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मदरसे की बच्चियों का स्कूल में हुआ एडमिशन, ट्वीट के बाद हरकत में आया रतलाम प्रशासन - Ratlam Madrasa Action

रतलाम में मदरसों पर प्रशासन का एक्शन लगातार जारी है. अवैध पाए जाने वाले मदरसों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई कर रहा है. वहीं राष्ट्रीय बाल आयोग के ट्वीट के बाद कलेक्टर ने मदरसों की बच्चियों का स्कूल में एडमिशन कराया.

RATLAM MADRASA ACTION
मदरसे की बच्चियों का स्कूल में हुआ एडमिशन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 7, 2024, 3:50 PM IST

रतलाम: एमपी के रतलाम जिले में मदरसा विवाद मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष के ट्वीट के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है. रतलाम कलेक्टर राजेश बाथम दारुल उलूम आयशा सिद्दीकी मदरसा पहुंचे. जहां मौजूद बालिकाओं का स्कूल एडमिशन जिला प्रशासन ने करवाया है. कलेक्टर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बच्चों को पुस्तक और शैक्षणिक सामग्री भी वितरित की है. हालांकी बिना अनुमति लड़कियों के लिए संचालित आवासीय मदरसे पर कार्रवाई को लेकर कलेक्टर ने कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं.

मदरसे की बच्चियों का स्कूल में हुआ एडमिशन (ETV Bharat)

कलेक्टर राजेश बाथम ने मीडिया से चर्चा में कहा की 'मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य द्वारा मदरसे के निरीक्षण रिपोर्ट में इन बच्चियों को धार्मिक शिक्षा के अलावा आधुनिक शिक्षा से वंचित होना बताया गया था. इसके बाद इन बच्चियों का एडमिशन शासकीय स्कूलों में करवाया गया है. शहर के अन्य मदरसों में प्रशासन के निरीक्षण के बाद कार्रवाई किए जाने की बात कलेक्टर ने कही है.'

बाल आयोग के अध्यक्ष ने उठाए थे सवाल

दरअसल, रतलाम मदरसे में अनियमितता की शिकायत पर मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने खाचरोद रोड स्थित मदरसे का दौरा किया था. जहां कई अनियमितताएं आयोग की सदस्य को मिली थी. स्थानीय प्रशासन की उदासीनता को लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने एक्स पर ट्वीट कर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे. वहीं रतलाम एडीएम शालिनी श्रीवास्तव के निरीक्षण को लेकर भी बाल आयोग के अध्यक्ष ने टिप्पणी की थी. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और खाचरोद रोड स्थित मदरसा पहुंचकर पढ़ाई छोड़ चुकी बालिकाओं का शासकीय स्कूलों में प्रवेश करवाया और उन्हें पाठ्यक्रम सामग्री भी वितरित की है.

यहां पढ़ें...

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रतलाम में अवैध मदरसे को दी गई क्लीन चिट, NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का आरोप

कलेक्टर को नोटिस जारी करने की बात

बहरहाल अब इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि आखिर बिना अनुमति के बालिकाओं के लिए आवासीय हॉस्टल सुविधाओं के साथ यह मदरसा कैसे संचालित हो रहा है. वहीं, इस मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष ने जिला प्रशासन को नोटिस जारी किए जाने की बात भी कही है.

रतलाम: एमपी के रतलाम जिले में मदरसा विवाद मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष के ट्वीट के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है. रतलाम कलेक्टर राजेश बाथम दारुल उलूम आयशा सिद्दीकी मदरसा पहुंचे. जहां मौजूद बालिकाओं का स्कूल एडमिशन जिला प्रशासन ने करवाया है. कलेक्टर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बच्चों को पुस्तक और शैक्षणिक सामग्री भी वितरित की है. हालांकी बिना अनुमति लड़कियों के लिए संचालित आवासीय मदरसे पर कार्रवाई को लेकर कलेक्टर ने कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं.

मदरसे की बच्चियों का स्कूल में हुआ एडमिशन (ETV Bharat)

कलेक्टर राजेश बाथम ने मीडिया से चर्चा में कहा की 'मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य द्वारा मदरसे के निरीक्षण रिपोर्ट में इन बच्चियों को धार्मिक शिक्षा के अलावा आधुनिक शिक्षा से वंचित होना बताया गया था. इसके बाद इन बच्चियों का एडमिशन शासकीय स्कूलों में करवाया गया है. शहर के अन्य मदरसों में प्रशासन के निरीक्षण के बाद कार्रवाई किए जाने की बात कलेक्टर ने कही है.'

बाल आयोग के अध्यक्ष ने उठाए थे सवाल

दरअसल, रतलाम मदरसे में अनियमितता की शिकायत पर मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने खाचरोद रोड स्थित मदरसे का दौरा किया था. जहां कई अनियमितताएं आयोग की सदस्य को मिली थी. स्थानीय प्रशासन की उदासीनता को लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने एक्स पर ट्वीट कर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे. वहीं रतलाम एडीएम शालिनी श्रीवास्तव के निरीक्षण को लेकर भी बाल आयोग के अध्यक्ष ने टिप्पणी की थी. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और खाचरोद रोड स्थित मदरसा पहुंचकर पढ़ाई छोड़ चुकी बालिकाओं का शासकीय स्कूलों में प्रवेश करवाया और उन्हें पाठ्यक्रम सामग्री भी वितरित की है.

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कलेक्टर को नोटिस जारी करने की बात

बहरहाल अब इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि आखिर बिना अनुमति के बालिकाओं के लिए आवासीय हॉस्टल सुविधाओं के साथ यह मदरसा कैसे संचालित हो रहा है. वहीं, इस मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष ने जिला प्रशासन को नोटिस जारी किए जाने की बात भी कही है.

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