राजगढ़: मध्यप्रदेश की धरती पर जन्मे मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब की दो पंक्तियां "चलो चलते हैं मिलजुल कर वतन पर जान देते है! बहुत आसान है बंद कमरे में वंदे मातरम कहना"! देश के लिए कुछ कर गुजरने वाले उन फ्रीडम फाइटर पर ये पंक्तियां बिल्कुल फिट बैठती हैं, जिन्होंने अपने घर और परिवार के लोगों की परवाह किए बगैर ही देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया. जिन्हें किसी न किसी रूप में आज भी याद किया जाता है और उनकी कोई न कोई निशानी आज भी मौजूद है. ऐसे ही एक फ्रीडम फाइटर राजगढ़ जिले से भी निकले हैं, जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों का सामना किया और जेल में अंग्रेजों की यातनाएं झेलीं, लेकिन उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो गया.
गायों की मौत पर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला
ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए नरसिंहगढ़ नगर में निवास करने वाले फ्रीडम फाइटर मरहूम सैयद हामिद अली के पोते सैय्यद शकेब अली बताते हैं कि, ''उनके दादा ने काफी यातनाएं झेली थीं और वे मध्य प्रदेश के अलग अलग जेल में भी बंद रहे हैं. अंग्रेजों के द्वारा उस समय अत्याधिक लगान वसूली और गौहत्या की गई थी, जिसके विरोध में उन्होंने आंदोलन किए. जिस कारण उन्हें 3 साल की सजा दी गई और उन्हें राजगढ़ में स्थित जिला जेल में रखा गया था. जहां उन्हें काफी यातनाएं दी गईं.''
आजादी के बाद मंत्री बने सैयद हामिद
सैयद शकेब अली ने बताया कि ''देश की आजादी के बाद सैयद हामिद अली जेल, परिवहन वा अन्य मुख्य विभाग के मंत्री भी बनाए गए थे. राजगढ़ कलेक्ट्रेट में इनका पूरा रिकॉर्ड दर्ज है और जिस राजगढ़ जिला जेल में इन्होंने सजा काटी थी, उसकी शिलालेख पर हमारे दादा सैयद हामिद अली का नाम आज भी दर्ज है. सुठालिया में हमारा पैतृक मकान है, जिसमें अब ताला लगा हुआ है. वहीं, सुठालिया थाना परिसर में उनकी मजार भी है, जिसके जीर्णोधार की आवश्यकता है.''
देश के लिए जान कर देंगे कुर्बान
फ्रीडम फाइटर सैयद हामिद अली के रिश्तेदार सैयद आफताब कहते हैं कि, ''हमें उनका रिश्तेदार होने पर बड़ा गर्व महसूस होता है, क्योंकि जिस देश में हम निवासरत है उसे आजाद कराने के लिए उन्होंने अपना योगदान दिया. जिससे हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. भविष्य में भी यदि देश पर कोई आंच आती है तो हम भी अपनी जान की बाजी लगाने के लिए तैयार हैं. क्योंकि ये हमारे खानदान की परंपरा रही है कि, हमारा परिवार देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार हैं.'' वहीं, आफताब कहते है कि, ''सुठालिया में स्थित हामिद अली की कब्र का जीर्णोधार भी होना चाहिए, ताकि लोगों को पता चले की इस देश को आजाद कराने में सभी समाज के लोगों ने अपना योगदान दिया है.''
आजादी की लड़ाई का साक्षी राजगढ़ जिला जेल
ईटीवी भारत ने राजगढ़ जिला जेल के उप अधीक्षक राकेश मोहन उपाध्याय से खास मुलाकात करते हुए राजगढ़ जिले के फ्रीडम फाइटर सैय्यद हामिद अली और उनका राजगढ़ जिला जेल से ताल्लुक को लेकर चर्चा की, जिसमें जेल उप अधीक्षक राकेश मोहन उपाध्याय ने बताया कि, ''राजगढ़ जिला जेल ब्रिटिश कालीन जेल है और आजादी की लड़ाई का ये साक्षी रहा है. क्योंकि राजगढ़ जिला जेल 1905 से अस्तित्वमान है. इस जेल में फ्रीडम फाइटर्स की भी एक सूची है, उन सब से आगे इस जेल की शिलालेख पर सैयद हामिद अली का नाम लिखा है. जो स्वतः सिद्ध है कि, उनका राजगढ़ जिला जेल से विशेष नाता रहा है."
राजगढ़ को जिला बनाने में विशेष योगदान
जेल के उप अधीक्षक राकेश मोहन उपाध्याय ने आगे बताया कि, ''यह जेल बहुत पुराना होने की वजह से हमारे पास अभिलेखी साक्ष्य तो नहीं है, लेकिन विभिन्न स्रोतों से जो जानकारी हमें प्राप्त हुई है, उससे ये स्पष्ट है कि, सैयद हामिद अली ब्रिटिशकालीन स्वतंत्रता संग्राम में बहुत ही सक्रिय भूमिका निभाए थे. इस जेल में भी वे 3 साल के लगभग रहे हैं. निसंदेह उन्होंने अंग्रेजों की यातनाएं इस जेल में झेली हैं, साथ ही राजगढ़ को जिला बनाने में भी उनका विशेष योगदान रहा है. तो निश्चित रूप से न केवल जिला जेल राजगढ़ के लिए, बल्कि पूरे राजगढ़ जिले के लिए वे एक गौरवशाली व्यक्तित्व हैं. आज जो राजगढ़ जिला अस्तित्वमान है उसके पीछे सैयद हामिद अली की भूमिका है. आजादी के इस अवसर पर ऐसे लोगों को बहुत ही श्रद्धा के साथ उनका स्मरण किया जाना चहिए, और उनके आदर्शों का हमें पालन करना चाहिए. देश की आजादी की लड़ाई में जो लोग जेलों के अंदर रहे हैं उन सभी के प्रति हमारा पुण्य स्मरण सदेव रहेगा.''