अमेठी: अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए योग सम्राट शिवयोगी बालयोगी बालब्रह्मचारी स्वामी अभयचैतन्य फलाहारी और हिंदू संरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौनी महाराज ने अपने जीवन काल में अब तक 56 बार भू-समाधि और 27 बार जल-समाधि ली हैं. इतना ही नहीं उन्होंने श्री राम मंदिर निर्माण के संकल्प को पूरा होने की प्रतिज्ञा लेकर पिछले 46 वर्षों से भोजन का भी त्याग किया. अब अयोध्या में सरयू तट के गुप्तार घाट पर पांच दिवसीय यज्ञ कर रहे हैं.
यूपी के अमेठी जिले के बाबू गंज स्थित परम हंस आश्रम के पीठाधीश्वर मौनी स्वामी ने राम मंदिर निर्माण के लिए वर्ष 1981 से लेकर 2023 तक लगातार संपूर्ण भारत वर्ष के धार्मिक स्थलों पर यज्ञ-अनुष्ठान, पूजा-पाठ, जप तप और उपवास, लेटकर चक्रवर्ती दंडवत परिक्रमा करने को ही जीवन का ध्येय बना रखा है. वर्ष 1989 से 2002 तक 14 वर्षों का मौनव्रत भी रखा.
बीते 37 वर्षों के दौरान प्रभु श्रीराम मंदिर के निर्माण की कामना के लिए महायज्ञ करके 1 अरब 86 करोड़ 72 लाख से ज्यादा आहुतियां दीं. अब तक प्रभु श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए मौनी महाराज ने गत 37 वर्षों के दौरान भारत के विभिन्न स्थानों पर लेटकर 5400 किलोमीटर चक्रवर्ती दंडवत परिक्रमा करने का भी रिकॉर्ड बनाया है. वर्ष के 12 महीने वह जमीन पर सोते हैं और सिर्फ भिक्षा में मिले फल को ग्रहण करते हैं.
आतंकवाद के विनाश, गो हत्या पर पाबंदी, राष्ट्र रक्षा, राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान से लेकर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्ति की मांग को लकेर भी उन्होंने काफी संघर्ष किया है. तीर्थराज प्रयाग की कड़कड़ाती ठंड में भी लोहे की प्लेटों पर लेटकर अपने शिविर से संगम तट तक पूरे कल्पवास में सात बार परिक्रमा करते हैं. पावन धरा अयोध्या में उन्होंने सपा सरकार के दौरान भी श्रीराम मंदिर निर्माण के संकल्प को लेकर चौदाकोशी परिक्रमा के मार्ग पर 11 दिवसीय भू-समाधि ली थी. तत्कालीन सरकार ने पता चलने पर 11 दिन से पहले ही समाधि को तोड़वा कर उन्हें जबरन बाहर निकलवाया था.
संत मौनी महाराज ने अपनी पहली भू-समाधि उत्तराखंड देवभूमि से प्रारंभ की. जहां अलौकिक साधकों का मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ. इसके बाद अयोध्या, काशी, मथुरा, उज्जैन, विठूर, नैमिषारण्य, चित्रकूट, प्रयागराज, मैहर, बिंध्यांचल, कडे मानिकपुर, शीतलन, रामेश्वरम, कन्याकुमारी, बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि धार्मिक तीर्थों पर यज्ञ अनुष्ठान और परिक्रमा के साथ गुप्त भू-समाधि और जल समाधि लेकर राममंदिर निर्माण और राष्ट्र रक्षा की कामना करते रहे.
उत्तर प्रदेश की बड़ी समाधियों में परमहंस सेवाश्रम बाबूगंज सगरा गौरीगंज जनपद अमेठी में 30-30 दिनों की तीन समाधियां रही हैं. भगवान कुश की नगरी सुलतानपुर के आदिगंगा गोमतीतट पर सम्पन्न उनकी 56 वीं भू-समाधि के बाद श्रीराम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया था. संत मौनी महाराज ने अपने जीवन काल में ली गई अब तक की 56 भू समाधियों में से सबसे लंबी भू-समाधि नेपाल में थी. यहां उनकी लगातार 41 दिन की भू-समाधि को देखकर वहां के महाराजा धिराज राजा वीरेंद्र विक्रमशाह और उनकी धर्मज्ञ पत्नी ने रुद्राक्षों का मुकुट एवं चंद्रमा भेंट किया था.
श्रीराम मंदिर निर्माण की मनोकामना की पूर्ति के लिए वह भारत वर्ष के महानगरों और धार्मिक स्थलों में भू और जल समाधियां लेकर आम-जनमानस के मन में भी प्रभु श्रीराम के प्रति अगाध आस्था को जगाते रहे हैं. महाराष्ट्र के नासिक कुंभ क्षेत्र में गोदावरी तट स्थित परमहंस हरिधाम साधना आश्रम में संत मौनी महाराज ने 11 दिवसीय जलसमाधि और 9 दिवसीय भू-समाधि ली थी. तब महाराष्ट्र के गृहराज्य मंत्री रहे कृपाशंकर सिंह ने वहां पहुंचकर उनका सम्मान किया था.
इसी तरह कलकत्ता में कालीघाट के निकट राधा कृष्ण मंदिर के परिसर में 9 दिवसीय भू-समाधि हुई. उन्होंने अपनी 56 वीं भू-समाधि भगवान श्रीराम के पुत्र कुश की नगरी सुलतानपुर में गोमती तट पर वर्ष 2018-19 में ली थी. अब मंदिर निर्माण हो गया. आगामी 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा, जिसमें मौनी स्वामी को भी आमंत्रित किया है. मौनी स्वामी इस समय अयोध्या के सरयू तट पर गुप्तार घाट पर पांच दिवसीय यज्ञ कर रहे हैं.