राजगढ़। मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में चर्चित राजगढ़ लोकसभा सीट का गणित बड़ा ही पेचीदा है, क्योंकि एक तरफ यहां कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री मैदान में हैं, तो वहीं भाजपा की ओर से दो बार से सांसद रोडमल नागर मैदान में हैं. नागर के समर्थन में अमित शाह सहित प्रदेश स्तर सभी बड़े नेता सभा कर चुके हैं. वहीं दिग्विजय सिंह अपने नामांकन के बाद से क्षेत्र में अकेले ही स्टार प्रचारक की भूमिका निभा रहे है. हालांकि दो दिन कांग्रेस के दो बड़े नेता, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में आमसभा को संबोधित कर चुके है.
यहां कोई रोजगार की बात नहीं करता
ईटीवी भारत ने चुनावी चौपाल लगाकर राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के आमजन, समाजसेवी और पत्रकारों से चर्चा की. जिसमें बहुत सी बातें निकलकर सामने आई. राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के मतदाता अमजद उल्लाह खान कहते हैं कि दोनों ही दलों के राजनेता पूर्व में अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों का ब्योरा दे रहे हैं, लेकिन आज भी लोग क्षेत्र से बाहर पलायन कर रहे हैं. जो चिंता का विषय है. शिवप्रसाद नाथ बताते है कि, चुनाव तो हर बार होता है लेकिन यहां कोई रोजगार की बात नहीं करता. ना कोई मूलभूत सुविधाओं की बात करता है. कुछ लोगों के लिए चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर होगा, लेकिन हम लोकल मुद्दों को ही देखते हैं. पिछले दस सालों में मैंने रोडमल नागर को यहां नहीं देखा है.
पशु सड़कों पर घूम रहे हैं
राजगढ़ जिले के वरिष्ट पत्रकार तनवीर वारसी ईटीवी भारत से बात करते हुए कहते है कि, दोनो ही राजनीतिक पार्टी बड़े-बड़े दावे के साथ चुनाव के मैदान में उतरती है. राजगढ़ की ही नहीं बल्कि सभी जगह की जनता को भ्रमित करती है. जनता का जो अधिकार है, वो तो उन्हें मिलना ही है. जो सत्ता में बैठेगा उसे विकास करना है, तो करना है. क्योंकि उसने वोट लिया है, और उसका काम है ये सब करना. यहां की गौशाला खाली है, पशु सड़कों पर घूम रहे हैं. जिससे आये दिन दुर्घटनाएं होती हैं.
इलाज के लिए आदमी भटक रहा है
उन्होंने राजगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बात करते हुए कहा, अस्पताल में जायेंगे तो आदमी इलाज के लिए भटकता मिलेगा. जैसे कोरोना काल में भटक रहा था. स्वास्थ सुविधाओं में राजगढ़ पिछड़ा हुआ है. यहां के मरीज भोपाल जाते है. यहां सोनोग्राफी तक नहीं होती. जबकि ये जिला अस्पताल है. किस नाम पर जनता वोट दे. जनता एक-एक चीज के लिए तरस रही है. राजनीतिक पार्टियां बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन उसके दुख दर्द में कोई खड़ा नहीं होता. जनता ने कोरोना काल भी देखा और वर्तमान काल भी देख रही है. उनके सुख-दुख में जो खड़ा है, चाहे वह दिग्विजय सिंह हो या रोडमल हो. जो जनता के बीच में रहा है जनता उसे ही वोट देगी.
मंच से खूब जूबानी हमले हुए
गौरतलब है की दिग्विजय सिंह के राजगढ़ से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से ही वे सक्रिय हो गये थे. वहीं भाजपा नेताओं ने भी नामांकन दाखिल करने के बाद से ही ताबड़तोड़ जनसभाएं की. मंच से भाजपा नेताओं ने दिग्विजय सिंह को रामद्रोही और आतंकवादियों को गले लगाने वाला बताया और जनाजा निकालने जैसे बयान से भी घेरा गया. दिग्विजय सिंह को जितना हो सका नीचे दिखाने की कोशिश की गई. लेकिन दिग्विजय सिंह ने अकेले ही ग्रामीण क्षेत्रों में उनके द्वारा शुरुआत से की जा रही नुक्कड़ सभाओं को जारी रखा, शांत रहे, और अपना काम करते रहे. उनके चुनाव प्रचार में दो दिन दो स्टार प्रचारक आए और सभा करके चले गए.
ये सीट नहीं है आसान
एक ओर जहां दिग्विजय सिंह क्षेत्र की जनता से डोर टू डोर सम्पर्क करके वोट मांगने के साथ कार्यकर्ताओं से उनके भरोसे चुनाव लड़ने की बात करते हुए नजर आएं. वहीं भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर लोगों से माफी मांगते हुए और मोदी के नाम पर वोट मांगते हुए नजर आएं. ऐसे में राजगढ़ जिले की जनता भी कन्फ्यूज है कि वो आखिर क्या करें, क्योंकि एक तरफ पीएम का चेहरा और दूसरी तरफ पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह. ऐसे में दोनों पार्टियों को ये चुनाव जीतना आसान लग रहा है, उतना आसान है नहीं. इसलिए कहा जा रहा है कि, दिग्विजय जनता के भरोसे, नागर पीएम के भरोसे और जनता भगवान भरोसे.