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कान्हा की नगरी मथुरा से सैनिकों के लिए जाएंगे रक्षा सूत्र, स्कूल की छात्राओं ने तैयार की राखियां - Raksha Bandhan 2024 - RAKSHA BANDHAN 2024

यह राखियां शुक्रवार को वात्सल्य ग्राम स्थित संविद गुरुकुलम गर्ल्स सैनिक स्कूल में दीदी मां साध्वी ऋतंभरा को सौंपी गईं. इन राखियां को करीब 300 बच्चियां अटारी और लोंगवाला बॉर्डर लेकर जाएंगी और सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधेंगी.

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कान्हा की नगरी मथुरा से सैनिकों के लिए जाएंगे रक्षा सूत्र. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 17, 2024, 10:56 AM IST

मथुरा: अपने परिजनों को छोड़कर देश सीमाओं पर रहकर रात दिन खड़े होकर देश की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए कान्हा की नगरी मथुरा में जगह-जगह राखियां तैयार हुई हैं. स्कूली छात्राओं ने बड़े ही प्रेम भाव से इन रक्षा सूत्रों को तैयार किया है.

यह राखियां शुक्रवार को वात्सल्य ग्राम स्थित संविद गुरुकुलम गर्ल्स सैनिक स्कूल में दीदी मां साध्वी ऋतंभरा को सौंपी गईं. इन राखियां को करीब 300 बच्चियां अटारी और लोंगवाला बॉर्डर लेकर जाएंगी और सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधेंगी.

साध्वी दीदी मां ऋतंभरा ने रक्षा यात्रा के बारे में बताया. (Video Credit; ETV Bharat)

साध्वी दीदी मां ऋतंभरा ने बताया कि जब भी कभी त्योहार का दिन आता है तो हमारे सैनिक बहुत भावुक हो जाते हैं. क्योंकि वह अपने परिवार से अलग होते हैं, परिवार से दूर होते हैं. छोटे-छोटे बच्चे उनके घर में प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, बहने उनके घर में प्रतीक्षा करती हैं, मां प्रतीक्षा कर रही होती हैं.

उन भावुक क्षणों में हम वीर सैनिकों को यह अनुभव कराते हैं, यह जताते हैं कि आपको जिन्होंने जन्म दिया वही मां आपकी मां नहीं है. पूरे भारत की बेटियां पुत्रियां आपकी बहन हैं, जो आपके लिए रक्षा सूत्र लेकर आई हैं. मैं आपको बहुत गौरव से कहती हूं कि जिस जिस बॉर्डर पर हम गए और पूरे देश से रक्षा सूत्र लेकर गए.

पूरे देश में सैनिकों की चिट्ठियां जाती हैं और उन सैनिकों के साथ हमारे जीवन भर का एक आत्मीय संबंध बन जाता है. हम उनके सुख-दुख में शामिल होते हैं. उनके घरों के उत्सवों में शामिल होते हैं, तो यह भावनात्मक संबंध अपने भावों की अभिव्यक्ति का अनुष्ठान है राष्ट्र रक्षा सूत्र यात्रा.

साध्वी दीदी मां ऋतंभरा ने बताया कि हमारे विद्यालय से ज्यादा से ज्यादा बेटियां रक्षा सूत्र लेकर जाना चाहती हैं. बस भर-भर कर जा रही हैं. कुछ बच्चियां रह जाती हैं तो वह मुझसे शिकायत करती हैं. हम कोशिश करते हैं कि राष्ट्रपति को भी रक्षा सूत्र बांधने के लिए जा पाए प्रधानमंत्री जी को भी रक्षा सूत्र बांधेंगे और देश के जो तीनों सेना प्रमुख हैं उनको भी रक्षा सूत्र बांधेंगे.

उसके बाद बॉर्डर पर और इंडिया गेट में जो मेमोरियल बना है वहां पर हमारे सैनिक हैं वहां पर भी हम अलग-अलग टोलिया बनाकर के अलग-अलग जगह पर रक्षा सूत्र लेकर जाएंगे, इस बार हम लॉन्ग वाल और अटारी बॉर्डर पर भी रक्षा सूत्र लेकर जा रहे हैं. हमने कोशिश की थी कि हमें कारगिल बॉर्डर पर जाने का मौका मिले लेकिन, हमें लगता है हम अगले वर्ष सफल हो जाएंगे वहां पर रक्षा सूत्र बांधने में.

ये भी पढ़ेंः यूपी के 16 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट; संडे से फिर सक्रिय होगा मानसून, 3 दिन होगी तेज बरसात

मथुरा: अपने परिजनों को छोड़कर देश सीमाओं पर रहकर रात दिन खड़े होकर देश की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए कान्हा की नगरी मथुरा में जगह-जगह राखियां तैयार हुई हैं. स्कूली छात्राओं ने बड़े ही प्रेम भाव से इन रक्षा सूत्रों को तैयार किया है.

यह राखियां शुक्रवार को वात्सल्य ग्राम स्थित संविद गुरुकुलम गर्ल्स सैनिक स्कूल में दीदी मां साध्वी ऋतंभरा को सौंपी गईं. इन राखियां को करीब 300 बच्चियां अटारी और लोंगवाला बॉर्डर लेकर जाएंगी और सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधेंगी.

साध्वी दीदी मां ऋतंभरा ने रक्षा यात्रा के बारे में बताया. (Video Credit; ETV Bharat)

साध्वी दीदी मां ऋतंभरा ने बताया कि जब भी कभी त्योहार का दिन आता है तो हमारे सैनिक बहुत भावुक हो जाते हैं. क्योंकि वह अपने परिवार से अलग होते हैं, परिवार से दूर होते हैं. छोटे-छोटे बच्चे उनके घर में प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, बहने उनके घर में प्रतीक्षा करती हैं, मां प्रतीक्षा कर रही होती हैं.

उन भावुक क्षणों में हम वीर सैनिकों को यह अनुभव कराते हैं, यह जताते हैं कि आपको जिन्होंने जन्म दिया वही मां आपकी मां नहीं है. पूरे भारत की बेटियां पुत्रियां आपकी बहन हैं, जो आपके लिए रक्षा सूत्र लेकर आई हैं. मैं आपको बहुत गौरव से कहती हूं कि जिस जिस बॉर्डर पर हम गए और पूरे देश से रक्षा सूत्र लेकर गए.

पूरे देश में सैनिकों की चिट्ठियां जाती हैं और उन सैनिकों के साथ हमारे जीवन भर का एक आत्मीय संबंध बन जाता है. हम उनके सुख-दुख में शामिल होते हैं. उनके घरों के उत्सवों में शामिल होते हैं, तो यह भावनात्मक संबंध अपने भावों की अभिव्यक्ति का अनुष्ठान है राष्ट्र रक्षा सूत्र यात्रा.

साध्वी दीदी मां ऋतंभरा ने बताया कि हमारे विद्यालय से ज्यादा से ज्यादा बेटियां रक्षा सूत्र लेकर जाना चाहती हैं. बस भर-भर कर जा रही हैं. कुछ बच्चियां रह जाती हैं तो वह मुझसे शिकायत करती हैं. हम कोशिश करते हैं कि राष्ट्रपति को भी रक्षा सूत्र बांधने के लिए जा पाए प्रधानमंत्री जी को भी रक्षा सूत्र बांधेंगे और देश के जो तीनों सेना प्रमुख हैं उनको भी रक्षा सूत्र बांधेंगे.

उसके बाद बॉर्डर पर और इंडिया गेट में जो मेमोरियल बना है वहां पर हमारे सैनिक हैं वहां पर भी हम अलग-अलग टोलिया बनाकर के अलग-अलग जगह पर रक्षा सूत्र लेकर जाएंगे, इस बार हम लॉन्ग वाल और अटारी बॉर्डर पर भी रक्षा सूत्र लेकर जा रहे हैं. हमने कोशिश की थी कि हमें कारगिल बॉर्डर पर जाने का मौका मिले लेकिन, हमें लगता है हम अगले वर्ष सफल हो जाएंगे वहां पर रक्षा सूत्र बांधने में.

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