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'मृत्यु से पहले कोई झूठ नहीं बोल सकता', इस आधार पर दुष्कर्म पीड़िता के सुसाइड मामले में आरोपी को दी 10 साल का कारावास - rapist sentenced for 10 years

कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के आत्महत्या मामले में आरोपी को 10 साल के कारावास की सजा दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी की है कि मृत्यु से पहले कोई झूठ नहीं बोल सकता है.

District and Session court
जिला एवं सत्र न्यायालय (ETV Bharat Chittorgarh)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 12, 2024, 9:24 PM IST

चित्तौड़गढ़. युवती के मृत्यु पूर्व कथन पर विश्वास कर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक 2 के पीठासीन अधिकारी विनोद कुमार बैरवा ने आरोपी सद्दाम हुसैन पुत्र बबलू शाह उर्फ मोहम्मद हुसैन मेवाती शाह को दोषी मानते हुए सजा सुनाई. मुलजिम पर आरोप था कि युवती को शादी का झांसा देकर आरोपी ने दुष्कर्म किया और ब्लैकमेल कर हजारों रुपए ऐंठ लिए. बाद में शादी से मना करने पर उसने सेलफोस की गोलियां खा लीं, जिससे उसकी अस्पताल में मौत हो गई.

अपर लोक अभियोजक संख्या 2 अब्दुल सत्तार खान के अनुसार मृतका के 61 साल के पिता ने 13 अप्रैल, 2021 को रिपोर्ट दी कि उसकी पुत्री ने जहरीली वस्तु खा ली. सूचना पर घर पहुंचा, तो पुत्री ने बताया कि वह सद्दाम पुत्र मोहम्मद हुसैन से परेशान हो गई. उसने ब्लैकमेल कर 70-80 हजार रुपए ले लिए और होटल ले जाकर कई बार बलात्कार किया. वायदे के अनुसार जब शादी के लिए कहा, तो उसने इनकार कर दिया. रिपोर्ट पर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया.

पढ़ें: नाबालिगों से दुष्कर्म करने के आदतन अभियुक्त जीवाणु को एक बार फिर हुई उम्रकैद - Jaipur POCSO court

मुकदमा दर्ज होने के पूर्व ही अस्पताल में इलाजरत पीड़िता का मृत्यु पूर्व पर्चा बयान पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टर की स्वीकृति की पश्चात उप निरीक्षक राजेश कसाना ने लेखबद्ध किए, जिसमें पीड़िता ने सद्दाम द्वारा ब्लैकमेल करने की वजह से सेल्फास की गोलियां खाने का आरोप लगाया. पुलिस चौकी पर तैनात विजयलक्ष्मी महिला कांस्टेबल ने लिए गए पर्चा बयान की अपने मोबाइल से रिकार्ड कर सीडी बनाकर अनुसंधान अधिकारी को सौंपी.

पढ़ें: 7 साल पहले दुष्कर्म कर नाबालिग को किया गर्भवती किया, फिर जबरन गर्भ गिराया, आरोपी को 20 साल का कारावास - rapist sentenced for 20 years jail

मृत्यु पूर्व दिए कथनों को न्यायालय ने महत्वपूर्ण दस्तावेज माना और उच्चतम न्यायालय के विचार को प्रतिपादित करते हुए लिखा कि 'जीवन के अंतिम समय में कोई व्यक्ति झूठ को अपने मुंह में लेकर नहीं जाता है. उस समय मरने वाला व्यक्ति सत्य ही बोलता है'. विचारण न्यायालय ने अभियोजन के गवाहों में से मृतका के माता-पिता, भाई, मेडिकल साक्षी, अनुसंधान अधिकारी की गवाही को भी महत्वपूर्ण माना. अपर लोक अभियोजक द्वारा प्रस्तुत 24 गवाह, 46 दस्तावेज का अवलोकन करने के पश्चात पीठासीन अधिकारी बैरवा ने अपने निर्णय में आरोपी सद्दाम हुसैन को धारा 306 आईपीसी के अन्तर्गत व 10 साल का कठोर कारावास और 25000 रुपए जुर्माना एवं धारा 376 आईपीसी में 7 वर्ष का कारावास और 25000 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया.

चित्तौड़गढ़. युवती के मृत्यु पूर्व कथन पर विश्वास कर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश क्रमांक 2 के पीठासीन अधिकारी विनोद कुमार बैरवा ने आरोपी सद्दाम हुसैन पुत्र बबलू शाह उर्फ मोहम्मद हुसैन मेवाती शाह को दोषी मानते हुए सजा सुनाई. मुलजिम पर आरोप था कि युवती को शादी का झांसा देकर आरोपी ने दुष्कर्म किया और ब्लैकमेल कर हजारों रुपए ऐंठ लिए. बाद में शादी से मना करने पर उसने सेलफोस की गोलियां खा लीं, जिससे उसकी अस्पताल में मौत हो गई.

अपर लोक अभियोजक संख्या 2 अब्दुल सत्तार खान के अनुसार मृतका के 61 साल के पिता ने 13 अप्रैल, 2021 को रिपोर्ट दी कि उसकी पुत्री ने जहरीली वस्तु खा ली. सूचना पर घर पहुंचा, तो पुत्री ने बताया कि वह सद्दाम पुत्र मोहम्मद हुसैन से परेशान हो गई. उसने ब्लैकमेल कर 70-80 हजार रुपए ले लिए और होटल ले जाकर कई बार बलात्कार किया. वायदे के अनुसार जब शादी के लिए कहा, तो उसने इनकार कर दिया. रिपोर्ट पर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया.

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मुकदमा दर्ज होने के पूर्व ही अस्पताल में इलाजरत पीड़िता का मृत्यु पूर्व पर्चा बयान पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टर की स्वीकृति की पश्चात उप निरीक्षक राजेश कसाना ने लेखबद्ध किए, जिसमें पीड़िता ने सद्दाम द्वारा ब्लैकमेल करने की वजह से सेल्फास की गोलियां खाने का आरोप लगाया. पुलिस चौकी पर तैनात विजयलक्ष्मी महिला कांस्टेबल ने लिए गए पर्चा बयान की अपने मोबाइल से रिकार्ड कर सीडी बनाकर अनुसंधान अधिकारी को सौंपी.

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मृत्यु पूर्व दिए कथनों को न्यायालय ने महत्वपूर्ण दस्तावेज माना और उच्चतम न्यायालय के विचार को प्रतिपादित करते हुए लिखा कि 'जीवन के अंतिम समय में कोई व्यक्ति झूठ को अपने मुंह में लेकर नहीं जाता है. उस समय मरने वाला व्यक्ति सत्य ही बोलता है'. विचारण न्यायालय ने अभियोजन के गवाहों में से मृतका के माता-पिता, भाई, मेडिकल साक्षी, अनुसंधान अधिकारी की गवाही को भी महत्वपूर्ण माना. अपर लोक अभियोजक द्वारा प्रस्तुत 24 गवाह, 46 दस्तावेज का अवलोकन करने के पश्चात पीठासीन अधिकारी बैरवा ने अपने निर्णय में आरोपी सद्दाम हुसैन को धारा 306 आईपीसी के अन्तर्गत व 10 साल का कठोर कारावास और 25000 रुपए जुर्माना एवं धारा 376 आईपीसी में 7 वर्ष का कारावास और 25000 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया.

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