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मध्य प्रदेश में MSP पर सोयाबीन बेचने से दूर भाग रहे किसान, जानें क्या है माजरा? - FARMER NOT SELLING SOYBEAN ON MSP

मोहन यादव सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदने के लिए 1400 उपार्जन केंद्र खेले थे. लेकिन किसान यहां सोयाबीन बेचने नहीं आ रहे.

MP FARMER NOT SELLING SOYBEAN ON MSP
सरकारी खरीदी केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे किसान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

रतलाम: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य 4,892 रुपए प्रति क्विंटल पर सोयाबीन खरीदी के लिए 1400 उपार्जन केंद्र खोले गए हैं. लेकिन सरकारी खरीदी केंद्रों में सोयाबीन बेचने में किसान रुचि नहीं ले रहे हैं. जिन किसानों ने पंजीयन करवाया था उनमें भी अधिकांश किसान उपार्जन केंद्रों पर नहीं पहुंचे हैं. खास करके मालवा क्षेत्र में जहां सोयाबीन का उत्पादन सर्वाधिक होता है.

किसानों के न पहुंचने का कारण

यहां महज 2 से 3% किसानों ने ही सोयाबीन बेचने के लिए पंजीयन करवाया था. जिसके बाद पंजीयन करवाने वाले किसान भी उपार्जन केंद्र पर नहीं पहुंच रहे हैं. किसानों के अनुसार इसकी मुख्य वजह भुगतान में हो रही देरी और उपार्जन केंद्रों पर किसानों की सोयाबीन को नमीयुक्त बताकर रिजेक्ट किया जाना है.

किसान एमएसपी पर नहीं बेच रहे सोयाबीन (ETV Bharat)

सरकारी खरीदी पर नहीं पहुंच रहे किसान

दरअसल, मध्य प्रदेश में सोयाबीन के कम दामों को लेकर किसान परेशान थे. किसानों ने सोशल मीडिया पर सोयाबीन के दाम ₹6000 प्रति क्विंटल किए जाने को लेकर मुहिम भी शुरू की थी. इसके बाद मोहन सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी किए जाने की घोषणा की थी. मध्य प्रदेश में 1400 उपार्जन केंद्रों पर सोयाबीन की खरीदी भी शुरू हुई, लेकिन किसानों को सरकारी खरीदी में सोयाबीन बेचने में रुचि नहीं है.

टाइम पर नहीं हो रहा भुगतान

रतलाम जिले में 1 लाख 45 हजार किसानों में से महज 7900 किसानों ने ही सोयाबीन बेचने के लिए पंजीयन करवाया था. इसमें से केवल 2425 किसान ही अपनी फसल लेकर उपार्जन केंद्र पर पहुंचे हैं. किसान अरविंद पाटीदार, भगवती पाटीदार और भेरूलाल धाकड़ ने बताया, "सरकारी खरीदी में सोयाबीन बेचने पर 8 से 10 दिनों तक रुपए ही नहीं मिल पा रहे हैं. वहीं, सोयाबीन में अधिक नमी बताकर रिजेक्ट किया जा रहा है."

मंडी में मिल रहे अच्छे दाम

कृषि विभाग और उपार्जन केंद्रों की प्रभारी अधिकारी नीलम सिंह ने कहा, "किसानों को उनकी फसल का बेहतर दाम मंडी में ही मिल रहा है. इस वजह से सरकारी खरीदी केंद्रों पर कम किसान पहुंच रहे हैं. किसानों के भुगतान में हो रही देरी को लेकर प्रभारी अधिकारी ने कहा कि किसानों को जल्दी से जल्दी भुगतान किए जाने के लिए सरकारी सोसाइटियों और बैंक को निर्देशित किया गया है."

31 दिसंबर तक जारी रहेगी खरीदी

बहरहाल, रतलाम सहित मंदसौर, नीमच और मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में सोयाबीन खरीदी केंद्रों पर लगभग यही हालात बने हुए हैं. हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार 31 दिसंबर तक समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी करेगी. जिसमें शेष बचे पंजीकृत किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं.

रतलाम: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य 4,892 रुपए प्रति क्विंटल पर सोयाबीन खरीदी के लिए 1400 उपार्जन केंद्र खोले गए हैं. लेकिन सरकारी खरीदी केंद्रों में सोयाबीन बेचने में किसान रुचि नहीं ले रहे हैं. जिन किसानों ने पंजीयन करवाया था उनमें भी अधिकांश किसान उपार्जन केंद्रों पर नहीं पहुंचे हैं. खास करके मालवा क्षेत्र में जहां सोयाबीन का उत्पादन सर्वाधिक होता है.

किसानों के न पहुंचने का कारण

यहां महज 2 से 3% किसानों ने ही सोयाबीन बेचने के लिए पंजीयन करवाया था. जिसके बाद पंजीयन करवाने वाले किसान भी उपार्जन केंद्र पर नहीं पहुंच रहे हैं. किसानों के अनुसार इसकी मुख्य वजह भुगतान में हो रही देरी और उपार्जन केंद्रों पर किसानों की सोयाबीन को नमीयुक्त बताकर रिजेक्ट किया जाना है.

किसान एमएसपी पर नहीं बेच रहे सोयाबीन (ETV Bharat)

सरकारी खरीदी पर नहीं पहुंच रहे किसान

दरअसल, मध्य प्रदेश में सोयाबीन के कम दामों को लेकर किसान परेशान थे. किसानों ने सोशल मीडिया पर सोयाबीन के दाम ₹6000 प्रति क्विंटल किए जाने को लेकर मुहिम भी शुरू की थी. इसके बाद मोहन सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी किए जाने की घोषणा की थी. मध्य प्रदेश में 1400 उपार्जन केंद्रों पर सोयाबीन की खरीदी भी शुरू हुई, लेकिन किसानों को सरकारी खरीदी में सोयाबीन बेचने में रुचि नहीं है.

टाइम पर नहीं हो रहा भुगतान

रतलाम जिले में 1 लाख 45 हजार किसानों में से महज 7900 किसानों ने ही सोयाबीन बेचने के लिए पंजीयन करवाया था. इसमें से केवल 2425 किसान ही अपनी फसल लेकर उपार्जन केंद्र पर पहुंचे हैं. किसान अरविंद पाटीदार, भगवती पाटीदार और भेरूलाल धाकड़ ने बताया, "सरकारी खरीदी में सोयाबीन बेचने पर 8 से 10 दिनों तक रुपए ही नहीं मिल पा रहे हैं. वहीं, सोयाबीन में अधिक नमी बताकर रिजेक्ट किया जा रहा है."

मंडी में मिल रहे अच्छे दाम

कृषि विभाग और उपार्जन केंद्रों की प्रभारी अधिकारी नीलम सिंह ने कहा, "किसानों को उनकी फसल का बेहतर दाम मंडी में ही मिल रहा है. इस वजह से सरकारी खरीदी केंद्रों पर कम किसान पहुंच रहे हैं. किसानों के भुगतान में हो रही देरी को लेकर प्रभारी अधिकारी ने कहा कि किसानों को जल्दी से जल्दी भुगतान किए जाने के लिए सरकारी सोसाइटियों और बैंक को निर्देशित किया गया है."

31 दिसंबर तक जारी रहेगी खरीदी

बहरहाल, रतलाम सहित मंदसौर, नीमच और मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में सोयाबीन खरीदी केंद्रों पर लगभग यही हालात बने हुए हैं. हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार 31 दिसंबर तक समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी करेगी. जिसमें शेष बचे पंजीकृत किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं.

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