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दिग्विजय सिंह के 'किले' में बीजेपी संगठन ने क्यों नहीं ली रिस्क, ये है इनसाइड स्टोरी - RAJGARH DISTRICT PRESIDENT

राजगढ़ जिले में बीजेपी की कमान एक बार फिर ज्ञान सिंह गुर्जर को मिली है. इसके पीछे क्या है सोची समझी रणनीति है.

Rajgarh district president
राजगढ़ जिले में बीजेपी की कमान एक बार फिर ज्ञान सिंह गुर्जर को (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 12:08 PM IST

राजगढ़ : भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार की देर रात जिलाध्यक्षों की तीसरी सूची जारी की. इस सूची में राजगढ़ जिला अध्यक्ष का भी नाम है. इस पद पर बीजेपी जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह गुर्जर को दूसरी मर्तबा जिम्मेदारी दी गई है. हालांकि जिलाध्यक्ष पद के लिए कई लोग ताल ठोक रहे थे. राजगढ़ के बीजेपी नेता भोपाल तक भाग-दौड़ करते रहे. लेकिन आलाकमान ने ज्ञान सिंह के नाम पर मुहर लगाई. माना जा रहा है कि बीते विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली बंपर जीत को देखते हुए जिलाध्यक्ष के पद पर ज्ञान सिंह को रिपीट किया गया है.

राजगढ़ जिले में बीजेपी को मिला जीत का इनाम

बता दें कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राजगढ़ में खासी सफलता हासिल की थी. इस जीत में ज्ञान सिंह गुर्जर की रणनीति को भी माना जा रहा है. पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके ज्ञान सिंह गुर्जर राजगढ़ जिले की खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं. जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पूर्व ही जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली और भारतीय जनता पार्टी ने इन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा. राजगढ़ जिले की पांचों सीट नरसिंहगढ़, ब्यावरा राजगढ़, खिलचीपुर और सारंगपुर जीतकर कांग्रेस को क्लीन स्वीप कर दिया.

दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर कांग्रेस नेता को हार देखनी पड़ी

विधानसभा चुनाव के बाद बारी आई लोकसभा चुनाव की. इसमें भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी मर्तबा रोडमल नागर पर भरोसा जताया. कांग्रेस अपने दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा. इससे सीट गंवाने के पूरे अनुमान सामने आने लगे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव भी जीत गई. दिग्विजय सिंह और उनके बेटे राजवर्धन सिंह जैसे कद्दावर नेताओं के मैदान संभालने के बाद भी बीजेपी ने राजगढ़ में ऐतिहासिक सफलता हाासिल की है. इसी को देखते हुए ज्ञान सिंह गुर्जर पर बीजेपी ने भरोसा जताया.

बीजेपी आलाकमान ने विरोधियों की एक नहीं सुनी

बता दें कि राजगढ़ जिले को एक समय दिग्विजय सिंह का गढ़ माना जाता रहा है. अभी भी दिग्विजय सिंह का यहां खासा प्रभाव है. उनके बेटे राजवर्धन सिंह और रिश्तेदार प्रियव्रत सिंह इसी जिले में जोर आजमाते हैं. इसके बावजूद बीजेपी ने राजगढ़ जिले में अपना सिक्का चलाया. ऐसे में जिस जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में इतनी बड़ी सफलता हासिल की गई हो, उसे पद से हटाना बीजेपी आलाकमान ने स्वीकार नहीं किया. हालांकि ज्ञान सिंह के विरोधी बीजेपी नेता पूरा प्रयास करते रहे लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी.

राजगढ़ : भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार की देर रात जिलाध्यक्षों की तीसरी सूची जारी की. इस सूची में राजगढ़ जिला अध्यक्ष का भी नाम है. इस पद पर बीजेपी जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह गुर्जर को दूसरी मर्तबा जिम्मेदारी दी गई है. हालांकि जिलाध्यक्ष पद के लिए कई लोग ताल ठोक रहे थे. राजगढ़ के बीजेपी नेता भोपाल तक भाग-दौड़ करते रहे. लेकिन आलाकमान ने ज्ञान सिंह के नाम पर मुहर लगाई. माना जा रहा है कि बीते विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली बंपर जीत को देखते हुए जिलाध्यक्ष के पद पर ज्ञान सिंह को रिपीट किया गया है.

राजगढ़ जिले में बीजेपी को मिला जीत का इनाम

बता दें कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राजगढ़ में खासी सफलता हासिल की थी. इस जीत में ज्ञान सिंह गुर्जर की रणनीति को भी माना जा रहा है. पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके ज्ञान सिंह गुर्जर राजगढ़ जिले की खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं. जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पूर्व ही जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली और भारतीय जनता पार्टी ने इन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा. राजगढ़ जिले की पांचों सीट नरसिंहगढ़, ब्यावरा राजगढ़, खिलचीपुर और सारंगपुर जीतकर कांग्रेस को क्लीन स्वीप कर दिया.

दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर कांग्रेस नेता को हार देखनी पड़ी

विधानसभा चुनाव के बाद बारी आई लोकसभा चुनाव की. इसमें भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी मर्तबा रोडमल नागर पर भरोसा जताया. कांग्रेस अपने दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा. इससे सीट गंवाने के पूरे अनुमान सामने आने लगे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव भी जीत गई. दिग्विजय सिंह और उनके बेटे राजवर्धन सिंह जैसे कद्दावर नेताओं के मैदान संभालने के बाद भी बीजेपी ने राजगढ़ में ऐतिहासिक सफलता हाासिल की है. इसी को देखते हुए ज्ञान सिंह गुर्जर पर बीजेपी ने भरोसा जताया.

बीजेपी आलाकमान ने विरोधियों की एक नहीं सुनी

बता दें कि राजगढ़ जिले को एक समय दिग्विजय सिंह का गढ़ माना जाता रहा है. अभी भी दिग्विजय सिंह का यहां खासा प्रभाव है. उनके बेटे राजवर्धन सिंह और रिश्तेदार प्रियव्रत सिंह इसी जिले में जोर आजमाते हैं. इसके बावजूद बीजेपी ने राजगढ़ जिले में अपना सिक्का चलाया. ऐसे में जिस जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में इतनी बड़ी सफलता हासिल की गई हो, उसे पद से हटाना बीजेपी आलाकमान ने स्वीकार नहीं किया. हालांकि ज्ञान सिंह के विरोधी बीजेपी नेता पूरा प्रयास करते रहे लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी.

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