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रिज बेड और मल्चिंग विधि से लगाएं मक्का, सोयाबीन से ज्यादा मिलेगा मुनाफा - Ratlam Mulching method corn farming - RATLAM MULCHING METHOD CORN FARMING

मध्य प्रदेश सहित रतलाम जिले में मॉनसून की आते ही किसानों ने फसलों की बुवाई शुरू कर दी है. आज के दौर में किसान परंपरागत खेती करने की विधि को छोड़कर आधुनिक तकनीकि से खेती कर रहे हैं. रतलाम जिले के किसान मल्चिंग विधि से मक्का की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

RATLAM MULCHING METHOD CORN FARMING
मल्चिंग विधि से मक्का की खेती करने पर होगा फायदा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 24, 2024, 8:31 PM IST

रतलाम। मध्य प्रदेश में मॉनसून आने के साथ ही खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. मक्का की खेती करने वाले किसान यदि रिज बेड पद्धति से मक्का की फसल लगाऐं तो वह सोयाबीन की फसल से भी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं, कुछ किसान मल्चिंग विधि से भी मक्का की फसल लगा रहे हैं. दोनों ही पद्धति में मक्का के उन्नत किस्म के बीज को डेढ़ बाय डेढ़ की दूरी पर लगाया जाता है. जिससे फसल प्रबंधन अच्छे से होता है और मक्का का उत्पादन अधिक प्राप्त होता है. इन विधियों में बीज, खाद और दवाई का खर्च भी आधा लगता है.

रतलाम के किसान ने रिज वेड विधि से शुरू की मक्का की खेती (ETV Bharat)

सोयाबीन से मक्का की फसल क्यों है फायदेमंद

नई तकनीक से मक्का की बुवाई करने वाले किसान बताते हैं कि एक एकड़ में सोयाबीन का उत्पादन 7- 8 क्विंटल से अधिक प्राप्त नहीं होता है. जबकि सोयाबीन की लागत अधिक होती जा रही है. खरपतवार नाशक और कीटनाशक के 4 बार स्प्रे सहित अन्य बीमारियों की वजह से लागत अधिक हो जाती है. वहीं, सोयाबीन का अधिकतम दाम भी 5500 से अधिक नहीं मिल पाता है.

मक्का की फसल में आती है कम लागत

दो एकड़ में मक्का की उन्नत किस्म का उत्पादन 40 क्विंटल तक प्राप्त होता है. खरपतवार नाशक का इस्तेमाल न के बराबर करना पड़ता है. वहीं, कीटनाशक दवा का स्प्रे भी दो ही बार करना पड़ता है. जिससे मक्का की फसल में लागत कम आती है और मक्का के दाम भी 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक प्राप्त हो जाते हैं. हालांकि घोड़ा रोज़ (नीलगाय) और जंगली सूअर मक्का की फसल को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाते हैं. किसान खेत की फेंसिंग होने की स्थिति में ही मक्का की खेती करने का निर्णय लें.

क्या है मल्चिंग विधि ?

मल्च एक ऐसी विधि है जिसमें मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दियों में पाले की समस्या से पौधों को सुरक्षित रखने के लिए मल्चिंग किया जाता है. कार्बनिक मल्च धीरे-धीरे अपघटित होने के कारण मिट्टी की संरचना, जल निकासी और पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता में सुधार करने में भी मदद करती है.

यहां पढ़ें...

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किसान सोयाबीन के बजाय मक्का की तरफ कर रहे रुख

मालवा क्षेत्र में कई सोयाबीन उत्पादक किसान इस बार मक्का की उन्नत तकनीक से बुआई कर रहे हैं. धीरे-धीरे पश्चिम मध्य प्रदेश में भी सोयाबीन के बजाय अब मक्का का रकबा बढ़ता जा रहा है.

रतलाम। मध्य प्रदेश में मॉनसून आने के साथ ही खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. मक्का की खेती करने वाले किसान यदि रिज बेड पद्धति से मक्का की फसल लगाऐं तो वह सोयाबीन की फसल से भी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं, कुछ किसान मल्चिंग विधि से भी मक्का की फसल लगा रहे हैं. दोनों ही पद्धति में मक्का के उन्नत किस्म के बीज को डेढ़ बाय डेढ़ की दूरी पर लगाया जाता है. जिससे फसल प्रबंधन अच्छे से होता है और मक्का का उत्पादन अधिक प्राप्त होता है. इन विधियों में बीज, खाद और दवाई का खर्च भी आधा लगता है.

रतलाम के किसान ने रिज वेड विधि से शुरू की मक्का की खेती (ETV Bharat)

सोयाबीन से मक्का की फसल क्यों है फायदेमंद

नई तकनीक से मक्का की बुवाई करने वाले किसान बताते हैं कि एक एकड़ में सोयाबीन का उत्पादन 7- 8 क्विंटल से अधिक प्राप्त नहीं होता है. जबकि सोयाबीन की लागत अधिक होती जा रही है. खरपतवार नाशक और कीटनाशक के 4 बार स्प्रे सहित अन्य बीमारियों की वजह से लागत अधिक हो जाती है. वहीं, सोयाबीन का अधिकतम दाम भी 5500 से अधिक नहीं मिल पाता है.

मक्का की फसल में आती है कम लागत

दो एकड़ में मक्का की उन्नत किस्म का उत्पादन 40 क्विंटल तक प्राप्त होता है. खरपतवार नाशक का इस्तेमाल न के बराबर करना पड़ता है. वहीं, कीटनाशक दवा का स्प्रे भी दो ही बार करना पड़ता है. जिससे मक्का की फसल में लागत कम आती है और मक्का के दाम भी 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक प्राप्त हो जाते हैं. हालांकि घोड़ा रोज़ (नीलगाय) और जंगली सूअर मक्का की फसल को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाते हैं. किसान खेत की फेंसिंग होने की स्थिति में ही मक्का की खेती करने का निर्णय लें.

क्या है मल्चिंग विधि ?

मल्च एक ऐसी विधि है जिसमें मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दियों में पाले की समस्या से पौधों को सुरक्षित रखने के लिए मल्चिंग किया जाता है. कार्बनिक मल्च धीरे-धीरे अपघटित होने के कारण मिट्टी की संरचना, जल निकासी और पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता में सुधार करने में भी मदद करती है.

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किसान सोयाबीन के बजाय मक्का की तरफ कर रहे रुख

मालवा क्षेत्र में कई सोयाबीन उत्पादक किसान इस बार मक्का की उन्नत तकनीक से बुआई कर रहे हैं. धीरे-धीरे पश्चिम मध्य प्रदेश में भी सोयाबीन के बजाय अब मक्का का रकबा बढ़ता जा रहा है.

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