फ आश्वासन मिला आज तक कोई पहल नहीं की गई.

"ललन सिंह के द्वारा ही इस क्षेत्र को जल जमाव क्षेत्र घोषित किया गया है. बाढ़ के दौरान वह कई बार क्षेत्र का निरीक्षण करने तो आते हैं परंतु उनसे मांग करने के बाद भी इस क्षेत्र को लाभ नहीं मिला. यहां के जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में कुछ ठोस पहल नहीं करते हैं."-ग्रामीणों

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