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20 साल के संयम पालरेचा ने त्यागा सांसारिक मोह, घर छोड़कर बने जैन दीक्षार्थी - RATLAM BOY TAKES JAIN DIKSHA - RATLAM BOY TAKES JAIN DIKSHA

जिस उम्र में सांसारिक विलासिता और आधुनिक जीवन शैली की सुख सुविधाओं को लोग अपनाते हैं, उस उम्र में 20 साल के युवा संयम पालरेचा दीक्षा लेकर संयम के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं. बुधवार 12 जून को संयम सांसारिक मोह माया का त्याग कर जैन दीक्षार्थी बन गए.

RATLAM BOY TAKES JAIN DIKSHA
20 साल के संयम पालरेचा ने त्यागा सांसारिक मोह (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 12, 2024, 11:57 AM IST

रतलाम. आज मुमुक्षु संयम पालरेचा ने विशाल जुलूस के बीच सांसारिक मोह माया और वस्तुओं का त्याग कर दिया. उन्होंने दोनों हाथों से अपनी सभी सांसारिक वस्तुओं को लुटा दिया. माता-पिता के इकलौते पुत्र संयम पालरेचा को संयम का पथ ऐसा भाया कि उन्होंने दीक्षार्थी बनने का निर्णय ले लिया. मुमुक्षु संयम बुधवार सुबह आचार्य श्री बंधु बेलड़ी प्रशिष्यरत्न गणिवर्य श्री पदम-आनंदचन्द्रसागर जी म.सा. के करकमलों से परमानंदी प्रवज्या ग्रहण कर संयम जीवन के पथ पर अग्रसर हुए हैं.

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20 साल के संयम पालरेचा ने त्यागा सांसारिक मोह (ETV BHARAT)

कड़ी परीक्षा के बाद मिलती है दीक्षा

दरअसल, दीक्षा प्राप्त करने का यह सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता है. इससे पूर्व संयम, उपवास और आराधना की परीक्षा देकर गुरुवार से आशीर्वाद प्राप्त करना होता है. महज 20 साल की उम्र में संयम पालरेचा ने सांसारिक मोह माया का त्याग कर दिया है. मुमुक्षु संयम अपने माता पिता कविता एवं प्रवीण पालरेचा के एकमात्र पुत्र हैं, जिन्होंने खुशी-खुशी दीक्षा ग्रहण करने के लिए संयम को आशीर्वाद दिया है.

पूरे रास्ते लुटाई सांसारिक वस्तुएं

सांसारिक जीवन के अंतिम दिन मुमुक्षु संयम ने अपने माता-पिता के साथ भव्य रथ में सवार होकर वर्षीदान किया. उन्होंने सांसारिक दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ बर्तन आदि सामग्री मुक्तहस्त से सम्पूर्ण मार्ग में लुटाई. यह भव्य यात्रा धानमंडी से आरम्भ होकर यात्रा नाहरपुरा, गणेश देवरी, चांदनी चौक, लक्कड़पीठा, बाजना बस स्टैंड होकर लगभग तीन घंटे में दीक्षा स्थल तक पहुंची.

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अपने सांसारिक जीवन के अंतिम दिन संयम ने अपने माता-पिता के हाथों से अंतिम बार खाना खाया. बुधवार की सुबह संयम सांसारिक जीवन और अपना नाम छोड़कर गुरुवर द्वारा दिए गए नए नाम के साथ संयम पद की यात्रा के लिए निकल पड़े

रतलाम. आज मुमुक्षु संयम पालरेचा ने विशाल जुलूस के बीच सांसारिक मोह माया और वस्तुओं का त्याग कर दिया. उन्होंने दोनों हाथों से अपनी सभी सांसारिक वस्तुओं को लुटा दिया. माता-पिता के इकलौते पुत्र संयम पालरेचा को संयम का पथ ऐसा भाया कि उन्होंने दीक्षार्थी बनने का निर्णय ले लिया. मुमुक्षु संयम बुधवार सुबह आचार्य श्री बंधु बेलड़ी प्रशिष्यरत्न गणिवर्य श्री पदम-आनंदचन्द्रसागर जी म.सा. के करकमलों से परमानंदी प्रवज्या ग्रहण कर संयम जीवन के पथ पर अग्रसर हुए हैं.

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20 साल के संयम पालरेचा ने त्यागा सांसारिक मोह (ETV BHARAT)

कड़ी परीक्षा के बाद मिलती है दीक्षा

दरअसल, दीक्षा प्राप्त करने का यह सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता है. इससे पूर्व संयम, उपवास और आराधना की परीक्षा देकर गुरुवार से आशीर्वाद प्राप्त करना होता है. महज 20 साल की उम्र में संयम पालरेचा ने सांसारिक मोह माया का त्याग कर दिया है. मुमुक्षु संयम अपने माता पिता कविता एवं प्रवीण पालरेचा के एकमात्र पुत्र हैं, जिन्होंने खुशी-खुशी दीक्षा ग्रहण करने के लिए संयम को आशीर्वाद दिया है.

पूरे रास्ते लुटाई सांसारिक वस्तुएं

सांसारिक जीवन के अंतिम दिन मुमुक्षु संयम ने अपने माता-पिता के साथ भव्य रथ में सवार होकर वर्षीदान किया. उन्होंने सांसारिक दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ बर्तन आदि सामग्री मुक्तहस्त से सम्पूर्ण मार्ग में लुटाई. यह भव्य यात्रा धानमंडी से आरम्भ होकर यात्रा नाहरपुरा, गणेश देवरी, चांदनी चौक, लक्कड़पीठा, बाजना बस स्टैंड होकर लगभग तीन घंटे में दीक्षा स्थल तक पहुंची.

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अपने सांसारिक जीवन के अंतिम दिन संयम ने अपने माता-पिता के हाथों से अंतिम बार खाना खाया. बुधवार की सुबह संयम सांसारिक जीवन और अपना नाम छोड़कर गुरुवर द्वारा दिए गए नए नाम के साथ संयम पद की यात्रा के लिए निकल पड़े

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