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झामुमो के साथ-साथ बाबूलाल मरांडी के लिए भी प्रतिष्ठा की लड़ाई है संथाल, साख बचाने के लिए लगा रहे एड़ी चोटी का जोर - Lok Sabha Election 2024

Babulal Marandi, Shibu Soren. संथाल में अंतिम चरण में चुनाव होने वाला है. यहां पर तीनों सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस-जेएमएम के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है. यहां पर बाबूलाल मरांडी और जेएमएम दोनों की साख की लड़ाई है.

LOK SABHA ELECTION 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 24, 2024, 9:30 PM IST

रांची: लोकसभा आम चुनाव- 2024 के अंतिम चरण में 01 जून को राज्य के तीन लोकसभा सीट दुमका, राजमहल और गोड्डा में मतदान होगा. संथाल क्षेत्र में अंतिम चरण में होने वाले इन तीन लोकसभा सीट पर अब NDA और INDIA ने सारी ताकत झोंक दी है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जहां आज गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में चुनावी सभा की. वहीं 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा होने वाली है.

कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के बयान (ईटीवी भारत)


संथाल की राजनीति में अपना वर्चस्व स्थापित करना कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि INDIA (झामुमो, राजद, कांग्रेस और माले) के नेताओं और स्टार प्रचारकों ने भी पूरी ताकत झोंक दी है. संथाल की राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई जितना दिशोम गुरु शिबू सोरेन और झामुमो के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण भाजपा और उसके प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के लिए भी है.

2019 में संथाल की दो सीट पर जीती थी भाजपा*

बाबूलाल मरांडी के लिए लोकसभा चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बाबूलाल मरांडी की कर्मभूमि रही है. दुमका से वह सांसद भी रहे हैं. ऐसे में संथाल की 03 लोकसभा सीट पर भाजपा की कोशिश न सिर्फ क्लीन स्वीप करने की है बल्कि अपनी साख बचाने की भी है.

सीता सोरेन को संसद पहुंचाने की जवाबदेही भी बाबूलाल पर

प्रदेश की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि भाजपा और बाबूलाल मरांडी के लिए संथाल का चुनावी जंग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि झामुमो की विधायक और सोरेन परिवार की बहू को पार्टी में शामिल कराकर उन्हें दुमका से उम्मीदवार बनाया है. अगर सीता सोरेन चुनाव नहीं जीत पाती हैं तो उसका अच्छा मैसेज राज्य की राजनीति में नहीं जाएगा.

झामुमो के लिए भी संथाल में करो या मरो वाली स्थिति

संथाल की तीन लोकसभा सीट राजमहल, दुमका और गोड्डा में जीत, जितना बाबूलाल मरांडी के साख बचाने के लिए जरूरी है उतना ही प्रतिष्ठा का विषय झामुमो और सोरेन परिवार के लिए भी है. दुमका लोकसभा सीट झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की परम्परागत सीट रही है. 2019 के मोदी लहर में चुनाव में वह भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन से हार गए थे. अब संथाल की लड़ाई झामुमो के लिए न सिर्फ राजमहल सीट बचाने की है बल्कि दुमका सीट पर पुनर्वापसी और गोड्डा सीट भाजपा से झटक कर कांग्रेस की झोली में डालने की है.

संथाल के तीनों सीट जीतेंगे- बाबूलाल की संथाल में राजनीतिक हैसियत का पता 04 जून को चल जाएगा- कांग्रेस

संथाल की तीन लोकसभा सीट को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि संथाल की जनता ने 400 के पार और संविधान बदलने की बात कहने वाली भाजपा की विदाई का मन बना लिया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि झारखंड और संथाल की राजनीति से 04 जून के बाद बाबूलाल मरांडी अप्रासंगिक हो जायेंगे.

संथाल से सुखद नतीजे आयेगे- भाजपा

वहीं, भारतीय जनता पार्टी, झारखंड के प्रवक्ता अवनीश कुमार सिंह ने कहा कि हमारे लिए सभी लोकसभा सीट महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि संथाल में हमारे सभी कार्यकर्ता-नेता लगे हुए हैं ऐसे में वहां का नतीजा भी भाजपा के लिए सुखद होगा.


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संथाल की राजनीति में अपना वर्चस्व स्थापित करना कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि INDIA (झामुमो, राजद, कांग्रेस और माले) के नेताओं और स्टार प्रचारकों ने भी पूरी ताकत झोंक दी है. संथाल की राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई जितना दिशोम गुरु शिबू सोरेन और झामुमो के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण भाजपा और उसके प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के लिए भी है.

2019 में संथाल की दो सीट पर जीती थी भाजपा*

बाबूलाल मरांडी के लिए लोकसभा चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बाबूलाल मरांडी की कर्मभूमि रही है. दुमका से वह सांसद भी रहे हैं. ऐसे में संथाल की 03 लोकसभा सीट पर भाजपा की कोशिश न सिर्फ क्लीन स्वीप करने की है बल्कि अपनी साख बचाने की भी है.

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झामुमो के लिए भी संथाल में करो या मरो वाली स्थिति

संथाल की तीन लोकसभा सीट राजमहल, दुमका और गोड्डा में जीत, जितना बाबूलाल मरांडी के साख बचाने के लिए जरूरी है उतना ही प्रतिष्ठा का विषय झामुमो और सोरेन परिवार के लिए भी है. दुमका लोकसभा सीट झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की परम्परागत सीट रही है. 2019 के मोदी लहर में चुनाव में वह भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन से हार गए थे. अब संथाल की लड़ाई झामुमो के लिए न सिर्फ राजमहल सीट बचाने की है बल्कि दुमका सीट पर पुनर्वापसी और गोड्डा सीट भाजपा से झटक कर कांग्रेस की झोली में डालने की है.

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संथाल की तीन लोकसभा सीट को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि संथाल की जनता ने 400 के पार और संविधान बदलने की बात कहने वाली भाजपा की विदाई का मन बना लिया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि झारखंड और संथाल की राजनीति से 04 जून के बाद बाबूलाल मरांडी अप्रासंगिक हो जायेंगे.

संथाल से सुखद नतीजे आयेगे- भाजपा

वहीं, भारतीय जनता पार्टी, झारखंड के प्रवक्ता अवनीश कुमार सिंह ने कहा कि हमारे लिए सभी लोकसभा सीट महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि संथाल में हमारे सभी कार्यकर्ता-नेता लगे हुए हैं ऐसे में वहां का नतीजा भी भाजपा के लिए सुखद होगा.


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