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दरभंगा के रामकुमार मल्लिक को ध्रुपद संगीत कला के लिए मिलेगा पद्मश्री, 13वीं पीढ़ी से वंशज कर रहे इस संगीत का प्रतिनिधित्व

Ramkumar Mallik To Get Padma Award: दरभंगा के रामकुमार मल्लिक को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा रहा है. वो ध्रुपद संगीत के लिए काफी प्रसिद्ध हैं, उनसे पूर्वज 13वीं पीढ़ी से इस संगीत कला का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 27, 2024, 11:05 AM IST

रामकुमार मल्लिक को पद्मश्री सम्मान

दरभंगा: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को 5 लोगों को पद्म विभूषण, 17 लोगों को पद्म भूषण और 110 नामचीन हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार सम्मानित करने का सूची जारी की गई. जिसमें ध्रुपद संगीत के लिए देश व विदेश में प्रसिद्ध दरभंगा घराने के पंडित राम कुमार मल्लिक का नाम भी पद्मश्री पुरस्कार के लिए सूची में शामिल है. इस ऐलान के बाद उनके घर में खुशी का माहौल है और बधाई का सिलसिला लगातार जारी है.

विरासत में मिली ध्रुपद संगीत की कला: इस खास संगीत कला को लेकर 71 वर्षीय पंडित राम कुमार मल्लिक ने कहा कि यह कला का सम्मान है. इससे पहले उनके चचेरे दादा पंडित रामचतुर मल्लिक भी इस सम्मान से नवाजे जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि 13वीं पीढ़ी से उनके वंशज इस संगीत का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. उन्हें यह विरासत अपने पिता और गुरु विश्व प्रसिद्ध ध्रुपद लेजेंड पंडित विदुर मल्लिक से मिली. उन्हें अपने दादा सुखदेव पंडित से भी सीखने का अवसर मिला था.

नवाब सिराजुद्दौला के दरबारी गायक से सीखी ये कला: बता दें कि दरभंगा का अमता घराना शास्त्रीय संगीत के लिए विश्वख्याति प्राप्त कर चुका है. ध्रुपद गायन की विशिष्ट शैली यहां की खासियत है. इस घराने की 12वीं व 13वीं पीढ़ी के कलाकार देश-दुनिया में परचम लहरा रहे हैं. रामकुमार मल्लिक अपने पिता विदुर मल्लिक के नाम से ध्रुपद संगीत गुरुकुल की स्थापना कर निशुल्क प्रशिक्षण देकर इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. इसके संस्थापक पंडित राधाकृष्ण और पंडित कर्ताराम मल्लिक ने भूपत खां से ध्रुपद गायन सीखा था. भूपत खां लखनऊ के नवाब सिराजुद्दौला के दरबारी गायक थे.

"पद्म पुरस्कार कला का सम्मान है. इससे पहले मेरे चचेरे दादा पंडित रामचतुर मल्लिक को भी इस सम्मान से नवाजे गया है. 13वीं पीढ़ी से हमारे पूर्वज इस संगीत का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं." -राम कुमार मल्लिक, ध्रुपद गायक

दरभंगा महाराजा ने दिया मौका: भूपत खां को तानसेन के उत्तराधिकारियों में से माना जाता है. अठारहवीं शताब्दी के अंतिम दशक में एक बार भूपत के अनुरोध पर मल्लिक बंधुओं ने लखनऊ के दरबार में ध्रुपद गायन किया. संयोगवश उस वक्त दरबार में दरभंगा महाराजा माधव सिंह (1785-1805) भी उपस्थित थे. उन्होंने मल्लिक बंधुओं के गायन से प्रभावित होकर दरभंगा आने का आमंत्रण दिया. यहां आकर मल्लिक बंधुओं ने अपने गायन की प्रस्तुति की. जिससे प्रसन्न होकर तत्काल दरभंगा महाराज ने मल्लिक बंधुओं को दरबारी गायक नियुक्त करते हुए जमींदारी प्रदान की.

विदेश में ध्रुपद गायन की प्रस्तुती: यह घराना वर्तमान बहेड़ी प्रखंड कीनारायण दोहट पंचायत स्थित अमता गांव में स्थापित हुआ. वर्ष 2017 में इस घराने की 12वीं पीढ़ी के पंडित रामकुमार मल्लिक ने बेटे डॉ. समित मल्लिक के साथ विदेश में ध्रुपद गायन प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी. अपनी समृद्ध और शक्तिशाली आवाज के लिए चर्चित पंडित रामकुमार मल्लिक इससे पहले कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं.

पढ़ें-मधुबनी के दंपत्ति शिवम पासवान और शांति देवी को मिला पद्मश्री पुरस्कार, गोदना कला को दिया नया जीवन

रामकुमार मल्लिक को पद्मश्री सम्मान

दरभंगा: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को 5 लोगों को पद्म विभूषण, 17 लोगों को पद्म भूषण और 110 नामचीन हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार सम्मानित करने का सूची जारी की गई. जिसमें ध्रुपद संगीत के लिए देश व विदेश में प्रसिद्ध दरभंगा घराने के पंडित राम कुमार मल्लिक का नाम भी पद्मश्री पुरस्कार के लिए सूची में शामिल है. इस ऐलान के बाद उनके घर में खुशी का माहौल है और बधाई का सिलसिला लगातार जारी है.

विरासत में मिली ध्रुपद संगीत की कला: इस खास संगीत कला को लेकर 71 वर्षीय पंडित राम कुमार मल्लिक ने कहा कि यह कला का सम्मान है. इससे पहले उनके चचेरे दादा पंडित रामचतुर मल्लिक भी इस सम्मान से नवाजे जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि 13वीं पीढ़ी से उनके वंशज इस संगीत का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. उन्हें यह विरासत अपने पिता और गुरु विश्व प्रसिद्ध ध्रुपद लेजेंड पंडित विदुर मल्लिक से मिली. उन्हें अपने दादा सुखदेव पंडित से भी सीखने का अवसर मिला था.

नवाब सिराजुद्दौला के दरबारी गायक से सीखी ये कला: बता दें कि दरभंगा का अमता घराना शास्त्रीय संगीत के लिए विश्वख्याति प्राप्त कर चुका है. ध्रुपद गायन की विशिष्ट शैली यहां की खासियत है. इस घराने की 12वीं व 13वीं पीढ़ी के कलाकार देश-दुनिया में परचम लहरा रहे हैं. रामकुमार मल्लिक अपने पिता विदुर मल्लिक के नाम से ध्रुपद संगीत गुरुकुल की स्थापना कर निशुल्क प्रशिक्षण देकर इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. इसके संस्थापक पंडित राधाकृष्ण और पंडित कर्ताराम मल्लिक ने भूपत खां से ध्रुपद गायन सीखा था. भूपत खां लखनऊ के नवाब सिराजुद्दौला के दरबारी गायक थे.

"पद्म पुरस्कार कला का सम्मान है. इससे पहले मेरे चचेरे दादा पंडित रामचतुर मल्लिक को भी इस सम्मान से नवाजे गया है. 13वीं पीढ़ी से हमारे पूर्वज इस संगीत का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं." -राम कुमार मल्लिक, ध्रुपद गायक

दरभंगा महाराजा ने दिया मौका: भूपत खां को तानसेन के उत्तराधिकारियों में से माना जाता है. अठारहवीं शताब्दी के अंतिम दशक में एक बार भूपत के अनुरोध पर मल्लिक बंधुओं ने लखनऊ के दरबार में ध्रुपद गायन किया. संयोगवश उस वक्त दरबार में दरभंगा महाराजा माधव सिंह (1785-1805) भी उपस्थित थे. उन्होंने मल्लिक बंधुओं के गायन से प्रभावित होकर दरभंगा आने का आमंत्रण दिया. यहां आकर मल्लिक बंधुओं ने अपने गायन की प्रस्तुति की. जिससे प्रसन्न होकर तत्काल दरभंगा महाराज ने मल्लिक बंधुओं को दरबारी गायक नियुक्त करते हुए जमींदारी प्रदान की.

विदेश में ध्रुपद गायन की प्रस्तुती: यह घराना वर्तमान बहेड़ी प्रखंड कीनारायण दोहट पंचायत स्थित अमता गांव में स्थापित हुआ. वर्ष 2017 में इस घराने की 12वीं पीढ़ी के पंडित रामकुमार मल्लिक ने बेटे डॉ. समित मल्लिक के साथ विदेश में ध्रुपद गायन प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी. अपनी समृद्ध और शक्तिशाली आवाज के लिए चर्चित पंडित रामकुमार मल्लिक इससे पहले कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं.

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