रतलाम: बारिश के मौसम में बाढ़ की वजह से आने वाली आपदा से निपटने के लिए हर जिले में बाढ़ आपदा नियंत्रण समिति बनाई गई है. वहीं, आपातकालीन स्थिति की सूचना देने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी कर नियंत्रण कक्ष भी बनाया गया है. रतलाम में भी जिला बाढ़ आपदा नियंत्रण कक्ष जिला मुख्यालय पर बनाया गया है. जहां सूचना मिलने पर स्थानीय प्रशासन तत्काल एक्शन लेने का दावा भी करता है. लेकिन यहां हकीकत तो कुछ और ही निकल कर सामने आ रही है.
हेल्पलाइन कार्यालय में तैनात कर्मी को प्रभारी का पता नहीं
रतलाम जिले का आपदा प्रबंधन कार्यालय तुरंत मदद करने के दावों से इतर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भरोसे ही चलता नजर आ रहा है. आपदा प्रबंधन के हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके जिले के प्रमुख जल स्रोत और पिकनिक स्पॉट पर रेस्क्यू की तैनाती के बारे में जानने की कोशिश की गई, लेकिन कार्यालय में मौजूद कर्मचारी के पास इसका कोई जवाब नहीं था. इसके बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारी का नंबर लेने के लिए 40 मिनट के अंदर 16 बार फोन लगाना पड़ा. तब कहीं जाकर जिम्मेदार अधिकारी का फोन नंबर मिल सका.
रियलिटी चेक करने पर इस तरह का मिला रिस्पांस
रतलाम के सैलाना क्षेत्र में केदारेश्वर के झरने और अन्य पिकनिक स्पॉट पर हादसे से बचाव के लिए रेस्क्यू टीम की तैनाती के संबंध में जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत में जब रियलिटी चेक किया तो कुछ इस तरह से रिस्पांस मिला.
कमांडेंट 6 महीने के अवकाश पर
ईटीवी भारत की टीम ने जब आपदा प्रबंधन हेल्पलाइन नंबर पर पर फोन लगाया तो शुरू में नंबर व्यस्त आया. इसके बाद पुलिस कंट्रोल रूम में फोन किया तो वो नंबर भी बिजी मिला. इसके बाद डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट को फोन किया तो उन्होंने बताया कि वह 6 महीने के अवकाश पर हैं. दोबारा जिला आपदा प्रबंधन हेल्पलाइन पर फोन किया गया. फोन उठाने वाले कर्मचारी से पूछा गया कि, केदारेश्वर झरने से जुड़ी शिकायत के लिए किससे बात करें. लेकिन कर्मचारी को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
आपदा प्रबंधन प्रभारी का नंबर तक नहीं पता
इसके बाद कलेक्ट्रेट के कार्यालय अधीक्षक को फोन लगाया ताकि उनसे जानकारी मिल सके कि आपदा प्रबंधन का प्रभार किसके पास है. अधीक्षक प्रभाकांत उपाध्याय के पास तीन बार फोन लगाने पर भी फोन नहीं रिसीव हुआ. इसके बाद अधीक्षक भू-अभिलेख, अखिलेश मालवीय को फोन किया. उन्हें जब केदारेश्वर, ईसरथूनी झरनों पर खतरों के बीच एंजॉय कर रहे पर्यटकों के बारे में जानकारी दी गई तो उन्होंने कंट्रोल रूम में बात करने को कहा. हालांकि कंट्रोल रूम में पहले ही बात हो गई थी, उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था. फिर भी आपदा प्रबंधन प्रभारी का नाम और मोबाइल नंबर जानने के लिए दोबारा फोन किया. लेकिन वहां तैनात कर्मचारी को यह भी नहीं पता था कि प्रभारी कौन है. उसने भू-अभिलेखागार विभाग के अधिकारी रामलाल पाण्डेय का नंबर दिया और किसी बड़े साहब को जानकारी देने की बात कहकर फोन रख दिया.
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16 बार फोन करने पर प्रभारी से हुई बात
इसके बाद कंट्रोल रूम से मिले नंबर पर फोन लगाया तो रामलाल पाण्डेय ने भू-अधीक्षक से बात करने को कहा. दोबारा भू-अधीक्षक अखिलेश मालवीय को फोन लगाया गया तो उन्होंने बार-बार फोन लगाने पर नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने फिर से आपदा प्रबंधन हेल्पलाइन नंबर पर बात करने को कहा. यह तीसरी बार हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने का सुझाव मिला था. तीसरी बार हेल्पलाइन नंबर 07412270490 पर फोन किया गया तो इस बार किसी दूसरे कर्मचारी ने फोन उठाया. उसने डिप्टी कमांडेंट होमगार्ड सुमित खरे का फोन नंबर दिया तब अंतत: डिप्टी कमांडेंट से बात हो सकी और उन्हें पिकनिक स्पॉट पर जान जोखिम में डालकर मस्ती कर रहे लोगों की जानकारी दी जा सकी.