जोधपुर. एक भूतपूर्व सैनिक की पत्नी के इलाज में कोताही बरतने और कोख में भ्रूण और बाद में महिला की मौत होने के मामले में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बेंच जोधपुर ने मिलिट्री हॉस्पिटल, इसके दो डॉक्टर, दिल्ली स्थित कमांडेंट बेस हॉस्पिटल व सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. पूर्व सैनिक ने गोयल अस्पताल, यहां के एक डॉक्टर और संचेती अस्पताल को भी पार्टी बनाया था, जिनके खिलाफ परिवाद को आयोग ने खारिज कर दिया है.
भूतपूर्व सैनिक ज्ञानप्रकाश चौहान ने आयोग में दिए परिवाद में बताया कि परिवादी की पत्नी सरिता कंवर चौहान ईसीएचएस की सदस्य हाेने के कारण मिलिट्री अस्पताल में इलाज की हकदार थी. सरिता ने अप्रैल 2007 में मिलिट्री अस्पताल में गायनेकोलॉजिस्ट से परामर्श किया, जिसके बाद उसे भर्ती कर लिया गया. परिवाद में बताया कि भर्ती किए जाने के बाद चिकित्सक की लापरवाही और सेवा में कमी के कारण उसकी पत्नी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. स्थिति इतनी बिगड़ी कि वह कार्डियक अरेस्ट के बाद हाइपोक्सिक ब्रेन डैमेज के कारण कोमा में चली गई. उसके भ्रूण की मृत्यु पहले ही हो गई और करीब दो साल तक कोमा में रहने के बाद उसकी पत्नी की मार्च 2009 में मृत्यु हो गई.
आयोग अध्यक्ष न्यायाधिपति देवेन्द्र कच्छवाहा, सदस्य (न्यायिक) निर्मल सिंह मेड तवाल व सदस्य संजय टाक ने परिवाद पर बहस सुनने के बाद फैसला सुनाया. आयोग ने फैसला सुनाते हुए कहा कि परिवादी काे सरिता कंवर का लापरवाही पूर्ण इलाज करने से हुई मृत्यु और उसके भ्रूण की मृत्यु होने से हुई क्षति के कारण हुए मानसिक संताप, मृतका सरिता कंवर के सानिध्य से वंचित रहने एवं संतान सुख से वंचित रहने की एवज में मिलिट्री हॉस्पिटल, इसके दो डॉक्टर, दिल्ली स्थित कमांडेंट बेस हॉस्पिटल व सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर परिवादी को 45 दिन में एक मुश्त राशि 10 लाख रुपए अदा करेंगे.