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रजिस्ट्रार निचली अदालत के पीठासीन अधिकारी को बुलाकर दें हिदायत - Rajasthan High Court

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 31, 2024, 7:14 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रार निचली अदालत के पीठासीन अधिकारी को बुलाकर हिदायत दें. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने भरण पोषण के मामले में हाईकोर्ट के रोक के आदेश पर निचली अदालत की ओर से अनुचित भाषा का उपयोग करने के मामले में संबंधित पीठासीन अधिकारी को तलब किया है. अदालत ने रजिस्ट्रार न्यायिक को कहा है कि वह संबंधित न्यायिक अधिकारी को अपने कक्ष में बुलाकर उनकी ओर से उपयोग में ली गई भाषा के बारे में जागरूक करें.

जस्टिस अशोक जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आर्मी ऑफिसर पति के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए. पति की ओर से अधिवक्ता प्रखर गुप्ता ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने 14 जुलाई, 2023 को आदेश जारी कर प्रार्थी को अपनी पत्नी को मासिक 50 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर हाईकोर्ट ने गत 24 जनवरी को निचली अदालत के आदेश पर इस शर्त पर रोक लगा दी कि प्रार्थी एक जनवरी, 2022 से 32 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता राशि की गणना कर दो माह में संपूर्ण राशि जमा करा देगा.

पढ़ें : रिटायर के एक दिन पहले अलवर दुग्ध संघ के एमडी का निलंबन रद्द - Rajasthan High Court

प्रार्थी की ओर से कहा गया कि निचली अदालत ने गत 14 मई को हाईकोर्ट के आदेश को दो माह से अधिक होना बताकर स्टे को अपने स्तर पर निरस्त कर दिया और उसके खिलाफ आगामी कार्रवाई अमल में लाना शुरू कर दिया. प्रार्थना पत्र में कहा कि निचली अदालत हाईकोर्ट के आदेश का निरस्त नहीं कर सकती है. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने निचली अदालत के पीठासीन अधिकारी को तलब किया है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने भरण पोषण के मामले में हाईकोर्ट के रोक के आदेश पर निचली अदालत की ओर से अनुचित भाषा का उपयोग करने के मामले में संबंधित पीठासीन अधिकारी को तलब किया है. अदालत ने रजिस्ट्रार न्यायिक को कहा है कि वह संबंधित न्यायिक अधिकारी को अपने कक्ष में बुलाकर उनकी ओर से उपयोग में ली गई भाषा के बारे में जागरूक करें.

जस्टिस अशोक जैन की एकलपीठ ने यह आदेश आर्मी ऑफिसर पति के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए. पति की ओर से अधिवक्ता प्रखर गुप्ता ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने 14 जुलाई, 2023 को आदेश जारी कर प्रार्थी को अपनी पत्नी को मासिक 50 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर हाईकोर्ट ने गत 24 जनवरी को निचली अदालत के आदेश पर इस शर्त पर रोक लगा दी कि प्रार्थी एक जनवरी, 2022 से 32 हजार रुपये मासिक गुजारा भत्ता राशि की गणना कर दो माह में संपूर्ण राशि जमा करा देगा.

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प्रार्थी की ओर से कहा गया कि निचली अदालत ने गत 14 मई को हाईकोर्ट के आदेश को दो माह से अधिक होना बताकर स्टे को अपने स्तर पर निरस्त कर दिया और उसके खिलाफ आगामी कार्रवाई अमल में लाना शुरू कर दिया. प्रार्थना पत्र में कहा कि निचली अदालत हाईकोर्ट के आदेश का निरस्त नहीं कर सकती है. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने निचली अदालत के पीठासीन अधिकारी को तलब किया है.

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