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मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश, उत्तराखंड में बढ़ी हलचल, बाल आयोग अध्यक्ष ने दिया बड़ा बयान

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सभी राज्यों के सीएस को भेजा था पत्र, मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

UTTARAKHAND MADARSA BOARD
मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश (ETV BHARAT)

देहरादून: उत्तराखंड में इन दोनों थूक जिहाद का मामला काफी अधिक चर्चाओं में है. इसी बीच राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की ओर से देश के सभी मुख्य सचिवों को एक पत्र भेजा गया है. इस पत्र में मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश की गई है. इस मामले पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अध्यक्ष रहते हुए 10 अक्टूबर को 'आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे' के संबंध में सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था.

सभी राज्यों के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में तात्कालिक राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने सिफारिश की है कि "केवल बोर्ड का गठन करने या यूडीआईएसई कोड लेने का मतलब ये नहीं है कि मदरसे आरटीई अधिनियम, 2009 में दिए गए प्रावधानों का पालन कर रहे हैं. ऐसे में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मदरसों और मदरसा बोर्डों को राज्य सरकारों की ओर से दिया जाने वाला वित्त पोषण बंद कर दिया जाए, साथ ही मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाए'

MADARSA BOARD
मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश (MADARSA BOARD)
इसके साथ ही पत्र के जरिए ये भी सिफारिश की गई है कि "सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाए. साथ ही, मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसा में पढ़ रहे हैं, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त हो, उन्हें औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए. आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार निर्धारित समय और पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जाए"तत्कालिक राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष की ओर से भेजे गए पत्र के बाद उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग भी इस मामले पर और अधिक गंभीर हो गया है. साथ ही इस मामले को लेकर उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ गीता खन्ना, आगामी 22 अक्टूबर को शिक्षा विभाग के साथ मदरसा बोर्ड को लेकर बैठक करने जा रही हैं. उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ गीता खन्ना ने कहा जब उत्तराखंड में अवैध मदरसों के संचालन का मामला सामने आया था, उसे दौरान भी उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जांच करने की बात कही थी.
मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश (ETV BHARAT)

गीता खन्ना ने कहा कि, जब अवैध मदरसे के संचालन का मामला सामने आया था उस दौरान उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया था कि उत्तराखंड राज्य में मदरसा बोर्ड होने के बावजूद अधिकतर मदरसे रजिस्टर्ड नहीं थे. ऐसे में जब इस पूरे मामले पर मदरसा बोर्ड से बातचीत की गई तो उन्होंने ये कहा कि वो सिर्फ उन मदरसों के बारे में बातचीत कर सकते हैं जो मदरसे उनसे रजिस्टर्ड हैं. इस मामले पर गीता खन्ना ने शिक्षा विभाग से बातचीत की.

साथ ही गीता खन्ना ने कहा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की ओर से जो पत्र आया है इस पत्र का रिफरेंस देते हुए वह मुख्य सचिव को पत्र लिखेंगी, ताकि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की ओर से जो सिफारिश की गई है उसको किस तरह से शासन स्तर से इंप्लीमेंट किया जा सके. उन्होंने कहा फॉर्मल एजुकेशन में मदरसे की कोई जरूरत नहीं है. ऐसे में मदरसा बोर्ड का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता.

क्या कहते हैं मदरसा बोर्ड अध्यक्ष: ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत करते हुए उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने ज्यादा कुछ न कहते हुए बस इतना कहा कि उत्तराखंड में एक मात्र रुड़की स्थित रहमानिया मदरसा है. जिसको सरकार की ओर से पैसा दिया जाता है. जिसमें कर्मचारियों की सैलरी के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं का खर्च किया जाता है. इस मदरसे में पैसे देने की व्यवस्था उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही है. इसके अलावा मदरसा बोर्ड से जितने भी मदरसे रजिस्टर्ड हैं उनको कोई भी पैसा सैलरी इत्यादि के लिए नहीं दी जाती है. कंप्यूटर, फर्नीचर, लैब समेत अन्य चीजों की व्यवस्थाएं सरकार से उपलब्ध कराई जाती हैं. उन्होंने कहा मदरसों को आधुनिक बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जिसका ही एक हिस्सा एनसीईआरटी की पुस्तकें हैं. लिहाजा मदरसों में सिर्फ दीनी तालीम नहीं दी जा रही है. यहां एनसीईआरटी की पुस्तक की भी पढ़ाई जा रही हैं. ऐसे में कही भी मदरसा बोर्ड भंग नहीं होगा.

पढ़ें- उत्तराखंड के मदरसों में गूंजेंगे संस्कृत के श्लोक, अरबी भी पढ़ाई जाएगी

देहरादून: उत्तराखंड में इन दोनों थूक जिहाद का मामला काफी अधिक चर्चाओं में है. इसी बीच राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की ओर से देश के सभी मुख्य सचिवों को एक पत्र भेजा गया है. इस पत्र में मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश की गई है. इस मामले पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अध्यक्ष रहते हुए 10 अक्टूबर को 'आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे' के संबंध में सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था.

सभी राज्यों के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में तात्कालिक राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने सिफारिश की है कि "केवल बोर्ड का गठन करने या यूडीआईएसई कोड लेने का मतलब ये नहीं है कि मदरसे आरटीई अधिनियम, 2009 में दिए गए प्रावधानों का पालन कर रहे हैं. ऐसे में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मदरसों और मदरसा बोर्डों को राज्य सरकारों की ओर से दिया जाने वाला वित्त पोषण बंद कर दिया जाए, साथ ही मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाए'

MADARSA BOARD
मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश (MADARSA BOARD)
इसके साथ ही पत्र के जरिए ये भी सिफारिश की गई है कि "सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाए. साथ ही, मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसा में पढ़ रहे हैं, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त हो, उन्हें औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए. आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार निर्धारित समय और पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जाए"तत्कालिक राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष की ओर से भेजे गए पत्र के बाद उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग भी इस मामले पर और अधिक गंभीर हो गया है. साथ ही इस मामले को लेकर उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ गीता खन्ना, आगामी 22 अक्टूबर को शिक्षा विभाग के साथ मदरसा बोर्ड को लेकर बैठक करने जा रही हैं. उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ गीता खन्ना ने कहा जब उत्तराखंड में अवैध मदरसों के संचालन का मामला सामने आया था, उसे दौरान भी उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जांच करने की बात कही थी.
मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश (ETV BHARAT)

गीता खन्ना ने कहा कि, जब अवैध मदरसे के संचालन का मामला सामने आया था उस दौरान उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया था कि उत्तराखंड राज्य में मदरसा बोर्ड होने के बावजूद अधिकतर मदरसे रजिस्टर्ड नहीं थे. ऐसे में जब इस पूरे मामले पर मदरसा बोर्ड से बातचीत की गई तो उन्होंने ये कहा कि वो सिर्फ उन मदरसों के बारे में बातचीत कर सकते हैं जो मदरसे उनसे रजिस्टर्ड हैं. इस मामले पर गीता खन्ना ने शिक्षा विभाग से बातचीत की.

साथ ही गीता खन्ना ने कहा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की ओर से जो पत्र आया है इस पत्र का रिफरेंस देते हुए वह मुख्य सचिव को पत्र लिखेंगी, ताकि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की ओर से जो सिफारिश की गई है उसको किस तरह से शासन स्तर से इंप्लीमेंट किया जा सके. उन्होंने कहा फॉर्मल एजुकेशन में मदरसे की कोई जरूरत नहीं है. ऐसे में मदरसा बोर्ड का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता.

क्या कहते हैं मदरसा बोर्ड अध्यक्ष: ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत करते हुए उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने ज्यादा कुछ न कहते हुए बस इतना कहा कि उत्तराखंड में एक मात्र रुड़की स्थित रहमानिया मदरसा है. जिसको सरकार की ओर से पैसा दिया जाता है. जिसमें कर्मचारियों की सैलरी के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं का खर्च किया जाता है. इस मदरसे में पैसे देने की व्यवस्था उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही है. इसके अलावा मदरसा बोर्ड से जितने भी मदरसे रजिस्टर्ड हैं उनको कोई भी पैसा सैलरी इत्यादि के लिए नहीं दी जाती है. कंप्यूटर, फर्नीचर, लैब समेत अन्य चीजों की व्यवस्थाएं सरकार से उपलब्ध कराई जाती हैं. उन्होंने कहा मदरसों को आधुनिक बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जिसका ही एक हिस्सा एनसीईआरटी की पुस्तकें हैं. लिहाजा मदरसों में सिर्फ दीनी तालीम नहीं दी जा रही है. यहां एनसीईआरटी की पुस्तक की भी पढ़ाई जा रही हैं. ऐसे में कही भी मदरसा बोर्ड भंग नहीं होगा.

पढ़ें- उत्तराखंड के मदरसों में गूंजेंगे संस्कृत के श्लोक, अरबी भी पढ़ाई जाएगी

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