नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई से कहा है कि RAU'S स्टडी सर्किल मामले की जांच की निगरानी के लिए सीनियर अफसर नियुक्त करें. मृतक छात्र नेविन डाल्विन के पिता ने जांच अधिकारी को बदलने के निर्देश देने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था. उनकी याचिका को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था.
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने डाल्विन सुरेश द्वारा दायर याचिका पर 27 नवंबर को एक आदेश पारित किया और कहा, "अधिकारों को संतुलित करने के लिए, सीबीआई निदेशक से अनुरोध है कि वे सीबीआई द्वारा की जा रही जांच की नियमित निगरानी के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करें. मेरा मानना है कि वर्तमान याचिका में कोई और निर्देश पारित करने की आवश्यकता नहीं है.
सीबीआई को एफआईआर और जांच करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता : न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, "यह न्यायालय आशा करता है और विश्वास करता है कि सीबीआई याचिकाकर्ता का विश्वास बनाए रखेगी. न्यायालय इस तथ्य को जानता है कि वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता या याचिकाकर्ता की कुछ वास्तविक चिंताएं हो सकती हैं. सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने और जांच करने का कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता है, इसलिए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत जांच की निगरानी नहीं कर सकती है."
राउज एवेन्यू कोर्ट में 20 सितंबर, 2024 को याचिका दायर : यह याचिका शिकायतकर्ता/याचिकाकर्ता द्वारा अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) राउज एवेन्यू कोर्ट, नई दिल्ली द्वारा पारित 20 सितंबर, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी, जिसके तहत सीबीआई द्वारा उचित जांच के लिए मामले के आईओ को बदलने और महानिरीक्षक के पद से नीचे के अधिकारी को नियुक्त करने का अनुरोध खारिज कर दिया गया था.
याचिकाकर्ता के वकील ने आईओ पर लगाया आरोप : याचिकाकर्ता के वकील अभिजीत आनंद ने कहा कि आईओ ने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं की है, जो याचिकाकर्ता का मौलिक अधिकार है. उन्होंने यह भी कहा कि इस अदालत की डिवीजन बेंच के निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया है. यह भी कहा गया कि यहां तक कि बिल्डिंग साइट प्लान भी जब्त नहीं किया गया है, न ही सीसीटीवी फुटेज जब्त की गई है.
दो स्थिति रिपोर्ट पहले ही खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया : याचिकाकर्ता के वकील ने जांच में विभिन्न कमियों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने कहा कि चूंकि जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नहीं की जा रही है इस न्यायालय की खंडपीठ के निर्देशों के अनुसार, जांच की निगरानी पहले से ही सीवीसी के सचिव द्वारा की जा रही है. यह भी कहा गया कि सीबीआई ने जांच के घटनाक्रमों को शामिल करते हुए सीलबंद लिफाफे में दो स्थिति रिपोर्ट पहले ही खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत कर दी हैं.
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