राजगढ़: मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिला मुख्यालय में नदी के उस पार स्थित राजगढ़ रियासतकाल की कोठी बाग कृषि विज्ञान केंद्र के अधीन है. यहां फलों के साथ अलग-अलग किस्म की फसल और सब्जियों की खेती किसानों को उदाहरण देने के लिए की जाती है और ये बताने की कोशिश की जाती है कि किसान अपनी खेती को लाभ का धंधा कैसे बना सकते हैं. यह कार्य वैज्ञानिक डॉ. लाल सिंह के संरक्षण में यहां किया जाता है.
कोठीबाग में है अमरूद का सबसे बड़ा बगीचा
आपको बता दें, राजगढ़ रियासतकाल का कोठी बाग आमों के लिए तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन यहां के संतरे और अमरूद भी कम नहीं हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. लाल सिंह ने ईटीवी भारत को बताया '' रियासतकाल के इस कोठीबाग की 10 एकड़ की भूमि में से हमने 5 एकड़ में फलोद्यान लगाया है, जिसमें करीब सवा हेक्टेयर जमीन में अमरूद का बगीचा है. साथ ही आधा हैक्टेयर जमीन में आम का बगीचा है, जिसमें लगभग 10 प्रकार की अलग-अलग किस्में लगाई गई हैं. उसी प्रकार संतरे, चीकू वा अन्य फल के पेड़ लगाए गए हैं. साल के दो सीजन होते हैं और हम बगीचे को सरकारी पद्धति के मुताबिक नीलाम करते हैं. केवल बगीचे को ही यदि देखा जाए तो एक वर्ष के अंदर ही 2 से 4 लाख रु की इनकम हो जाती है.''
राजगढ़ के आम की बाजार में है खासी डिमांड
डॉ. लाल सिंह ने आगे बताया, '' खास तौर से तो हमारा काम बीज उत्पादन का है, जिसमें हम नई किस्म की फसल लगाकर किसानों और सहकारी समितियों के लिए बीज उत्पादन करते हैं. यहां के आम हमें विरासत में मिले हैं, जिनकी हम लोग देखरेख कर रहे हैं. मुझे भी यहां लगभग 15 से 16 वर्ष हो चुके हैं. आम की काफी पहले से यहां कई किस्में लगी हुई हैं. यहां का क्लाइमेट भी अपने आप में अनोखा है. ये बाग नदी के किनारे पर है और यहां के आम की मिठास की बात ही अलग है. इसकी बाजार में भी अधिक डिमांड है.''
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इस तरह खेती बनेगी लाभ का धंधा
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने आगे बताया, '' यहां लगभग 35 से 40 वर्ष पुराना अमरूद का बगीचा पहले से ही लगा हुआ है. 8 से 10 अलग अलग वैरायटी हमने हाल ही में लगाई है, जिनकी बाजार में डिमांड होती है. राजगढ़ के बाजार में अमरूद की भी काफी डिमांड है. किसान भाई यदि अपनी जमीन के 10 से 15 प्रतिशत हिस्से में फलोद्यान लगाए तो उनकी अच्छी आमदनी हो सकती है और उन्हें अच्छा मुनाफा मिल सकता है. इस तरह वह मौसम के प्रभाव से भी सुरक्षित रहेंगे और उनकी खेती लाभ का धंधा बन सकती है.''