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जानिए रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का क्या है शुभ मुहूर्त, सब कन्फ्यूजन होगा दूर - Raksha Bandhan 2024

Raksha Bandhan Timing : रक्षा बंधन की टाइमिंग को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन है. ऐसे में हम आपकी इस समस्या को दूर कर देते हैं. साथ ही बताते हैं कि राखी बांधने समय किस मंत्र को पढ़ें.

रक्षाबंधन
रक्षाबंधन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 17, 2024, 8:21 PM IST

पटना : हिंदू धर्म में भाई बहन की प्रेम का सबसे बड़ा त्योहार रक्षाबंधन है, जो प्रतिवर्ष सावन के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रक्षाबंधन के मौके पर राखी बांधने के मुहूर्त का सबसे अधिक महत्व होता है. बहन अपने भाइयों की कलाई पर शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधती हैं और राखी बांधने से पहले तक वह उपवास में रहती हैं. इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त को पड़ रहा है. कई लोग इस सोच में पड़े हुए हैं कि क्या रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया पड़ रहा है. ऐसे में जानते हैं कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है.

राखी बांधने का क्या है शुभ मुहूर्त ? : आचार्य रामशंकर दूबे बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार, भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किया जाता है. 18 अगस्त को दोपहर 2:45 पर भद्रा की शुरुआत हो रही है जो 19 अगस्त को दोपहर 1:25 पर समाप्त हो रही है. ऐसे में इसके बाद 1:30 से रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त शुरू हो रहा है जो 19 अगस्त को देर रात तक रहेगा.

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त (Etv Bharat)

''सावन माह की पूर्णिमा पर भद्रा का साया जरूर पड़ रहा है लेकिन इसका असर रक्षाबंधन पर नहीं पड़ेगा. दोपहर 1:25 से पहले रक्षाबंधन मानना अधिक शुभ नहीं है. ऐसे में बहनों को भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए दोपहर तक उपवास रखना पड़ेगा.''- आचार्य रामशंकर दूबे

पाताल लोक में हो रहा भद्रा का वास : आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि इस बार भद्रा का वास पाताल लोक में हो रहा है. इसलिए इसका धरती पर असर नहीं पड़ेगा. जब भद्रा का वास स्वर्ग लोक अथवा पाताल लोक में होता है तो इसका धरती पर असर अधिक नहीं होता है और यह अधिक अशुभ नहीं माना जाता है.

इस मंत्र को पढ़ें.
इस मंत्र को पढ़ें. (Etv Bharat)

मंत्र के साथ राखी बांधने का महत्व : रक्षाबंधन के दिन रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र विशेष महत्व रखता है. यह मंत्र भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उसकी रक्षा के लिए पढ़ा जाता है. ॐ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और अस्तित्व का प्रतीक है. येन बद्धो बलि राजा जिस मंत्र से महान बलि राजा बांधा गया था. दानवेन्द्रो महाबल जो दानवों का महान और शक्तिशाली राजा था. तेन त्वामभिबध्नामि उसी मंत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं. रक्षे मा चल मा चल हे रक्षा सूत्र, कभी भी अपने स्थान से मत हिलो, स्थिर रहो.

भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन : रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और रिश्तों की अहमियत का त्यौहार है. जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसे उसके कर्तव्यों की याद दिलाती हैं. रक्षाबंधन की तैयारी में बहनें विशेष रूप से सजी-धजी राखियां खरीदती हैं और भाई भी बहनों को राखी बंधवाने के बाद इस दिन को यादगार बनाने के लिए विशेष उपहार देते हैं.

ये भी पढ़ें :

भाई बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव है रक्षाबंधन, जानें शुभ मुहूर्त और रक्षा सूत्र का महत्व - Raksha Bandhan 2024

भाई की कलाई पर इको फ्रेंडली राखी बांधेंगी बहनें, यहां देखें बांस से बनी राखियों में मिथिला पेंटिंग का अनोखा संगम - Bamboo Rakhis In Bihar

पटना : हिंदू धर्म में भाई बहन की प्रेम का सबसे बड़ा त्योहार रक्षाबंधन है, जो प्रतिवर्ष सावन के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रक्षाबंधन के मौके पर राखी बांधने के मुहूर्त का सबसे अधिक महत्व होता है. बहन अपने भाइयों की कलाई पर शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधती हैं और राखी बांधने से पहले तक वह उपवास में रहती हैं. इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त को पड़ रहा है. कई लोग इस सोच में पड़े हुए हैं कि क्या रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया पड़ रहा है. ऐसे में जानते हैं कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब है.

राखी बांधने का क्या है शुभ मुहूर्त ? : आचार्य रामशंकर दूबे बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार, भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किया जाता है. 18 अगस्त को दोपहर 2:45 पर भद्रा की शुरुआत हो रही है जो 19 अगस्त को दोपहर 1:25 पर समाप्त हो रही है. ऐसे में इसके बाद 1:30 से रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त शुरू हो रहा है जो 19 अगस्त को देर रात तक रहेगा.

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त (Etv Bharat)

''सावन माह की पूर्णिमा पर भद्रा का साया जरूर पड़ रहा है लेकिन इसका असर रक्षाबंधन पर नहीं पड़ेगा. दोपहर 1:25 से पहले रक्षाबंधन मानना अधिक शुभ नहीं है. ऐसे में बहनों को भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए दोपहर तक उपवास रखना पड़ेगा.''- आचार्य रामशंकर दूबे

पाताल लोक में हो रहा भद्रा का वास : आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि इस बार भद्रा का वास पाताल लोक में हो रहा है. इसलिए इसका धरती पर असर नहीं पड़ेगा. जब भद्रा का वास स्वर्ग लोक अथवा पाताल लोक में होता है तो इसका धरती पर असर अधिक नहीं होता है और यह अधिक अशुभ नहीं माना जाता है.

इस मंत्र को पढ़ें.
इस मंत्र को पढ़ें. (Etv Bharat)

मंत्र के साथ राखी बांधने का महत्व : रक्षाबंधन के दिन रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र विशेष महत्व रखता है. यह मंत्र भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उसकी रक्षा के लिए पढ़ा जाता है. ॐ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और अस्तित्व का प्रतीक है. येन बद्धो बलि राजा जिस मंत्र से महान बलि राजा बांधा गया था. दानवेन्द्रो महाबल जो दानवों का महान और शक्तिशाली राजा था. तेन त्वामभिबध्नामि उसी मंत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं. रक्षे मा चल मा चल हे रक्षा सूत्र, कभी भी अपने स्थान से मत हिलो, स्थिर रहो.

भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन : रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और रिश्तों की अहमियत का त्यौहार है. जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसे उसके कर्तव्यों की याद दिलाती हैं. रक्षाबंधन की तैयारी में बहनें विशेष रूप से सजी-धजी राखियां खरीदती हैं और भाई भी बहनों को राखी बंधवाने के बाद इस दिन को यादगार बनाने के लिए विशेष उपहार देते हैं.

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