जयपुर : छोटी काशी कहे जाने वाले जयपुर के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 4 साल बाद रौनक लौटेगी. कोरोना के कारण करीब 80 साल से संचालित रामलीला के मंचन पर कुछ इस तरह ब्रेक लगा कि परिस्थितियां सामान्य होने के बाद भी रामलीला मैदान में पारम्पारिक रामलीला का मंचन नहीं हो पा रहा था. ये पूरी तरह एक पार्किंग प्लेस बन कर रह गया, लेकिन इस बार श्री सनातन धर्म महोत्सव समिति जयपुर की विरासत को जीवंत रखने के लिए रामलीला का आयोजन कर रही है. खास बात ये है कि 10 दिन चलने वाली इस रामलीला में इस बार जयपुर के प्राचीन रामचंद्र जी मंदिर से रामलीला मैदान तक राम बारात भी निकलेगी और रावण वध के बाद भगवान श्री राम का राज्याभिषेक भी होगा.
मथुरा, वृंदावन से पहुंचे कलाकार : जयपुर के रामलीला मैदान में लक्ष्मण की ललकार, केवट के जरिए नदिया पार, लंका दहन और रावणवध का गवाह बनता रहा है. रामलीला के ये दृश्य हर जयपुरवासी के जहन में रचे-बसे हुए हैं, लेकिन कोरोना ने इसपर ब्रेक लगा दिया, जिसे इस साल संजीवनी दी जा रही है. दरअसल, जयपुर के स्थापना के बाद सवाई जयसिंह द्वितीय के समय से शहर में रामलीला होती आई है. बाद में न्यू गेट स्थित प्रदर्शनी मैदान में रामलीला शुरू हुई. इसके बाद इस मैदान का नाम ही रामलीला मैदान पड़ गया. यहां आजादी के पहले से ही रामलीला होती आ रही है. रामलीला की इस परंपरा ने लोगों को ऐसे जोड़ा कि शहर के विस्तार के साथ रामलीला का मंचन बढ़ता चला गया. स्थानीय लोगों के बाद मथुरा, वृंदावन से भी कलाकार आकर रामलीला को साकार करने लगे.
श्री सनातन धर्म महोत्सव समिति ने उठाया बीड़ा : कोरोना काल में इस रामलीला पर ब्रेक लगा और चार साल तक यहां रामलीला का मंचन तो दूर ये मैदान पार्किंग स्पॉट बनकर रह गया. शारदीय नवरात्रों में भी यही स्थिति बनी रही. स्थानीय निवासी वीरेश माथुर ने बताया कि उनके परिवार की तीन पीढ़ी इस पारंपरिक रामलीला को देखती आ रही है. यहां गोलछा परिवार ने करीब 8 दशक तक रामलीला का आयोजन करवाया. अब श्री सनातन धर्म महोत्सव समिति ने यहां रामलीला महोत्सव कराने का बीड़ा उठाया है. वहीं, समिति सदस्य सरदार राजन सिंह ने बताया कि जयपुर की विरासत को साकार करने के लिए एक बार फिर रामलीला मैदान में रामलीला का मंचन कराया जा रहा है. पहले यहां सीता हरण, राम का पराक्रम, उड़ते हुए हनुमान को देखने के लिए पूरा शहर उमड़ा करता था. इसी आयोजन को और भव्यता दी जा रही है.
निकाली जाएगी राम बारात : आयोजन समिति के सदस्य नवनीत मित्तल ने बताया कि यहां गणेश पूजन से रामलीला महोत्सव की शुरुआत होगी और भगवान श्री राम के राजा अभिषेक के साथ रामलीला पूर्ण होगी. रामलीला के दौरान पांच बार आतिशबाजी होगी. प्राचीन रामचंद्र जी के मंदिर से रामलीला मैदान तक राम बारात निकाली जाएगी, जिसमें 1100 से ज्यादा महिलाएं ठीक उसी तरह शामिल होंगी मानों घर में ही कोई विवाह समारोह है. लंका दहन, रावण वध, भरत मिलाप आकर्षण के केंद्र होंगे. यहां करीब 60 फीट ऊंचे रावण का दहन करने के बाद भगवान श्री राम का राज्याभिषेक भी होगा. निगम प्रशासन पहले भी इस आयोजन में अपनी भूमिका अदा करता रहा है, ऐसे में ये परंपरा न टूटे इसे ध्यान में रखते हुए निगम प्रशासन भी सक्रिय नजर आ रहा है.
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हेरिटेज निगम की महापौर कुसुम यादव ने बताया कि रामलीला मैदान मैं रामलीला महोत्सव के दौरान लाइटिंग, सफाई और दूसरी व्यवस्थाओं के लिए निगम प्रशासन आयोजन समिति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा, ताकि रामलीला मंचन के जरिए भगवान श्री राम का जीवन संदेश युवाओं तक पहुंचे. जानकारों ने बताया कि पहले रामलीला मैदान मुख्य सांस्कृतिक केंद्र हुआ करता था. पहले मैदान छोटा था, मंच भी ऐसा नहीं था, लेकिन रामलीला का वर्चस्व ऐसा था कि यहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक पहुंचते थे. तब ये पूरे शहर की रामलीला होती थी. रामलीला की इसी वैभव और कीर्तिमान को स्थापित रखते हुए इस बार भी यहां प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, जयपुर शहर सांसद मंजू शर्मा, ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर, हेरिटेज नगर निगम की महापौर कुसुम यादव पहुंचेंगीं और रामलीला के पारंपरिक स्वरूप की गवाह बनेंगीं.