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रील बनाने का चक्कर कही जान ना ले ले, झरनों के करीब जाकर जान जोखिम में डाल रहे लोग - Risking life for Reels

मॉनसून के मौसम में रतलाम के आसपास के पिकनिक स्पॉट और झरनों पर लोग सैर सपाटा करने अपने परिवारों के साथ पहुंच रहे हैं. सेल्फी लेने और रील बनाने के चक्कर में लोग यहां खतरे वाली जगह पर जाने से भी परहेज नहीं करते. ऐसे में यहां कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 12, 2024, 3:52 PM IST

DANGEROUS WATERFALLS NEAR RATLAM
रील बनाने का चक्कर कही जान ना ले ले (Etv Bharat)

रतलाम : सैलाना और इसरथूनी स्थित झरने पर सैकड़ों लोग वीकेंड और छुट्टी का आनंद लेने पहुंच रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया तो पाया कि कई लोग यहां रील बनाने के चक्कर में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं. यहां कई प्राकृतिक झरनों के बेहद करीब जाकर सेल्फी लेना मौत को निमंत्रण देने जैसा है. वहीं लोगों को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से यहां किसी भी तरह के सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए हैं.

देखें ग्राउंड रिपोर्ट (Etv Bharat)

लगातार जान जोखिम में डाल रहे लोग

रतलाम से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर जामड़ पाटली, ईसरथुनी झरना, केदारेश्वर झरना, झर और धोलावड़ डैम जैसे कई स्रोत हैं. जहां लोग छुट्टी वाले दिन जमकर पिकनिक मनाते हैं. आमतौर पर बारिश के सीजन में जिला प्रशासन जिले के सभी पिकनिक स्पॉट और जल स्त्रोतों पर पुलिसकर्मियों, होमगार्ड जवान और जिला आपदा प्रबंधन की टीम की तैनाती करता है. लेकिन इस बार इन पर्यटन केंद्रों पर कोई सुरक्षा व्यवस्था मौजूद नहीं है. लोग झरने के कम पानी में उतर कर मौज मस्ती कर रहे हैं, ऊंचाई पर चढ़कर सेल्फी और रील बनाई जा रही है. ऐसे में अगर अचानक बारिश हो जाए और झरने का पानी अचानक बढ़ जाए तो लोगों की जान पर बन सकती है.

Monsoon waterfalls and risks
रील बनाने का चक्कर कही जान ना ले ले (Etv Bharat)

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बना रहता है फ्लैश फ्लड का खतरा

पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां अचानक हुई बारिश से फ्लैश फ्लड आने का खतरा भी रहता है. ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में केदारेश्वर स्थित झरनों पर लोग अपनी जान का जोखिम उठाते दिखाई दिए. इस तरह के दूरस्थ और वीरान क्षेत्र में यदि पर्यटकों के साथ कोई दुर्घटना होती है तो रेस्क्यू अभियान चलाना भी मुश्किल हो जाता है. यहां अगर दुर्घटना घट जाए तो आपात स्थिति में मदद के लिए भी कोई इंतजाम नहीं हैं. बीते कुछ सालों में इन्ही क्षेत्रों में हुए हादसों में आधा दर्जन लोग अपनी जान गवां चुके है.

क्या है इनका कहना?

इस मामले पर जब हमने होमगार्ड डिप्टी कमांडेंट सुमित खरे से चर्चा की तो उन्होंने कहा, '' ऐसा नहीं है कि वहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए. तमाम ऐसे झरनों और पिकनिक स्पॉट के पास दो-दो होमगार्ड जवानों की तैनाती है, पर छुट्टी के दिनों में यहां इतनी भीड़ होती है कि संभालना मुश्किल हो जाता है. इसके साथ ही जवानों के ड्यूटी आवर्स भी तय होते हैं ''

रतलाम : सैलाना और इसरथूनी स्थित झरने पर सैकड़ों लोग वीकेंड और छुट्टी का आनंद लेने पहुंच रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया तो पाया कि कई लोग यहां रील बनाने के चक्कर में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं. यहां कई प्राकृतिक झरनों के बेहद करीब जाकर सेल्फी लेना मौत को निमंत्रण देने जैसा है. वहीं लोगों को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से यहां किसी भी तरह के सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए हैं.

देखें ग्राउंड रिपोर्ट (Etv Bharat)

लगातार जान जोखिम में डाल रहे लोग

रतलाम से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर जामड़ पाटली, ईसरथुनी झरना, केदारेश्वर झरना, झर और धोलावड़ डैम जैसे कई स्रोत हैं. जहां लोग छुट्टी वाले दिन जमकर पिकनिक मनाते हैं. आमतौर पर बारिश के सीजन में जिला प्रशासन जिले के सभी पिकनिक स्पॉट और जल स्त्रोतों पर पुलिसकर्मियों, होमगार्ड जवान और जिला आपदा प्रबंधन की टीम की तैनाती करता है. लेकिन इस बार इन पर्यटन केंद्रों पर कोई सुरक्षा व्यवस्था मौजूद नहीं है. लोग झरने के कम पानी में उतर कर मौज मस्ती कर रहे हैं, ऊंचाई पर चढ़कर सेल्फी और रील बनाई जा रही है. ऐसे में अगर अचानक बारिश हो जाए और झरने का पानी अचानक बढ़ जाए तो लोगों की जान पर बन सकती है.

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पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां अचानक हुई बारिश से फ्लैश फ्लड आने का खतरा भी रहता है. ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में केदारेश्वर स्थित झरनों पर लोग अपनी जान का जोखिम उठाते दिखाई दिए. इस तरह के दूरस्थ और वीरान क्षेत्र में यदि पर्यटकों के साथ कोई दुर्घटना होती है तो रेस्क्यू अभियान चलाना भी मुश्किल हो जाता है. यहां अगर दुर्घटना घट जाए तो आपात स्थिति में मदद के लिए भी कोई इंतजाम नहीं हैं. बीते कुछ सालों में इन्ही क्षेत्रों में हुए हादसों में आधा दर्जन लोग अपनी जान गवां चुके है.

क्या है इनका कहना?

इस मामले पर जब हमने होमगार्ड डिप्टी कमांडेंट सुमित खरे से चर्चा की तो उन्होंने कहा, '' ऐसा नहीं है कि वहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए. तमाम ऐसे झरनों और पिकनिक स्पॉट के पास दो-दो होमगार्ड जवानों की तैनाती है, पर छुट्टी के दिनों में यहां इतनी भीड़ होती है कि संभालना मुश्किल हो जाता है. इसके साथ ही जवानों के ड्यूटी आवर्स भी तय होते हैं ''

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