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नेम प्लेट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांवड़ यात्रा मार्ग के व्यवसायियों की प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा? - businessmen Reaction on SC decision - BUSINESSMEN REACTION ON SC DECISION

Businessmens reaction on name plate issue on food shops In Roorkee उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्गों पर होटलों, ढाबों और रेस्टोरेंट को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के उत्तराखंड सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह प्रेस स्टेटमेंट था, या औपचारिक आदेश था कि इन्हें प्रदर्शित किया जाना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक के बाद हरिद्वार के कुछ व्यवसायियों की प्रतिक्रिया आई है. व्यवसायियों ने क्या कहा, इस खबर में जानिए.

Businessmens reaction
नेम प्लेट पर सुप्रीम फैसला (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 23, 2024, 10:23 AM IST

नेम प्लेट पर 'सुप्रीम' फैसले के बाद प्रतिक्रिया (Video- ETV Bharat)

रुड़की: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों के उस फैसले पर अंतिम रोक लगा दी है, जो सरकारों द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर कारोबारियों के लिए जारी किया गया था. सरकारों ने आदेश जारी किया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर जो कारोबारी कारोबार करेंगे, अपनी पहचान सार्वजनिक करेंगे. इसके अगेंस्ट सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका सुनने के बाद तीनों राज्यों की सरकारों के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाई गई है. इस निर्णय को लेकर कारोबारियों की प्रतिक्रिया सामने आई है.

इन दिनों कांवड़ यात्रा चल रही है. ऐसे में शिव भक्तों के लिए खाने पीने के सामान को लेकर यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद होटल, ढाबे और रेस्टोरेंट स्वामियों को अपनी पहचान सार्वजनिक करने के लिए कहा गया था. जिसको लेकर पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही थी. वहीं सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम बताने पर अंतरिम रोक लगा दी है.

सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान उजागर करने की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदार सिर्फ यह बताएं कि वह किस तरह का खाना बेच रहे हैं. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि दुकानदारों को यह भी बताने की जरूरत है कि खाना शाकाहारी है या मांसाहारी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दुकानदारों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

कांवड़ मार्ग पर स्थित एक भोजनालय के स्वामी सुरेश त्यागी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होता है, वह मान्य होता है. लेकिन जो फैसला सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आया है, वह फैसला उनके हिसाब से सही है. उन्होंने कहा कि सरकार का जो फैसला था वह गलत था. उन्होंने कहा कि इस समय धर्म यात्रा चल रही है, जिसमें यात्रियों के लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन होना चाहिए. उनका कहना है कि अगर उनके भोजनालय पर कोई यात्री लहसुन, प्याज का भोजन मांगता है तो वह भी उनको देना होता है.

वहीं दूसरे भोजनालय के स्वामी सुनील कुमार का कहना है कि सरकार द्वारा जो नाम लिखने का आदेश दिया गया था, वह बिल्कुल गलत था. उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को सही बताया है. उन्होंने कहा कि अगर भोजनालयों पर नाम लिखा होगा, तो इससे भेदभाव उत्पन्न होगा. हालांकि एक भोजनालय के स्वामी विशु सैनी ने सरकार के फैसले को सही बताया है. उन्होंने कहा कि जो कांवड़िये जल लेने के लिए हरिद्वार आ रहे हैं, उनको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वह भोजन किसके भोजनालय पर कर रहे हैं. उनका कहना है कि भोजनालय पर नाम लिखने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिये.
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रुड़की: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों के उस फैसले पर अंतिम रोक लगा दी है, जो सरकारों द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर कारोबारियों के लिए जारी किया गया था. सरकारों ने आदेश जारी किया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर जो कारोबारी कारोबार करेंगे, अपनी पहचान सार्वजनिक करेंगे. इसके अगेंस्ट सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका सुनने के बाद तीनों राज्यों की सरकारों के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाई गई है. इस निर्णय को लेकर कारोबारियों की प्रतिक्रिया सामने आई है.

इन दिनों कांवड़ यात्रा चल रही है. ऐसे में शिव भक्तों के लिए खाने पीने के सामान को लेकर यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद होटल, ढाबे और रेस्टोरेंट स्वामियों को अपनी पहचान सार्वजनिक करने के लिए कहा गया था. जिसको लेकर पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही थी. वहीं सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम बताने पर अंतरिम रोक लगा दी है.

सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान उजागर करने की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदार सिर्फ यह बताएं कि वह किस तरह का खाना बेच रहे हैं. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि दुकानदारों को यह भी बताने की जरूरत है कि खाना शाकाहारी है या मांसाहारी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दुकानदारों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

कांवड़ मार्ग पर स्थित एक भोजनालय के स्वामी सुरेश त्यागी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होता है, वह मान्य होता है. लेकिन जो फैसला सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आया है, वह फैसला उनके हिसाब से सही है. उन्होंने कहा कि सरकार का जो फैसला था वह गलत था. उन्होंने कहा कि इस समय धर्म यात्रा चल रही है, जिसमें यात्रियों के लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन होना चाहिए. उनका कहना है कि अगर उनके भोजनालय पर कोई यात्री लहसुन, प्याज का भोजन मांगता है तो वह भी उनको देना होता है.

वहीं दूसरे भोजनालय के स्वामी सुनील कुमार का कहना है कि सरकार द्वारा जो नाम लिखने का आदेश दिया गया था, वह बिल्कुल गलत था. उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को सही बताया है. उन्होंने कहा कि अगर भोजनालयों पर नाम लिखा होगा, तो इससे भेदभाव उत्पन्न होगा. हालांकि एक भोजनालय के स्वामी विशु सैनी ने सरकार के फैसले को सही बताया है. उन्होंने कहा कि जो कांवड़िये जल लेने के लिए हरिद्वार आ रहे हैं, उनको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वह भोजन किसके भोजनालय पर कर रहे हैं. उनका कहना है कि भोजनालय पर नाम लिखने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिये.
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