जयपुरः रेरा ने एक महत्वपूर्ण फैसले में फ्लैट आवंटियों के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए कहा है कि बैंक की ओर से बिल्डर के लोन की वसूली आवंटियों के फ्लैट बेचकर नहीं की जा सकती. वहीं, रेरा ने बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को निर्देश दिया है कि वह प्रार्थी के फ्लैट का बेचान नहीं करे और उसके पक्ष में एनओसी जारी करे. रेरा की अध्यक्ष वीनू गुप्ता ने यह आदेश सुरेन्द्र कुमार के परिवाद पर दिया.
रेरा ने कहा कि रेरा एक्ट के तहत आवंटियों को दिए गए अधिकारों को सरफेसाई एक्ट की कार्रवाई के तहत खत्म नहीं कर सकते. ऐसे में बैंक ना तो आवंटियों के फ्लैट्स बेच सकता है और ना ही उन्हें इसके उपयोग करने से रोक सकता है. बैंक बिल्डर की प्रॉपर्टी को बेचकर अपने लोन की वसूली कर सकता है.
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मामले से जुडे़ अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि प्रार्थी ने कोटा की आकृति लैंड कोन कंपनी के आवासीय प्रोजेक्ट श्रीनाथ ओएसिस में सितंबर, 2015 में 25 लाख रुपए में एक फ्लैट बुक कराया. उसकी कीमत का भुगतान कर दिया. उसने सेल डीड के जरिए फ्लैट का कब्जा भी ले लिया. वहीं, वर्ष 2023 में बैंक ने बिल्डिंग के बाहर एक नोटिस चस्पा करते हुए कहा कि बिल्डर ने प्रोजेक्ट को गिरवी रख बैंक से 15 करोड़ रुपए का लोन लिया था, जिसे चुकाया नहीं है.
ऐसे में प्रार्थी सहित अन्य फ्लैट्स को कब्जे में लिया जाएगा और उनका बेचान कर बैंक के लोन की वसूली की जाएगी. बैंक की इस कार्रवाई को प्रार्थी सहित अन्य ने रेरा में चुनौती देते हुए कहा कि बैंक को बिल्डर को दिए गए लोन की वसूली आवंटियों से करने का अधिकार नहीं है, इसलिए बैंक की ओर से उनके फ्लैट्स के बेचान करने पर रोक लगाई जाए.