रतलाम: एमपी के रतलाम जिले में मदरसा विवाद मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष के ट्वीट के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है. रतलाम कलेक्टर राजेश बाथम दारुल उलूम आयशा सिद्दीकी मदरसा पहुंचे. जहां मौजूद बालिकाओं का स्कूल एडमिशन जिला प्रशासन ने करवाया है. कलेक्टर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बच्चों को पुस्तक और शैक्षणिक सामग्री भी वितरित की है. हालांकी बिना अनुमति लड़कियों के लिए संचालित आवासीय मदरसे पर कार्रवाई को लेकर कलेक्टर ने कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं.
कलेक्टर राजेश बाथम ने मीडिया से चर्चा में कहा की 'मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य द्वारा मदरसे के निरीक्षण रिपोर्ट में इन बच्चियों को धार्मिक शिक्षा के अलावा आधुनिक शिक्षा से वंचित होना बताया गया था. इसके बाद इन बच्चियों का एडमिशन शासकीय स्कूलों में करवाया गया है. शहर के अन्य मदरसों में प्रशासन के निरीक्षण के बाद कार्रवाई किए जाने की बात कलेक्टर ने कही है.'
बाल आयोग के अध्यक्ष ने उठाए थे सवाल
दरअसल, रतलाम मदरसे में अनियमितता की शिकायत पर मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने खाचरोद रोड स्थित मदरसे का दौरा किया था. जहां कई अनियमितताएं आयोग की सदस्य को मिली थी. स्थानीय प्रशासन की उदासीनता को लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने एक्स पर ट्वीट कर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे. वहीं रतलाम एडीएम शालिनी श्रीवास्तव के निरीक्षण को लेकर भी बाल आयोग के अध्यक्ष ने टिप्पणी की थी. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और खाचरोद रोड स्थित मदरसा पहुंचकर पढ़ाई छोड़ चुकी बालिकाओं का शासकीय स्कूलों में प्रवेश करवाया और उन्हें पाठ्यक्रम सामग्री भी वितरित की है.
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कलेक्टर को नोटिस जारी करने की बात
बहरहाल अब इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि आखिर बिना अनुमति के बालिकाओं के लिए आवासीय हॉस्टल सुविधाओं के साथ यह मदरसा कैसे संचालित हो रहा है. वहीं, इस मामले में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष ने जिला प्रशासन को नोटिस जारी किए जाने की बात भी कही है.