जयपुर. पूर्व शिक्षा सचिव अनिल बोर्दिया के नेतृत्व में 1994 में ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर कमेटी बनी, जिसने ड्राफ्ट तैयार किया, लेकिन पॉलिसी लागू नहीं हुई. इसके बाद 1997-98, वर्ष 2000 और 2005 में अधिकारियों के स्तर पर ड्राफ्ट तैयार किया गया. 2015 में मंत्री गुलाबचंद कटारिया और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान 2020 में पूर्व आईएएस ओंकार सिंह सरकार ट्रांसफर पॉलिसी का मसौदा लेकर आई, लेकिन अब तक पॉलिसी लागू नहीं हो पाई है. ऐसे में अब वर्तमान बीजेपी सरकार की ओर से ओडिशा मॉडल पर ट्रांसफर पॉलिसी लाए जाने पर भी कर्मचारी संगठनों को संशय हो रहा है.
सभी कार्मिकों के लिए स्थानांतरण पॉलिसी: प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर बीते 30 साल से विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से ड्राफ्ट और कमेटियों के नाम पर सपने दिखाए गए और हर बार इन सपनों पर पानी फेर दिया गया. यही वजह है कि इस बार जब बीजेपी सरकार ओडिशा मॉडल के आधार पर ट्रांसफर पॉलिसी लाने की बात कर रही है तो कर्मचारियों को इसमें भी संशय है. कोई इसे जुमला बता रहा है तो कोई लॉलीपॉप. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश महामंत्री विपिन प्रकाश शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से सभी कार्मिकों के लिए स्थानांतरण पॉलिसी जारी की गई है. इस पर 1 महीने सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. स्थानांतरण पॉलिसी में ओडिशा का मॉडल लागू किया गया है, लेकिन ये जुमला साबित होगा या वास्तव में स्थानांतरण पॉलिसी लागू होगी.
नई ट्रांसफर पॉलिसी में इन दो वर्गों का भी रखें ध्यान : उन्होंने कहा कि हर सरकार ने अपनी कमेटियां गठित की. कभी कहा गया तमिलनाडु मॉडल लेकर आएंगे, कभी आंध्र प्रदेश तो कभी पंजाब मॉडल का जिक्र किया गया. वर्तमान सरकार ओडिशा मॉडल की बात कर रही है. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने तो गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर पूर्ण प्रारूप भी तैयार कर लिया था, लेकिन स्थानांतरण पॉलिसी लागू नहीं हो पाई. अब वही बीजेपी सरकार ओडिशा मॉडल लेकर आई है तो कर्मचारियों में संदेह है कि पूर्व की भांति ही सिर्फ प्रारूप बनकर न रह जाए. हालांकि, सरकार ने 1 महीने का समय देकर सुझाव मांगे हैं. सभी कर्मचारी संगठनों की ओर से सुझाव दिए जाएंगे. सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप सुझाव दिए जाएंगे, लेकिन प्रदेश के तृतीय श्रेणी शिक्षकों के ट्रांसफर 10 साल से नहीं हुए हैं. टीएसपी क्षेत्र के ट्रांसफर नहीं हुए हैं. ऐसे में सरकार से यही मांग है कि नई ट्रांसफर पॉलिसी में इन दो वर्गों का भी ध्यान रखा जाए.
वहीं, राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. रनजीत मीणा ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि राजस्थान सरकार नई ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट लेकर आई है. हालांकि, इस तरह के ड्राफ्ट राजस्थान में 30 साल से आ रहे हैं. ऐसे में संशय है कि कहीं ये ट्रांसफर पॉलिसी भी पूर्व की भांति ही सिर्फ लॉलीपॉप तो नहीं. साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार पारदर्शी ट्रांसफर पॉलिसी नहीं लाती है तो शिक्षक लोकसभा चुनाव के बाद बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे.