वाराणसी: देश के उद्योग जगत को बीते दिन एक बड़ा नुकसान पहुंचा है. यह एक ऐसा नुकसान है, जिसकी भरपाई शायद ही कोई कर सकेगा. इंसानियत, लीडरशिप और विजन इन तीनों ही काबिलियत के धनी 'देश के रतन' रतन टाटा का निधन हो गया. उनके निधन का शोक पूरा देश मना रहा है. वहीं, वाराणसी के लोगों ने भी रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित की है. आज अस्सी घाट पर 51 दीये जलाकर उनको श्रद्धांजलि दी गई है.
वाराणसी के अस्सी घाट पर जय मां गंगा सेवा समिति और ब्राम्हम राष्ट्र की तरफ से रतन टाटा के लिए श्रद्धांजलि का कार्यक्रम किया गया. घाट पर मौजूद पंडितों ने शांति मंत्र का जाप कर उनकी आत्मा की शांति के लिए मां गंगा से प्रार्थना की. इस दौरान घाट पर 51 दीये जलाए गए. इस मौके पर विभिन्न समितियों के लोग मौजूद थे. सभी ने रतन टाटा को याद करके हुए देश के लिए किए गए उनके योगदान को काफी अहम बताया.
दो मिनट के मौन के साथ मां गंगा से की प्रार्थना: जय मां गंगा सेवा समिति के यश चतुर्वेदी ने कहा कि, रतन टाटा का देश के विकास में काफी अहम योगदान रहा. उन्होंने गरीब वर्ग के लोगों को लिए बहुत काम किया. उनके चले जाने से देश को बड़ी क्षति हुई है. वहीं ब्रह्म राष्ट्रम के कुशाग्र ने बताया कि उनकी आत्मा की शांति के लिए हम लोगों ने 02 मिनट का मौन रखा और मां गंगा से प्रार्थना की. इस दौरान घाट पर मौजूद बड़ी संख्या में पर्यटक भी शामिल हुए.
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बनारस आए थे रतन टाटा: देश के उद्योगपतियों में बड़ा नाम रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में मुंबई में अंतिम सांस ली. उससे कुछ दिन पहले ही उन्हें एक बार और अस्पताल ले जाया गया था. तब उनके स्वस्थ होने की बात रतन टाटा की टीम की तरफ से की गई थी. वहीं, अगर जब बात बनारस और रतन टाटा की हो रही है तो याद आता है कि रतन टाटा बनारस भी आए थे. करीब पांच साल पहले की बात है. जब पीएम नरेंद्र मोदी ने सुंदरपुर स्थित होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल और मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर का उद्घाटन किया था.
करीब एक घंटे तक मौजूद रहे रतन टाटा: प्रधानमंत्री के साथ रतन टाटा भी मौजूद थे. उनके साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे. ये मौका न सिर्फ वाराणसी के लोगों के लिए बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और आस-पास के सटे राज्यों के लिए भी बड़ा था. कैंसर के मरीजों के लिए यह अस्पताल किसी वरदान से कम नहीं. अस्पताल के उद्घाटन के दौरान करीब एक घंटे तक वे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ में थे. रतन टाटा का वाराणसी में अस्पताल के लिए आना लोगों को काफी अच्छा लगा था.
यूपी सहित कई राज्यों के मरीजों को लाभ: वाराणसी स्थित 350 बेड का महामना कैंसर संस्थान पूर्वोत्तर भारत में अपने ढंग का इकलौता अस्पताल है. यह अस्पताल उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, उत्तराखंड और यहां तक कि नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के रोगियों के लिए बेहतर विकल्प में से एक है. मुंबई-दिल्ली के बाद बनारस कैंसर ट्रीटमेंट का बड़ा सेंटर बनकर उभरा है. इस कैंसर अस्पताल में दुनिया के सबसे आधुनिक उपकरणों से इलाज की सुविधा है, जिसका लाभ मरीजों को मिल रहा है.
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