रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में एक ऐसा अनोखा गांव है, जहां रामचरितमानस का पाठ अनवरत जारी है. ठंड हो या बरसात या फिर कड़ी धूप लेकिन रतलाम के पंचेड़ गांव में रामायण का पाठ पिछले 9 सालों से लगातार जारी है. अपनी युवा पीढ़ी को धर्म ग्रंथ का ज्ञान और क्षेत्र में सुख शांति एवं समृद्धि के उद्देश्य से वर्ष 2016 से ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि आगामी सिंहस्थ 2028 तक वह भगवान शिव और हनुमान जी के मंदिर पर अखंड रामायण बिठाएंगे. इसके बाद से गांव के हर परिवार से लोग यहां 24 घंटे रामायण का पाठ करने बारी बारी से पहुंचते हैं.
9 सालों से जारी रामायण का पाठ
ग्रामीणों का मानना है कि, ''इससे उनके गांव में सामाजिक एकता और सुख समृद्धि बनी हुई है. वहीं, युवा पीढ़ी को भी रामचरितमानस से ज्ञान की प्राप्ति हो रही है.'' दरअसल ग्रामीणों की अनोखी राम भक्ति देख हर कोई अचंभित रह जाता है. क्योंकि इस गांव में पिछले 9 साल से अखंड रामायण का पाठ लगातार जारी है. आमतौर पर 5 दिन या 7 दिन के लिए रामचरितमानस का पाठ किया जाता है. लेकिन यहां रामचरितमानस का पाठ पूर्ण होने पर पुनः इसका पाठ प्रारम्भ कर दिया जाता है. लाउडस्पीकर के माध्यम से रामचरित्र मानस के पाठ का श्रवण लोग 24 घंटे कर पाते है.
युवाओं को धर्म ग्रंथ का ज्ञान होना चाहिए
गांव के नारायण चौधरी बताते हैं कि, ''इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को रामचरितमानस और मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम के आदर्शो और सिद्धांतों से परिचित करवाना है. मोबाइल के इस युग में युवा सही मार्ग पर चलें, यही इसका उद्देश्य है.'' गांव के सरपंच कृपाराम गोदा एवं उप सरपंच धर्मेंद्र जाट ने बताया कि, ''पहले सावन के महीने में अखंड रामायण का पाठ किया जाता था. लेकिन गांव में समृद्धि और सुख शांति के लिए सिंहस्थ 2016 से सिंहस्थ 2028 तक रामायण का अखंड पाठ करने का संकल्प लिया गया. इसके बाद से लगातार यहां के लोग 24 घंटे रामचरित्र मानस का श्रवण करते हैं.''
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हर घर से शिफ्ट में लगाई जाती है ड्यूटी
गांव के लोगों ने अखंड रामायण पाठ का संकल्प तो ले लिया लेकिन उनके सामने यह चुनौती थी कि रामायण का पाठ मंदिर पर समय-समय पर आकर कौन करेगा. इसके लिए 130 लोगों की समिति बनाई गई. जिनके घर से प्रतिदिन शिफ्ट में आकर लोग रामायण का पाठ करते है. बाकायदा किस दिन किस परिवार के लोग रामचरितमानस का पाठ करेंगे इसकी सूची भी मंदिर परिसर में लगाई गई है. समय-समय पर समिति की बैठक होती रहती है. जिसमें इसके प्रबंधन को लेकर निर्णय लिए जाते हैं. बहरहाल यह सामाजिक समरसता और एकता का ही नतीजा है कि लगातार 9 वर्षों से रामचरितमानस का अनोखा पाठ जारी है.