हमीरपुर: सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निशाना साधा. राजेंद्र राणा ने कहा कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के आर्थिक कुप्रबंधन ने हिमाचल प्रदेश को कर्ज के दलदल में डूबो दिया है.अब मुख्यमंत्री आर्थिक संकट के नाम पर विधायकों के साथ-साथ मुख्य संसदीय सचिवों, मंत्रियों और निगम बोर्ड के अध्यक्षों-उपाध्यक्षों को अपनी 2 महीने की सैलरी न लेने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन उनकी इस सलाह से ये साफ हो गया है कि प्रदेश में आर्थिक संकट को लेकर इमरजेंसी शुरू हो गई है.
सीएम सुक्खू पर खजाना लूटने का आरोप
राजेंद्र राणा ने कहा कि जिस दिन से सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं, उसी दिन से उन्होंने आर्थिक संकट का रोना रोते हुए थोक में कर्ज उठाना शुरू कर दिया और अपने मित्रों में थोक में कैबिनेट रैंक बांटकर खजाना लुटाना भी शुरू कर दिया. सीएम सुक्खू से पहले हिमाचल प्रदेश के जितने भी मुख्यमंत्री हुए किसी ने भी दो सलाहकार और दो ओएसडी से ज्यादा अपने साथ नियुक्त नहीं किए थे, लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू ने नया रिकॉर्ड बनाते हुए 20 से ज्यादा ओएसडी और दर्जनों सलाहकार तैनात करके सरकारी खजाने पर बोझ डालने में कोई कसर नहीं रखी है. उन्होंने कहा कि जब से हिमाचल प्रदेश बना है, तब से प्रदेश में कई सरकारें आई और गई और अभी तक हिमाचल प्रदेश पर 65 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था, लेकिन सुक्खू सरकार ने 17 महीने में ही यह कर्ज एक लाख करोड़ से ऊपर पहुंचा दिया है. अभी तक सुक्खू सरकार 35,000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है और नया कर्ज लेने की तैयारी चल रही है.
सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा, "ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि नीति आयोग की बैठक तक से मुख्यमंत्री ने किनारा कर लिया और हिमाचल का आर्थिक पक्ष नीति आयोग के सामने नहीं रखा. एक तरफ मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को आए दिन पानी पी पीकर कोसते रहते हैं और दूसरी तरफ नीति आयोग की बैठक से दूरी बना लेते हैं. जिससे साफ जाहिर होता है कि उन्हें प्रदेश की कोई चिंता नहीं है."
राजेंद्र राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पहले से ही भयावह आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है और सुक्खू सरकार ने प्रदेश को कर्ज के दलदल में डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. मुख्यमंत्री को ना तो प्रदेश के विकास की चिंता है और ना ही प्रदेश की जनता के हितों की चिंता है. प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह ठप पड़ चुके हैं. सरकार अपनी चुनावी घोषणाएं पूरी नहीं कर पा रही है.
पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा, "हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारी महंगाई भत्ते की किस्त और एरियर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सुक्खू सरकार के कान में जूं नहीं रेंग रही. सचिवालय के सरकारी कर्मचारी अगर अपनी मांगों को लेकर गेट मीटिंग भी करते हैं तो कर्मचारी नेताओं को नोटिस थमा दिए जाते हैं. सरकारी कर्मचारियों का जमकर उत्पीड़न किया जा रहा है और उन्हें उनके वाजिब हकों से भी वंचित रखा जा रहा है. मुख्यमंत्री की एकमात्र उपलब्धि यही रही है कि झूठ बोलने में उन्होंने नए कीर्तिमान स्थापित कर दिए हैं, लेकिन अब झूठ की दाल ज्यादा दिन गलने वाली नहीं है." उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ सुक्खू सरकार ने बेरोजगारों, महिलाओं और हर वर्ग को धोखा दिया है और उनके साथ वादाखिलाफी की है.