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बिहार में दिखा नारंगी रंग का सांप, चाकू की तरह नुकीले होते हैं इसके दांत, देखें वीडियो

Oligodon Kheriensis Snake: वाल्मीकीनगर में एक अतिदुर्लभ नारंगी रंग का सांप मिला है. इस सांप की क्या खासिसत है, आगे पढ़ें और देखें वीडियो.

बगहा में मिला रेड कोरल कुकरी सांप
बगहा में मिला रेड कोरल कुकरी सांप (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 9, 2024, 6:18 PM IST

पश्चिम चंपारण (बगहा) : आप कई बार ऐसे जीव-जंतु से रू-ब-रू होते हैं कि हैरत में पड़ जाते हैं. बिहार के बगहा में इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है. अजीबो-गरीब जीव-जंतु से लोगों का सामना हो रहा है. कभी 30 किलो की कछुआ मिलता है तो कभी हवा में उड़ने वाला सांप.

लाल मूंगा कुकरी सांप दिखा : इसी कड़ी में बुधवार को इंडो नेपाल सीमा पर अवस्थित वाल्मीकीनगर के बिसहां गांव से बेहद दुर्लभ और नायाब लाल रंग के सांप का रेस्क्यू किया गया है. मूंगा कलर के होने की वजह से इसे "लाल मूंगा कुकरी" या "रेड कोरल कुकरी" सांप के नाम से जाना जाता है. भारत में पहली बार इस सांप को 1936 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी क्षेत्र में देखा गया था. बिहार में पहली बार यह दुर्लभ सांप आज से छह माह पूर्व वीटीआर जंगल में ही मिला था.

लाल मूंगा कुकरी का रेस्क्यू. (Etv Bharat)

'इसका दांत काफी नुकीला होता है' : नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ सोसायटी के फील्ड मैनेजर अभिषेक ने बताया कि इस सांप का वैज्ञानिक नाम ओलिगोडोन खेरिएन्सिस से है. इसका दांत काफी नुकीला होता है, जो कि नेपाल में गोरखाओं के कुकरी या घुमावदार चाकू जैसा होता है. इसका शरीर लाल, नारंगी और दांत ब्लेड की तरह घुमावदार होने के कारण इसको लाल मूंगा कुकरी कहा जाता है.

''यह जहरीला नहीं होता है और बिल बनाकर रहता है. ज्यादातर रात के समय एक्टिव होता है. छोटे छोटे जीव और कीट समेत दीमक और चींटियों के अंडे और लार्वा खाता है.''- अभिषेक, फील्ड मैनेजर, नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ सोसायटी

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (Etv Bharat)

'VTR सांपों का पसंदीदा बसेरा' : वन्य जीव जंतुओं के जानकार वी डी संजू बताते हैं कि हिमालय पर्वतमाला का तापमान और मिट्टी इस सांप के आवास के लिए काफी उपयुक्त है. इसलिए यह नेपाल और उससे सटे भारतीय क्षेत्र में पाए जाते हैं, लेकिन विरले ही देखने को मिलते हैं. फिलहाल वाल्मिकी टाइगर रिजर्व केवल टाइगर ही नहीं, बल्कि सांपों का भी पसंदीदा बसेरा बनकर उभरा है. यहां सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं.

''यह रेड कोरल कुकरी काफी दुर्लभ है. यह सांप बेहद शर्मीले होते हैं और इतना दुर्लभ कि इसे भारत में बेहद कम ही देखा गया है. ऐसे में लगातार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की वजह से बहुत नये प्रजाति के सांप दिख रहे हैं. भविष्य में और भी सरीसृप देखने को मिल सकते हैं.''- वी डी संजू, वन्य जीव जंतुओं के जानकार

बिसहां गांव से रेड कोरल कुकरी सांप का रेस्क्यू.
बिसहां गांव से रेड कोरल कुकरी सांप का रेस्क्यू. (ETV Bharat)

सांप को सुरक्षित जंगल में छोड़ा गया : वन संरक्षक सह वन निदेशक डॉ नेशामणि के ने बताया कि रेड कोरल कुकरी सांप वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 4 के तहत सूचीबद्ध है और यह अति दुर्लभ श्रेणी में आता है. वाल्मीकीनगर में वन्य जीवों का रेस्क्यू करने वाले वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सुनील कुमार ने इस सांप का रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया है.

सुनील कुमार ने जंगल में छोड़ा सांप.
सुनील कुमार ने जंगल में छोड़ा सांप. (Etv Bharat)

बाढ़ का साइड इफेक्ट : नेपाल से आई बाढ़ के बाद आबादी वाले इलाकों में अलग-अलग प्रजातियों के सांप और जीव देखने को मिल रहे हैं. इनमें से कुछ सामान्य जीव हैं तो कुछ इतने दुर्लभ की बेहद कम देखने को मिलते हैं. इस अति संरक्षित लाल सांप की खासियत से लोग भी आश्चर्यचकित हैं.

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पश्चिम चंपारण (बगहा) : आप कई बार ऐसे जीव-जंतु से रू-ब-रू होते हैं कि हैरत में पड़ जाते हैं. बिहार के बगहा में इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है. अजीबो-गरीब जीव-जंतु से लोगों का सामना हो रहा है. कभी 30 किलो की कछुआ मिलता है तो कभी हवा में उड़ने वाला सांप.

लाल मूंगा कुकरी सांप दिखा : इसी कड़ी में बुधवार को इंडो नेपाल सीमा पर अवस्थित वाल्मीकीनगर के बिसहां गांव से बेहद दुर्लभ और नायाब लाल रंग के सांप का रेस्क्यू किया गया है. मूंगा कलर के होने की वजह से इसे "लाल मूंगा कुकरी" या "रेड कोरल कुकरी" सांप के नाम से जाना जाता है. भारत में पहली बार इस सांप को 1936 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी क्षेत्र में देखा गया था. बिहार में पहली बार यह दुर्लभ सांप आज से छह माह पूर्व वीटीआर जंगल में ही मिला था.

लाल मूंगा कुकरी का रेस्क्यू. (Etv Bharat)

'इसका दांत काफी नुकीला होता है' : नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ सोसायटी के फील्ड मैनेजर अभिषेक ने बताया कि इस सांप का वैज्ञानिक नाम ओलिगोडोन खेरिएन्सिस से है. इसका दांत काफी नुकीला होता है, जो कि नेपाल में गोरखाओं के कुकरी या घुमावदार चाकू जैसा होता है. इसका शरीर लाल, नारंगी और दांत ब्लेड की तरह घुमावदार होने के कारण इसको लाल मूंगा कुकरी कहा जाता है.

''यह जहरीला नहीं होता है और बिल बनाकर रहता है. ज्यादातर रात के समय एक्टिव होता है. छोटे छोटे जीव और कीट समेत दीमक और चींटियों के अंडे और लार्वा खाता है.''- अभिषेक, फील्ड मैनेजर, नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ सोसायटी

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (Etv Bharat)

'VTR सांपों का पसंदीदा बसेरा' : वन्य जीव जंतुओं के जानकार वी डी संजू बताते हैं कि हिमालय पर्वतमाला का तापमान और मिट्टी इस सांप के आवास के लिए काफी उपयुक्त है. इसलिए यह नेपाल और उससे सटे भारतीय क्षेत्र में पाए जाते हैं, लेकिन विरले ही देखने को मिलते हैं. फिलहाल वाल्मिकी टाइगर रिजर्व केवल टाइगर ही नहीं, बल्कि सांपों का भी पसंदीदा बसेरा बनकर उभरा है. यहां सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं.

''यह रेड कोरल कुकरी काफी दुर्लभ है. यह सांप बेहद शर्मीले होते हैं और इतना दुर्लभ कि इसे भारत में बेहद कम ही देखा गया है. ऐसे में लगातार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की वजह से बहुत नये प्रजाति के सांप दिख रहे हैं. भविष्य में और भी सरीसृप देखने को मिल सकते हैं.''- वी डी संजू, वन्य जीव जंतुओं के जानकार

बिसहां गांव से रेड कोरल कुकरी सांप का रेस्क्यू.
बिसहां गांव से रेड कोरल कुकरी सांप का रेस्क्यू. (ETV Bharat)

सांप को सुरक्षित जंगल में छोड़ा गया : वन संरक्षक सह वन निदेशक डॉ नेशामणि के ने बताया कि रेड कोरल कुकरी सांप वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 4 के तहत सूचीबद्ध है और यह अति दुर्लभ श्रेणी में आता है. वाल्मीकीनगर में वन्य जीवों का रेस्क्यू करने वाले वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सुनील कुमार ने इस सांप का रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया है.

सुनील कुमार ने जंगल में छोड़ा सांप.
सुनील कुमार ने जंगल में छोड़ा सांप. (Etv Bharat)

बाढ़ का साइड इफेक्ट : नेपाल से आई बाढ़ के बाद आबादी वाले इलाकों में अलग-अलग प्रजातियों के सांप और जीव देखने को मिल रहे हैं. इनमें से कुछ सामान्य जीव हैं तो कुछ इतने दुर्लभ की बेहद कम देखने को मिलते हैं. इस अति संरक्षित लाल सांप की खासियत से लोग भी आश्चर्यचकित हैं.

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