भोपाल। रातापानी अभ्यारण्य में बीते 8 दिन पहले बाघिन की मौत के बाद बिछड़े उसके 2 शावकों का रेस्क्यू कर लिया गया है. वन मंडल रायसेन ने दोनों शावकों का रेस्क्यू कर भोपाल स्थित वन विहार लाया गया है. जहां इन नन्हे शावकों को 21 दिन तक क्वरांटाइन में रखा जाएगा. जब ये शिकार करने लायक हो जाएंगे, तो इन्हें फिर से जंगल में छोड़ दिया जाएगा.
आपसी संघर्ष में हुई बाघ-बाघिन की मौत
डीएफओ औबेदुल्लागंज हेमंत रैकवार ने बताया कि "रातापानी अभ्यारण्य में एक बाघिन अपने 3 शावकों के साथ घूम रही थी. इस दौरान एक बाघ से बाघिन का आपसी संघर्ष शुरु हो गया. जिसके बाद बाघ और बाघिन दोनों की मौत हो गई. इनके साथ एक शावक की भी मौत हो गई लेकिन 2 नन्हे शावक बच गए और जंगल में घूम रहे थे."
शावकों को बचाने के लिए किया रेस्क्यू
जिस लोकेशन के आसपास दोनों शावक घूम रहे थे. वहां कई खतरनाक जंगली जानवरों का मूवमेंट था. ये शिकारी जानवर इन नन्हे शावकों पर हमला कर सकते थे. इसको देखते हुए वन विभाग के अधिकारी सावधान हो गए थे और पूरा अमला इन दो शावकों को रेस्क्यू करने में लगा था.
जंगल में लगाए 17 कैमरे
वन विभाग की टीम 1 मई से शावकों को रेस्क्यू करने की कोशिश कर रही थी लेकिन शावक पकड़ में नहीं आ रहे थे. इनकी वास्तविक लोकेशन टीम को नहीं मिल पा रही थी. ऐसे में वन विभाग ने इनको पकड़ने के लिए जंगल में 17 कैमरे लगाए. जिसके बाद तेंदुए द्वारा शिकार की गई बकरी का बचा हुआ मांस खाते हुए दोनों शावक एक कैमरे में कैद हुए थे.
बकरी रखकर शावकों को पकड़ा
जब वन विभाग की टीम को शावकों की लोकेशन पता चल गई तो उन्होंने एक बड़ा सा बाड़ा बनाया. टीम को पता था कि शावक भूखे होंगे, तो आसपास मूवमेंट जरुर करेंगे. इसके लिए उन्होंने बाड़े में एक मरी हुई बकरी डाल दी. नन्हें शावक जब रात में पहुंचे तो उनको पकड़ लिया गया.
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इनका कहना है
"दोनों शावक जिस स्थान पर थे वहां खड़ी पहाड़ी थी, इसलिए रेस्क्यू में परेशानी हुई. पूरे 8 दिन तक 80 से 100 कर्मचारी इन्हें पकड़ने का प्रयास करते रहे. गुरुवार को इन्हें पकड़कर वन विहार भेज दिया गया है." - हेमंत रैकवार, डीफओ औबेदुल्लागंज
"शावकों को वन विहार लाया गया है जहां उनके स्वास्थ्य की देखरेख की जा रही है. अभी 21 दिन तक यहां उनको क्वारंटाइन रखा जाएगा. जब वो शिकार करने लायक हो जाएंगे तो जंगल में छोड़ दिया जाएगा." - सुनील सिन्हा, डायरेक्टर वन विहार