रतलाम: गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणपति बप्पा की आराधना की जा रही है. 10 दिनों तक चलने वाले गणेश महोत्सव में श्रद्धालु, भगवान गणेश के अलग-अलग रूप के दर्शन करने के लिए मंदिरों और गणेश पंडालों में पहुंचते हैं. जहां भगवान गणेश और रिद्धि- सिद्धि के साथ विराजते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में एक मंदिर ऐसा है, जहां भगवान गणेश बिना रिद्धि सिद्धि के ही भक्तों को दर्शन देते हैं. वहीं, भगवान गणेश यहां विराजे भी नहीं है. वे इस मंदिर में श्रद्धालुओं को खड़े होकर ब्रह्मचर्य और तपस्वी रूप में दर्शन देते हैं. भगवान गणेश का यह मंदिर ऊंकाला गणेश के नाम से देश भर में प्रसिद्ध है.
300 साल पुराना है मंदिर
स्वर्ण नगरी रतलाम में विघ्नहर्ता भगवान गणेश अपने दरबार में मां रिद्धि सिद्धि के बिना ही भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. वजह है भगवान गणेश यहां पर ब्रह्मचर्य और तपस्वी के रूप में स्थापित हैं. यह मंदिर करीब 300 वर्ष पुराना है. अति प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर में भगवान गणेश के साथ मां रिद्धि सिद्धि भले ही मौजूद न हो लेकिन उनके दर्शन मात्र से ही रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है. यहां भगवान गणेश की 11 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. भगवान गणेश के इस अनोखे रूप का दर्शन करने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि यहां विवाह और संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर आने वाले लोग कभी निराश नहीं होते हैं.
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ऐसे पड़ा ऊंकाला गणेश मंदिर का नाम
हर मंदिर के नाम के साथ कई पौराणिक और पुरातात्विक किस्से कहानियां जुड़े होते हैं. जिनके आधार पर मंदिरों का नाम रखा जाता है. रतलाम के इस गणेश मंदिर का नाम रखने के पीछे भी एक खास वजह है. रतलाम के भगवान गणेश के इस मंदिर को ऊंकाला गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां पानी के तीन कुंड मौजूद है. जिनका इस्तेमाल पूरे शहर की जनता करती थी. इन पानी के कुंड में गर्म पानी ऊंकाला लेते हुए बाहर आता था. जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम ऊंकाला गणेश मंदिर पड़ा है.