सरगुजा : स्वच्छ भारत मिशन के तहत अंबिकापुर नगर निगम ने जल स्वच्छता और जल संवर्धन दोनों ही दिशा में एक बड़ी पहल की है. अब अंबिकापुर में घरों और नालों से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीट कर रियूज किया जायेगा. इससे ना सिर्फ पानी का दुरुपयोग कम होगा, बल्कि जल के प्राकृतिक श्रोत भी स्वच्छ हो सकेंगे.
शहर में 3 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट : जानकारी के मुताबिक, अंबिकापुर शहर के तीन बड़े नालों के एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाया जाना है. ये एसटीपी शहर के गंदे पानी को साफ करेंगे और उस पानी का दोबारा उपयोग भवन निर्माण, कृषि और सिंचाई कार्य में किया जा सकेगा. इसके उपयोग के बाद बचा हुआ पानी भी ट्रीट होने के बाद ही नदियों में छोड़ा जायेगा. इससे जलीय जंतुओं के संक्रमण का खतरा कम होगा. क्योंकि अंबिकापुर गंगा बेसिन शहरों में शामिल है. इस लिहाज से भी अब अंबिकापुर 100 फीसदी ट्रीटेड वाटर ही छोड़ेगा. जो गंगा में मिलकर उसे दूषित नहीं करेगा.
निर्माण कार्य की मिली स्वीकृति : एसबीएम के नोडल ऑफिसर रितेश सैनी ने बताया कि नगर निगम अंबिकापुर क्षेत्र में गंदे पानी के उपचार के लिए केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय सामने आया है. अमृत 2.0 मिशन अंतर्गत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण कार्य की स्वीकृति मिली है. इस प्लांट की स्थापना से नगर निगम अंबिकापुर में तरल अपशिष्ट का भी शत प्रतिशत प्रबंधन होगा. एसटीपी प्लांट के जरिए नगर के तीन मुख्य नाले की पानी का ट्रीटमेंट किया जाएगा.
अंबिकापुर के चंपा नाला, मुक्तिधाम नाला और सरगवां उद्यान नाला क्षेत्र में एसटीपी प्लांट की स्थापना की जानी है. वर्तमान में नगर से प्रतिदिन 18 एमएलडी अपशिष्ट जल उत्सर्जित हो रहा है. यह गंदा पानी इन नालों के जरिए बिना उपचार के जल स्रोत में मिलता है. लेकिन अब इस प्लांट में प्रदूषित जल का उपचार किया जाएगा. जिसके बाद प्लांट के उपचारित जल का फिर से उपयोग किया जा सकेगा. इस जल का उपयोग निर्माण कार्य, उद्यान एवं खेतों में सिंचाई कार्य सहित उद्योगों में किया जाएगा : रितेश सैनी, नोडल ऑफिसर, एसबीएम
तीन विधि से पानी का ट्रीटमेंट : जल शुद्धिकरण का नायाब फार्मूला बनाकर सुर्खियों में आए अम्बिकापुर के साइंटिस्ट डॉ प्रशांत बताते हैं कि घरों, होटलों और उद्योगों से निकलने वाले पानी में रासायनिक तत्व होते हैं. ये ना सिर्फ जलीय जीव को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि जमीन की उपजाऊ क्षमता को भी नष्ट करते हैं. एसटीपी प्लांट में तीन विधि से जल को ट्रीट किया जाता है. अन्य किसी भी प्रयोग में तीन विधि से जल शुद्धिकरण नहीं किया जाता.
पहले भौतिक विधि से पानी के भारी कणों को जमीन के बैठाया जाता है. उसके बाद रासायनिक विधि से युवी रेज और क्लोरीफिकेशन से पानी को ट्रीट किया जाता है. इसके बाद जैविक विधि में बैक्टीरिया के जरिए से पानी को शुद्ध किया जाता है. इसके बाद पानी का टीडीएस, पीएच, बीओडी, सीओडी नार्मल हो जाता है : डॉ प्रशांत, साइंटिस्ट
123.28 करोड़ रूपए की लागत : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सोमवार को सरगुजा जिले के दौरे पर रहे. इस दौरान सीएम साय ने नगर पालिक निगम अंबिकापुर क्षेत्र के लिए 3 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया. इन तीनों ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 46 एमएलडी होगी, जो करीब 123.28 करोड़ रूपए की लागत से बनाए जा रहे हैं.