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ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती के हाथों की कलाकारी का छाया जादू, विदेशों तक ऐपण की राखियों की धूम - Meenakshi khati Aipan Rakhi

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 16, 2024, 10:02 AM IST

Updated : Aug 16, 2024, 10:20 AM IST

Aipan Artist Minakshi Khati देवभूमि उत्तराखंड सदियों से देश-दुनिया में अपनी सांस्कृतिक विरासत के कारण अलग ही पहचान रखता आ रहा है. उत्तराखंड की लोककलाएं भी अपने आप में बेजोड़ हैं, जो यहां की पहचान बन चुकी हैं. ऐपण कला भी उन्हीं में से एक है और जिसे संजोने का काम किया जा रहा है. वहीं मीनाक्षी खाती की ऐपण वाली राखियों को लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

Minakshi Khati Aipan Artist
मीनाक्षी खाती के हाथों की कलाकारी का छाया जादू (Photo- Etv Bharat)
ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती की राखियों की बढ़ी मांग (Video-Etv Bharat)

रामनगर: कुमाऊं मंडल में ऐपण बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. समय से साथ ऐपण को नया मार्केट मिल रहा है और ऐपण कला को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है. कुछ लोग इन्हें सहेजने का काम कर रहे हैं, उन्हीं में से एक नैनीताल जिले के रामनगर की मीनाक्षी खाती भी हैं. जिसे लोग ऐपण गर्ल के नाम से भी जानते हैं.

Aipan rakhis in demand abroad
ऐपण की राखियों की विदेशों में भी मांग (Photo- Etv Bharat)

मीनाक्षी की राखियों की विदेशों में भी धूम: ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती की राखियां इन दोनों देश ही नहीं विदेशों में भी धूम मचा रही हैं. नैनीताल जिले के रामनगर के छोई गांव की रहने वाली मीनाक्षी खाती प्रदेश में ऐपण गर्ल के नाम से जानी जाती हैं. उन्होंने राखी के माध्यम से ऐपण को नई पहचान देने की पहल की है. साथ ही मीनाक्षी कुमाऊं की संस्कृति ऐपण को भी संरक्षित करने का कार्य लंबे समय से कर रही हैं.हमेशा से ही देवभूमि उत्तराखंड की कला और संस्कृति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है,जो उत्तराखंड की पहचान बन चुकी हैं.

Minakshi Khati  Rakhis are in great demand in market
ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती की राखियों की मार्केट में भारी मांग (Photo- Etv Bharat)

राखियों को दिये ये नाम: इसी में एक ऐपण कला भी है, जो समय के साथ अब रोजगार का साधन भी बनता जा रहा है. मीनाक्षी ने कुमाऊंनी भाषा में लिखी ऐपण की राखियां बनाई हैं जो ईजा,भौं,ददा,भूली, भाई,बौज्यू, दादी, अम्मा, काकी और बूबू आदि नाम से हैं. इन राखियों को उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी पसंद कर रहे हैं, विदेशों से भी मीनाक्षी को सैकड़ों ऑर्डर आ रहे हैं. मीनाक्षी लगभग 500 से ज्यादा राखियों के ऑर्डर विदेश में अब तक दे चुकी हैं. जिसमें कैलिफोर्निया,अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया आदि देश हैं.

minakshi Khati is busy preserving the art of Aipan
मीनाक्षी खाती ऐपण कला को संजोने में जुटी (Photo- Etv Bharat)

ऐसे बनाई जाती है ऐपण कला: बता दें कि, ऐपण को मूलरूप से गेरू (लाल मिट्टी) और बिस्वार (पीसे चावल में पानी मिलाकर तैयार लेप) से तैयार किया जाता है. उत्तराखंड में हर मांगलिक कार्यों में ऐपण से घरों और मंडप को सजाने की परंपरा है. बाद में रेडीमेड स्टीकर ने ऐपण का रूप ले लिया. ऐपण कुमाऊं की लोक चित्रकला की शैली है, जो अपनी अलग पहचान बना चुकी है. मीनाक्षी के साथ इस मुहीम में जुड़कर कई महिलाएं स्वरोजगार से भी जुड़ रही हैं. मीनाक्षी की यह राखियां लोग सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर मीनाकृति ऐपण स्टोर मंगा रहे हैं.

ऐपण कला का खासा महत्व: बता दें कि ऐपण कला का सामाजिक रीति रिवाज में अपना खास महत्व है. पूरे कुमाऊं अंचल में ऐपण कला काफी प्रसिद्ध है. जो कुमाऊं मंडल की विरासत और संस्कृति का घोतक है. लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में ऐपण कला कुछ धुंधली जरूर हुई, लेकिन लोगों के आगे आने से ये परंपरा फिर पटरी पर लौटने लगी है. जिसे रामनगर की मीनाक्षी खाती संजोने की कोशिश में जुटी हैं. ऐसे में लोगों को सिर्फ हौसला बढ़ाने की जरूरत है, जिससे युवा पीढ़ी भी आगे आ सके.

पढ़ें-ऐपण कला को संजो रही रंजना नेगी, दीपावली के लिए बर्तनों में उकेरी कुमाऊं की संस्कृति

ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती की राखियों की बढ़ी मांग (Video-Etv Bharat)

रामनगर: कुमाऊं मंडल में ऐपण बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. समय से साथ ऐपण को नया मार्केट मिल रहा है और ऐपण कला को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है. कुछ लोग इन्हें सहेजने का काम कर रहे हैं, उन्हीं में से एक नैनीताल जिले के रामनगर की मीनाक्षी खाती भी हैं. जिसे लोग ऐपण गर्ल के नाम से भी जानते हैं.

Aipan rakhis in demand abroad
ऐपण की राखियों की विदेशों में भी मांग (Photo- Etv Bharat)

मीनाक्षी की राखियों की विदेशों में भी धूम: ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती की राखियां इन दोनों देश ही नहीं विदेशों में भी धूम मचा रही हैं. नैनीताल जिले के रामनगर के छोई गांव की रहने वाली मीनाक्षी खाती प्रदेश में ऐपण गर्ल के नाम से जानी जाती हैं. उन्होंने राखी के माध्यम से ऐपण को नई पहचान देने की पहल की है. साथ ही मीनाक्षी कुमाऊं की संस्कृति ऐपण को भी संरक्षित करने का कार्य लंबे समय से कर रही हैं.हमेशा से ही देवभूमि उत्तराखंड की कला और संस्कृति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है,जो उत्तराखंड की पहचान बन चुकी हैं.

Minakshi Khati  Rakhis are in great demand in market
ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती की राखियों की मार्केट में भारी मांग (Photo- Etv Bharat)

राखियों को दिये ये नाम: इसी में एक ऐपण कला भी है, जो समय के साथ अब रोजगार का साधन भी बनता जा रहा है. मीनाक्षी ने कुमाऊंनी भाषा में लिखी ऐपण की राखियां बनाई हैं जो ईजा,भौं,ददा,भूली, भाई,बौज्यू, दादी, अम्मा, काकी और बूबू आदि नाम से हैं. इन राखियों को उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी पसंद कर रहे हैं, विदेशों से भी मीनाक्षी को सैकड़ों ऑर्डर आ रहे हैं. मीनाक्षी लगभग 500 से ज्यादा राखियों के ऑर्डर विदेश में अब तक दे चुकी हैं. जिसमें कैलिफोर्निया,अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया आदि देश हैं.

minakshi Khati is busy preserving the art of Aipan
मीनाक्षी खाती ऐपण कला को संजोने में जुटी (Photo- Etv Bharat)

ऐसे बनाई जाती है ऐपण कला: बता दें कि, ऐपण को मूलरूप से गेरू (लाल मिट्टी) और बिस्वार (पीसे चावल में पानी मिलाकर तैयार लेप) से तैयार किया जाता है. उत्तराखंड में हर मांगलिक कार्यों में ऐपण से घरों और मंडप को सजाने की परंपरा है. बाद में रेडीमेड स्टीकर ने ऐपण का रूप ले लिया. ऐपण कुमाऊं की लोक चित्रकला की शैली है, जो अपनी अलग पहचान बना चुकी है. मीनाक्षी के साथ इस मुहीम में जुड़कर कई महिलाएं स्वरोजगार से भी जुड़ रही हैं. मीनाक्षी की यह राखियां लोग सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर मीनाकृति ऐपण स्टोर मंगा रहे हैं.

ऐपण कला का खासा महत्व: बता दें कि ऐपण कला का सामाजिक रीति रिवाज में अपना खास महत्व है. पूरे कुमाऊं अंचल में ऐपण कला काफी प्रसिद्ध है. जो कुमाऊं मंडल की विरासत और संस्कृति का घोतक है. लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में ऐपण कला कुछ धुंधली जरूर हुई, लेकिन लोगों के आगे आने से ये परंपरा फिर पटरी पर लौटने लगी है. जिसे रामनगर की मीनाक्षी खाती संजोने की कोशिश में जुटी हैं. ऐसे में लोगों को सिर्फ हौसला बढ़ाने की जरूरत है, जिससे युवा पीढ़ी भी आगे आ सके.

पढ़ें-ऐपण कला को संजो रही रंजना नेगी, दीपावली के लिए बर्तनों में उकेरी कुमाऊं की संस्कृति

Last Updated : Aug 16, 2024, 10:20 AM IST
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