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विधानसभा में अस्पतालों-मोहल्ला क्लीनिकों में दवाइयों की कमी और टेस्ट न होने पर संकल्प पत्र पेश - Shortage of medicines in hospitals

shortage of medicines in mohalla clinics Issue: दिल्ली विधानसभा में मोहल्ला क्लीनिकों और डिस्पेंसरी में दवाइयों की कमी का मामला उठा. इसके समाधान को लेकर संकल्प पत्र पेश किया गया. इसमें एक सप्ताह के अंदर मुख्य सचिव को समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया गया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 15, 2024, 8:09 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को सरकारी अस्पतालों, मोहल्ला क्लीनिकों और डिस्पेंसरी में दवाइयों की कमी और लैब जांच न होने का मुद्दा उठा. सदस्यों ने सदन को बताया कि दवाइयों और लैब जांच न होने की वजह से दिल्ली की गरीब जनता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मुद्दे का तत्काल समाधान निकालने को लेकर एक संकल्प पत्र पेश किया गया.

विधानसभा ने इसे ध्वनि मत से पास कर मुख्य सचिव को एक सप्ताह के अंदर दवाइयों की कमी और लैब जांच न होने की समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया है. साथ ही इस दौरान उठाए गए कदमों की रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री को सौंपने को कहा है. अब इस मुद्दे पर 22 मार्च को सदन में चर्चा की जाएगी. स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि एक टेंडर खत्म होने से पहले ही दूसरा टेंडर हो जाना चाहिए, लेकिन अफसर ऐसा नहीं कर रहे हैं. मौजूदा टेंडर भी मार्च में खत्म हो जाएगा, लेकिन अभी तक दवाइयों की आपूर्ति नहीं हुई है. इसके बाद भी केंद्र सरकार दोषी अफसरों पर कार्रवाई नहीं कर रही है.

यह भी पढ़ेंः विधानसभा में पानी और सीवर के मुद्दे पर संकल्प प्रस्ताव पास, शिकायत दूर करने में देरी की होगी जांच

संकल्प पत्र पर चर्चा के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गरीब लोगों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों की दवाईंया ही इकलौता माध्यम हैं. आज मोहल्ला क्लीनिक, अस्पतालों और डिस्पेंसरी में दवाईयों की कमी और लेबोरेटरी टेस्ट न होने से गरीब तबका काफी परेशान है. दवाईयों की आपूर्ति के लिए साधारण प्रक्रिया है. दिल्ली सरकार के लिए सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (सीपीए) दवाईयों की खरीद और वितरण करता है. इसके लिए बकायदा हर साल टेंडर निकाले जाते हैं. लोगों के लिए दवाईयों की कमी न हो, इसके लिए एक टेंडर के खत्म होने से पहले ही दूसरा टेंडर निकाला जाता है. यह प्रक्रिया लगातार इसी तरह चलते रहती है. दिल्ली विधानसभा में मुख्य सचेतक व विधायक दिलीप पांडेय ने संकल्प पत्र पेश किया.

संकल्प पत्र की मुख्य बातें

  1. दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक, अस्पतालों और डिस्पेंसरी में दवाइयां/ अन्य सामग्री, लेबोरेटरी टेस्ट और अन्य सुविधाओं की कमी की समस्याओं को युद्ध स्तर पर तुरंत हल किया जाए.
  2. कमियों को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे.
  3. मुख्य सचिव एक सप्ताह के भीतर इन कमियों को दूर करें और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
  4. इस मामले को लेकर शुक्रवार यानी 22 मार्च 2024 की सुबह 11 बजे दिल्ली विधानसभा की बैठक होगी, जिसमें मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से स्वास्थ्य मंत्री के माध्यम से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे.

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को सरकारी अस्पतालों, मोहल्ला क्लीनिकों और डिस्पेंसरी में दवाइयों की कमी और लैब जांच न होने का मुद्दा उठा. सदस्यों ने सदन को बताया कि दवाइयों और लैब जांच न होने की वजह से दिल्ली की गरीब जनता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मुद्दे का तत्काल समाधान निकालने को लेकर एक संकल्प पत्र पेश किया गया.

विधानसभा ने इसे ध्वनि मत से पास कर मुख्य सचिव को एक सप्ताह के अंदर दवाइयों की कमी और लैब जांच न होने की समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया है. साथ ही इस दौरान उठाए गए कदमों की रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री को सौंपने को कहा है. अब इस मुद्दे पर 22 मार्च को सदन में चर्चा की जाएगी. स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि एक टेंडर खत्म होने से पहले ही दूसरा टेंडर हो जाना चाहिए, लेकिन अफसर ऐसा नहीं कर रहे हैं. मौजूदा टेंडर भी मार्च में खत्म हो जाएगा, लेकिन अभी तक दवाइयों की आपूर्ति नहीं हुई है. इसके बाद भी केंद्र सरकार दोषी अफसरों पर कार्रवाई नहीं कर रही है.

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संकल्प पत्र पर चर्चा के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गरीब लोगों को इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों की दवाईंया ही इकलौता माध्यम हैं. आज मोहल्ला क्लीनिक, अस्पतालों और डिस्पेंसरी में दवाईयों की कमी और लेबोरेटरी टेस्ट न होने से गरीब तबका काफी परेशान है. दवाईयों की आपूर्ति के लिए साधारण प्रक्रिया है. दिल्ली सरकार के लिए सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (सीपीए) दवाईयों की खरीद और वितरण करता है. इसके लिए बकायदा हर साल टेंडर निकाले जाते हैं. लोगों के लिए दवाईयों की कमी न हो, इसके लिए एक टेंडर के खत्म होने से पहले ही दूसरा टेंडर निकाला जाता है. यह प्रक्रिया लगातार इसी तरह चलते रहती है. दिल्ली विधानसभा में मुख्य सचेतक व विधायक दिलीप पांडेय ने संकल्प पत्र पेश किया.

संकल्प पत्र की मुख्य बातें

  1. दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक, अस्पतालों और डिस्पेंसरी में दवाइयां/ अन्य सामग्री, लेबोरेटरी टेस्ट और अन्य सुविधाओं की कमी की समस्याओं को युद्ध स्तर पर तुरंत हल किया जाए.
  2. कमियों को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे.
  3. मुख्य सचिव एक सप्ताह के भीतर इन कमियों को दूर करें और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
  4. इस मामले को लेकर शुक्रवार यानी 22 मार्च 2024 की सुबह 11 बजे दिल्ली विधानसभा की बैठक होगी, जिसमें मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से स्वास्थ्य मंत्री के माध्यम से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे.
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