रतलाम: मध्य प्रदेश में सितंबर के आखिरी हफ्ते में हुई बारिश और अन्य कारणों की वजह से खराब हुई सोयाबीन की फसल के बीमा क्लेम के लिए किसानों को परेशान होना पड़ रहा है. कई किसानों को अपनी खराब हुई फसल की सूचना देने के लिए हेल्पलाइन नंबर पर तकनीकी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए किसानों को आ रही समस्या के समाधान के लिए कृषि विभाग के ब्लॉक कार्यालय में बीमा कंपनी के को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति की गई है. जो किसानों को फसल बीमा के क्लेम के लिए मदद कर सकते हैं. इसके अलावा कृषि विस्तार अधिकारी से भी किसान फसल बीमा के बारे में जानकारी ले सकते हैं. किसान हेल्पलाइन नंबर 14447 पर भी कॉल कर अपनी खराब हुई फसल की शिकायत दर्ज करवा कर बीमा कंपनी द्वारा सर्वे करवा सकते हैं.
फसलों का नुकसान पर किसान न हों परेशान
दरअसल इस वर्ष सोयाबीन की फसल में अलग-अलग तरह की कई समस्याएं आई हैं. जैसे बीमारियों का प्रकोप, अत्यधिक बारिश और जल भराव की वजह से फसल खराब होना एवं बारिश से कटी हुई फसल अंकुरित हो जाने जैसे मामले सामने आए हैं. एसएमएस जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा करवाया हुआ है. उन्हें इसके क्लेम प्रोसेस और सर्वे के बारे में अधिक जानकारी नहीं है. कई किसानों द्वारा हेल्पलाइन नंबर पर फोन लगाने पर उन्हें मदद नहीं मिल पाई.
कुआंझागर गांव के सतपाल चौधरी ने ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ जनसुनवाई में शिकायत की है कि उनके द्वारा हेल्पलाइन नंबर 14447 पर कई बार फोन करने पर भी उनकी शिकायत दर्ज नहीं की जा सकी. हर बार उन्हें तकनीकी त्रुटि की वजह से शिकायत दर्ज नहीं हो पाने का जवाब मिला. किसानों की समस्या को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों और बीमा कंपनी के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर से ईटीवी भारत की टीम ने विस्तृत जानकारी ली है.
बीमा क्लेम के लिए क्या करें किसान
फसल बीमा के लिए नियुक्त बीमा नोडल एजेंसी के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर ओमकार अजनार ने बताया कि 'कभी-कभी सर्वर खराब होने की वजह से हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज नहीं हो पाती है. ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है. कृषि विभाग के ब्लॉक स्तर कार्यालय पर भी बीमा कंपनी के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं. किसी भी कारण यदि 72 घंटे में खराब हुई फसल की जानकारी किसान नहीं दे पाते हैं तो भी विभाग द्वारा क्लेम प्रोसेस करवाया जाता है.
इस टोल फ्री नंबर पर कर सकते हैं संपर्क
वहीं, ग्राम इकाई अथवा पटवारी हल्का में हुए नुकसान जैसे सूखा, अतिवृष्टि, बाढ़, अफलन, कीटों एवं रोगों की वजह से हुई हानि को ग्राम स्तर की इकाई में सम्मिलित रखा जाता है. जिसका फसल उत्पादन सर्वे कृषि विभाग, राजस्व विभाग और बीमा कंपनी की संयुक्त टीम द्वारा किया जाता है. ऐसे में यदि किसान अपने खेत में हुई फसल के नुकसान की जानकारी नहीं दे पाता है तो भी ग्राम इकाई में हुए नुकसान के आधार पर उसे बीमा क्लेम मिल सकता है. हालांकि व्यक्तिगत किसान के खेत स्तर पर होने वाले नुकसान जैसे की ओलावृष्टि, भूस्खलन जल भराव बादल फटने अथवा आकाशीय बिजली गिरने से लगी प्राकृतिक आग से हुई फसल के नुकसान की जानकारी किसान हेल्पलाइन के टोल फ्री नंबर 14447 पर 72 घंटे के अंतराल में दे सकते हैं. इसके बाद बीमा कंपनी के सर्वेयर खराब हुई फसल का सर्वे करते हैं और बीमा क्लेम की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
जिले से प्राप्त हुईं 1188 शिकायतें
वहीं, इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारी बिका वास्के का कहना है कि 'हेल्पलाइन के संबंध में कुछ किसानों की शिकायत प्राप्त हुई थी. जिन्हें उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है. वहीं जिले में कुल 1188 बीमा क्लेम के लिए शिकायतें प्राप्त हुई है. जिस पर बीमा कंपनी द्वारा 85% सर्वे पूर्ण कर लिया गया है. बहरहाल यदि किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा क्लेम प्रोसेस करने के लिए कृषि विभाग, बीमा कंपनी के कोऑर्डिनेटर और बीमा पोर्टल सहित हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर अपनी खराब हुई फसल का बीमा प्राप्त कर सकते हैं.