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गणतंत्र दिवस पर सतना जेल से 16 बंदियों की हुई रिहाई, 4 सगे भाई भी शामिल

Satna Prisoners Released From Jail: गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के अवसर पर सभी जेलों से करीब 161 सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई की गई है. सतना के केंद्रीय जेल में 16 बंदियों की रिहाई की गई है.

Satna Prisoners released from Jail
गणतंत्र दिवस पर सतना जेल से 16 बंदियों की हुई रिहाई
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 26, 2024, 6:58 PM IST

गणतंत्र दिवस पर सतना जेल से 16 बंदियों की हुई रिहाई

सतना। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के अवसर पर आज सतना के केंद्रीय जेल से 16 बंदियों की रिहाई की गई. जिनमें से 15 पुरुष और एक महिला बंदी शामिल है. बड़ी बात यह है कि इन 16 बंदियों में से चार सगे भाई एक साथ आजीवन कारावास की सजा काटकर आज रिहाई से मुक्त हुए.

161 सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई की गई

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के अवसर पर सभी जेलों से करीब 161 सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई की गई है. इसी के तहत सतना के केंद्रीय जेल में 16 बंदियों की रिहाई की गई है. इन बंदियों में से सतना जिले के 4 बंदी, मैहर का 1 बंदी, पन्ना जिले के 4 बंदी, छतरपुर जिले के 7 बंदियों की रिहाई हुई. जिनमें से 15 पुरुष और एक महिला बंदी शामिल है. बड़ी बात यह है कि केंद्रीय जेल में इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर 16 बंदियों में से एक ही परिवार के सगे भाइयों की रिहाई की गई है. जानकारी के मुताबिक यह चारों भाई मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बिजावर के धामपुर ग्राम के निवासी है.

हत्या के आरोप में चारों भाई जेल में बंद

वर्ष 2009 में इन चारों भाइयों की गांव के ही नजदीक रहने वाले असाटी परिवार से ढाई एकड़ जमीन को लेकर विवाद हो गया था. चारों भाइयों का कहना था कि यह जमीन हमारी है. इस जमीन से अपना कब्जा हटा लो, कई बार समझाया. इसके बाद भी कुछ और विवाद हुए. अंतत दोनों परिवार में सन 2009 में जमकर लाठी डंडे चले. जिनमें से चारों भाइयों ने मिलकर असाटी परिवार के दो भाइयों को मौत के घाट उतार दिया. फिर क्या था पीड़ित पक्ष ने मामला दर्ज कराया. मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने चारों भाइयों को गिरफ्तार किया. चारों भाइयों में लखनलाल दुबे, कमलेश दुबे, लक्ष्मी प्रसाद दुबे, विनोद दुबे को पुलिस ने न्यायालय पेश किया. जहां से चारों भाइयों को न्यायालय से जेल भेज दिया गया.

यहां पढ़ें...

2009 से अभी तक करीब 14 वर्ष से अधिक आजीवन कारावास की सजा चारों भाइयों जेल के अंदर कटी. इसके बाद आज चारों भाइयों की एक साथ रिहाई हुई. चारों भाइयों में बेहद उत्साह दिखाई दिया. वहीं सभी बंदियों के रिहाई पर केंद्रीय जेल अधीक्षक लीना कोष्टा ने सभी बंदियों को सुंदरकांड और एक पौधा देकर उन्हें जीवन में अच्छे कार्य करने के लिए समझाइए और यह कहा कि अपना जीवन धार्मिक और सामाजिक रूप से आगे बढ़े.

गणतंत्र दिवस पर सतना जेल से 16 बंदियों की हुई रिहाई

सतना। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के अवसर पर आज सतना के केंद्रीय जेल से 16 बंदियों की रिहाई की गई. जिनमें से 15 पुरुष और एक महिला बंदी शामिल है. बड़ी बात यह है कि इन 16 बंदियों में से चार सगे भाई एक साथ आजीवन कारावास की सजा काटकर आज रिहाई से मुक्त हुए.

161 सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई की गई

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के अवसर पर सभी जेलों से करीब 161 सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई की गई है. इसी के तहत सतना के केंद्रीय जेल में 16 बंदियों की रिहाई की गई है. इन बंदियों में से सतना जिले के 4 बंदी, मैहर का 1 बंदी, पन्ना जिले के 4 बंदी, छतरपुर जिले के 7 बंदियों की रिहाई हुई. जिनमें से 15 पुरुष और एक महिला बंदी शामिल है. बड़ी बात यह है कि केंद्रीय जेल में इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर 16 बंदियों में से एक ही परिवार के सगे भाइयों की रिहाई की गई है. जानकारी के मुताबिक यह चारों भाई मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बिजावर के धामपुर ग्राम के निवासी है.

हत्या के आरोप में चारों भाई जेल में बंद

वर्ष 2009 में इन चारों भाइयों की गांव के ही नजदीक रहने वाले असाटी परिवार से ढाई एकड़ जमीन को लेकर विवाद हो गया था. चारों भाइयों का कहना था कि यह जमीन हमारी है. इस जमीन से अपना कब्जा हटा लो, कई बार समझाया. इसके बाद भी कुछ और विवाद हुए. अंतत दोनों परिवार में सन 2009 में जमकर लाठी डंडे चले. जिनमें से चारों भाइयों ने मिलकर असाटी परिवार के दो भाइयों को मौत के घाट उतार दिया. फिर क्या था पीड़ित पक्ष ने मामला दर्ज कराया. मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने चारों भाइयों को गिरफ्तार किया. चारों भाइयों में लखनलाल दुबे, कमलेश दुबे, लक्ष्मी प्रसाद दुबे, विनोद दुबे को पुलिस ने न्यायालय पेश किया. जहां से चारों भाइयों को न्यायालय से जेल भेज दिया गया.

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2009 से अभी तक करीब 14 वर्ष से अधिक आजीवन कारावास की सजा चारों भाइयों जेल के अंदर कटी. इसके बाद आज चारों भाइयों की एक साथ रिहाई हुई. चारों भाइयों में बेहद उत्साह दिखाई दिया. वहीं सभी बंदियों के रिहाई पर केंद्रीय जेल अधीक्षक लीना कोष्टा ने सभी बंदियों को सुंदरकांड और एक पौधा देकर उन्हें जीवन में अच्छे कार्य करने के लिए समझाइए और यह कहा कि अपना जीवन धार्मिक और सामाजिक रूप से आगे बढ़े.

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