Ratlami sev। आज बात खान-पान की करें तो कई लोग सादा खाना पसंद करते हैं. तो कई लोग चटपटा और तीखा खाने के साथ एक्सपेरिमेंट्स भी करते हैं. खान-पान को लेकर देश में कई ऐसी जगह और चीजें हैं, जो बहुत फेमस है. यहां तक कि कई जगहों का नाम तो महज उसके स्वादिष्ट व्यंजन और स्नैक्स के चलते होती है. जैसे आगरा के पेठे, बनारस का पान, इंदौरी पोहा. इसी तरह है एमपी का रतलामी सेव है. जी हां रतलाम का यह सेव जो एक तरह का नमकीन या कहें दिखने में भुजिया की तरह होता है. यह बेसन से बनता है. यह एमपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में फेमस है.
एमपी को रतलामी सेव का जीआई टैग
रतलामी सेव की प्रसिद्धि ऐसी है कि शायद कोई ऐसा हो जो इसका दीवाना न हो. हर किसी ने इसका स्वाद एक बार तो जरूर चखा होगा. आलम यह है कि रतलामी सेव की प्रसिद्धि देखते हुए इसे जीआई टैग भी मिला है. साल 2017 में रतलामी सेव को जीआई टैग मिला है. एमपी के रतलाम जिले में हर छोटी-बड़ी दुकानों पर रतलामी सेव मिल जाता है.
कैसे बनाते हैं रतलामी सेव
आप नाम से ही समझ गए होंगे कि रतलामी सेव क्या है. यह एक तरह का स्नैक्स या कहें नमकीन है. जब लोग रतलामी सेव को खाते हैं तो चटकारे लेते हैं. इसे बेसन से तैयार किया जाता है. बेसन के आटे में चने के आटे का पेस्ट से इसको तैयार किया जाता है. इसमें स्वाद के लिए नमक, अजवाइन, हींग, हल्का मिर्च पाउडर और जीरा डालते हैं फिर आटे को पानी के साथ गूथ करके तैयार करते हैं. इसके लिए कुछ मसाला भी तैयार करते हैं. इसके बाद इसे सांचे से तेल में डीप फ्राई किया जाता है. इसके बाद आपका रतलामी सेव बनकर तैयार है. यह स्वाद काफी चटपटा होता है. यह तीखा और फीका दोनों स्वाद में पाया जाता है.
रतलामी सेव के लोग दीवाने, सेव-टमाटर की सब्जी है फेमस
रतलामी सेव को लोग कई तरह से इस्तेमाल करते हैं. इसे अक्सर लोग नमकीन की तरह खाते हैं. कई लोग इसे चाय के साथ खाकर अपना स्वाद बनाते हैं. तो कई लोग इसे पोहा में ऊपर से डालकर खाते हैं. तो रतलामी सेव की सब्जी भी बनाई जाती है. जिसे सेव-टमाटर की सब्जी कहा जाता है. यह डिश तो मध्य प्रदेश वासियों की पसंदीदा डिश में से एक है. लोग एस सब्जी के दीवाने हैं. अगर उन्हें सेव-टमाटर की सब्जी मिल जाए तो फिर उन्हें दूसरा कोई आइटम नहीं चाहिए होता है, बड़े चटकारे लेकर वे इसे खाते हैं.
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रतलामी सेव कैसे अस्तित्व में आया
अब आपके मन में यह सवाल होगा की रतलामी सेव कैसे आया. तो हम आपको इसके इतिहास से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं, जो काफी दिलचस्प है. इसका इतिहास करीब 200 साल पुराना बताया जाता है. इसे आदिवासी और मुगलों दोनों से जोड़ा जाता है. बताया जाता है कि 19वीं सदी में कुछ मुगल शाही परिवार के सदस्य रतलाम आए थे. इस दौरान मुगलों को सेवइंया खाने की इच्छा हुई, लेकिन रतलाम में गेहूं का उत्पादन नहीं हुई करता था. गेहूं न होने के चलते मुगलों ने वहां रहने वाली भील जाति को बेसन से सेवइंया बनाने के लिए कहा. आदिवासियों ने बेसन की बनी सेवइंया तैयार की और बादशाह के सामने पेश की. जिसके बाद इस रतलामी सेव की शुरुआत हुई. पहले इसे भीलड़ी सेव कहा जाता था, लेकिन बाद में रतलाम की फेमस नमकीन होने के चलते इसे रतलामी सेव नाम दिया गया.