पाकुड़: भारतीय जनता पार्टी और झारखंड इंडिया गठबंधन के लिए सबसे चर्चित राजमहल लोकसभा सीट इस बार प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. भाजपा ने राजमहल लोकसभा सीट से ताला मरांडी को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ताला मरांडी की जीत सुनिश्चित करने के लिए मोदी लहर के सहारे चुनावी वैतरनी पार करने की जुगत में हैं, तो वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन नीति के तहत तीसरी बार जीत दर्ज करने की तैयारी में जुट गया है. बताते चलें कि झारखंड गठन के बाद राजमहल लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की है. क्षेत्र के लोगों ने देवीधन बेसरा को जीत दिलाकर संसद भेजा था.
राजमहल सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का रहा है कब्जा
लगातार दो बार से राजमहल सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय हांसदा ने जीत दर्ज की है, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के ही चुनाव चिन्ह पर हेमलाल मुर्मू ने एक बार जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हेमलाल को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उन्हें झामुमो ने बड़ी शिकस्त दी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी ने सिर्फ राजमहल विधानसभा क्षेत्र से 1 लाख 3 हजार 62 मत लाकर झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी को 22 हजार 800 मतों के अंतर से पीछे धकेल दिया था. शेष पांच विधानसभा क्षेत्र बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़ और महेशपुर में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने काफी मतों के अंतर से भाजपा को पछाड़ दिया था.
पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे पर एक नजर
बीते लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी विजय हांसदा ने राजमहल से 80 हजार 262, बोरियो विधानसभा से 76301, बरहेट विधानसभा से 62921, लिट्टीपाड़ा विधानसभा से 71504, पाकुड़ विधानसभा से 1 लाख 25 हजार 966 और महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से 89635 मत हासिल किया था. वहीं भाजपा प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को राजमहल विधानसभा से 1 लाख 3 हजार 62, बोरियो से 65360, बरहेट से 49299, लिट्टीपाड़ा विधानसभा से 55035, पाकुड़ विधानसभा से 76711 और महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से 58212 मत मिले थे.
राजमहल संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के ताला मरांडी को यदि छोड़ दें तो कोई कद्दावर और प्रभावी आदिवासी नेता इस क्षेत्र का नहीं है. पिछले लोकसभा चुनाव में ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को बोरियो विधानसभा क्षेत्र में झामुमो से काफी अंतर से हार का सामना करना पड़ा था, जबकि पहले के चुनावों में यहां से भाजपा लीड करती थी.
भाजपा प्रत्याशी ताला मरांडी के सामने हैं कई चुनौतियां
इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बोरियो के पूर्व विधायक ताला मरांडी को चुनावी मैदान में उतारा है. इस बार के चुनाव में ताला मरांडी के सामने जीत के लिए जी तोड़ मेहनत, नाराज चल रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के साथ ही खासकर राजमहल, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर विधानसभा क्षेत्र में निकटतम प्रतिद्वंदी से काफी अंतरों से जीत हासिल करने की सबसे बड़ी चुनौती रहेगी, क्योंकि यही तीन विधानसभा क्षेत्र हैं जहां ताला मरांडी ने यदि काफी मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंदी को पीछे धकलने में कामयाबी हासिल की तो संसद पहुंचने का उनका रास्ता साफ हो जाएगा.
राजमहल संसदीय क्षेत्र का पाकुड़ विधानसभा अल्पंसख्यक बहुल है और यहां शायद ही भाजपा को लीड मिल सके. बरहेट विधानसभा झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ है और यहां का प्रतिनिधित्व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कार्यकर्ताओं और क्षेत्र के लोगों में खासकर केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी है. इसी संसदीय क्षेत्र में बोरियो विधानसभा जिसका प्रतिनिधित्व झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम कर रहे हैं और सरकार के खिलाफ इनकी बयानबाजी और अपने ही दल के सांसद विजय हांसदा के खिलाफ आक्रोश झारखंड मुक्ति मोर्चा को चुनाव में नुकसान पहुंचा सकता है. यहां उल्लेखनीय है कि 2019 के चुनाव में मोदी लहर रहने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर जीत का परचम नहीं लहरा पाई थी.
भाजपा ने किया है जीत का दावा
देश में अबकी बार 400 पार का नारा देकर भाजपा और एनडीए जीत का दावा कर रही है, लेकिन राजमहल संसदीय सीट पर मोदी लहर का असर कितना होगा यह तो 4 जून को ही पता चलेगा. अलबत्ता राजमहल लोकसभा सीट पर एक जून को अंतिम चरण में चुनाव होगा और इस दौरान भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के कई नेताओं का न केवल चुनावी सभा होगी, बल्कि नेताओं के कैंप किए जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
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