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हाईकोर्ट ने कहा- आपरा​धिक मुकदमों की जानकारी छिपाने पर नौकरी देने से इनकार करना अन्यायपूर्ण - ALLAHABAD HIGH COURT

आपराधिक मामले छिपाने के आधार पर याची को कांस्टेबल के पद पर नियु​क्ति करने से इनकार किया गया था.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 12, 2024, 9:21 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ दर्ज आपरा​धिक मुकदमा की जानकारी छिपाने के आधार पर किसी को नौकरी न देना अन्यायपूर्ण है. आवेदक नियु​क्ति के लिए योग्य है, तो मामूली प्रकृति के या छोटे अपराध के मामले में दी गई गलत जानकारी को नजरअंदाज किया जा सकता है.

अदालत ने बलिया के पुलिस अधीक्षक के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने आपराधिक मामले को छिपाने के आधार पर याची को कांस्टेबल के पद पर नियु​क्ति देने से इनकार कर दिया था. यह आदेश सलिल कुमार राय की अदालत ने बलिया निवासी आशीष कुमार राजभर की याचिका पर दिया. याची उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की ओर से 2015 में निकाली गई पोस्ट में कांस्टेबल पद के लिए चुना गया था. नियु​क्ति के बाद जून 2018 में उसने अपना हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला न दर्ज है, न लंबित है.

एसपी को पता चला कि अप्रैल 2017 में याची पर एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. इसका उल्लेख हलफनामे में नहीं किया गया. याची ने बाद में दूसरा हलफनामा दायर कर इस तथ्य का खुलासा किया कि उसके खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन आरोप पत्र में उसका नाम नहीं था. जिला मजिस्ट्रेट की सिफारिश के बावजूद, एसपी बलिया ने याची के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रारंभिक हलफनामे में आपराधिक मामला छिपाया गया था. याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी.

ये भी पढ़ें- दो शादी करने वाले शिक्षक के निलंबन पर हाईकोर्ट ने लगायी रोक, बीएसए से जवाब तलब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ दर्ज आपरा​धिक मुकदमा की जानकारी छिपाने के आधार पर किसी को नौकरी न देना अन्यायपूर्ण है. आवेदक नियु​क्ति के लिए योग्य है, तो मामूली प्रकृति के या छोटे अपराध के मामले में दी गई गलत जानकारी को नजरअंदाज किया जा सकता है.

अदालत ने बलिया के पुलिस अधीक्षक के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने आपराधिक मामले को छिपाने के आधार पर याची को कांस्टेबल के पद पर नियु​क्ति देने से इनकार कर दिया था. यह आदेश सलिल कुमार राय की अदालत ने बलिया निवासी आशीष कुमार राजभर की याचिका पर दिया. याची उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की ओर से 2015 में निकाली गई पोस्ट में कांस्टेबल पद के लिए चुना गया था. नियु​क्ति के बाद जून 2018 में उसने अपना हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला न दर्ज है, न लंबित है.

एसपी को पता चला कि अप्रैल 2017 में याची पर एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. इसका उल्लेख हलफनामे में नहीं किया गया. याची ने बाद में दूसरा हलफनामा दायर कर इस तथ्य का खुलासा किया कि उसके खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन आरोप पत्र में उसका नाम नहीं था. जिला मजिस्ट्रेट की सिफारिश के बावजूद, एसपी बलिया ने याची के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रारंभिक हलफनामे में आपराधिक मामला छिपाया गया था. याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी.

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