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नए कानून लागू करवाने में राजस्थान पुलिस सक्षम और तैयार, चौकियों से लेकर पुलिस मुख्यालय तक हुई ट्रेनिंग- डीजीपी - NEW LAWS

1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून को लेकर राजस्थान पुलिस के मुखिया डीजीपी उत्कल रंजन साहू ने कहा है कि नए आपराधिक कानूनों को प्रदेश में लागू करवाने में राजस्थान पुलिस पूरी तरह सक्षम और तैयार है.

देश में 1 जुलाई से नए कानून लागू
देश में 1 जुलाई से नए कानून लागू (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 1, 2024, 7:19 PM IST

नए कानून लागू करवाने में राजस्थान पुलिस सक्षम और तैयार (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान पुलिस के मुखिया डीजीपी उत्कल रंजन साहू ने कहा है कि 1 जुलाई से देशभर में लागू तीनों नए आपराधिक कानूनों को प्रदेश में लागू करवाने में राजस्थान पुलिस पूरी तरह सक्षम और तैयार है. उन्होंने कहा कि इसके लिए पुलिस चौकी से लेकर पुलिस मुख्यालय तक कर्मचारियों-अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि संसद द्वारा जिस मंशा से ये कानून पारित कर लागू किए गए हैं. उसी के अनुरूप राजस्थान पुलिस इन कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है.

डीजीपी साहू ने बताया कि प्रदेश में इन कानूनों को लागू करने के लिए राजस्थान पुलिस के स्तर पर व्यापक तैयारियां की गई हैं. प्रदेश में पुलिस चौकियों से लेकर पुलिस मुख्यालय तक हर स्तर पर पुलिस अधिकारियों, अनुसंधान अधिकारियों और पुलिस कार्मिकों को सघन प्रशिक्षण दिया गया है. कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से इन कानूनों के प्रावधानों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हर स्तर पर पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को दी गई है.

इसे भी पढ़ें- पुराने कानून औपनिवेशिक मानसिकता के प्रतीक, नए आपराधिक कानूनों में न्याय की भावना का समावेश- सीएम - NEW CRIMINAL LAW

पुराने कानून दंड पर, नए कानून न्याय पर आधारित : डीजीपी साहू ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय (बीएसए) साल 1860 में बनी आईपीसी, 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट, वर्ष 1818 में बने और 1973 में संशोधित सीआरपीसी की जगह प्रभावी हो गए हैं. पहले के कानून दंड पर आधारित थे, जबकि नए कानून न्याय के सिद्धांत के आधार पर बनाए गए हैं.

महिलाओं-बच्चों के मामलों में अलग प्रावधान : डीजीपी उत्कल रंजन साहू ने कहा कि तीन नए कानूनों में डिजिटल साक्ष्यों को महत्व देते हुए महिलाओं और बच्चों पर होने वाले अत्याचारों के मामलों को देखते हुए नए प्रावधान जोड़े गए हैं. साथ ही सीनियर सिटीजन और अन्य कमजोर वर्गों को ध्यान रखते हुए कई प्रकार के प्रावधान शामिल किए गए हैं. वहीं, नए कानूनों में अदालत में विचारण के लिए अनुसंधान से लेकर ट्रायल तक समय सीमा भी निर्धारित की गई है.

नए कानून लागू करवाने में राजस्थान पुलिस सक्षम और तैयार (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान पुलिस के मुखिया डीजीपी उत्कल रंजन साहू ने कहा है कि 1 जुलाई से देशभर में लागू तीनों नए आपराधिक कानूनों को प्रदेश में लागू करवाने में राजस्थान पुलिस पूरी तरह सक्षम और तैयार है. उन्होंने कहा कि इसके लिए पुलिस चौकी से लेकर पुलिस मुख्यालय तक कर्मचारियों-अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि संसद द्वारा जिस मंशा से ये कानून पारित कर लागू किए गए हैं. उसी के अनुरूप राजस्थान पुलिस इन कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है.

डीजीपी साहू ने बताया कि प्रदेश में इन कानूनों को लागू करने के लिए राजस्थान पुलिस के स्तर पर व्यापक तैयारियां की गई हैं. प्रदेश में पुलिस चौकियों से लेकर पुलिस मुख्यालय तक हर स्तर पर पुलिस अधिकारियों, अनुसंधान अधिकारियों और पुलिस कार्मिकों को सघन प्रशिक्षण दिया गया है. कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से इन कानूनों के प्रावधानों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हर स्तर पर पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को दी गई है.

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पुराने कानून दंड पर, नए कानून न्याय पर आधारित : डीजीपी साहू ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय (बीएसए) साल 1860 में बनी आईपीसी, 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट, वर्ष 1818 में बने और 1973 में संशोधित सीआरपीसी की जगह प्रभावी हो गए हैं. पहले के कानून दंड पर आधारित थे, जबकि नए कानून न्याय के सिद्धांत के आधार पर बनाए गए हैं.

महिलाओं-बच्चों के मामलों में अलग प्रावधान : डीजीपी उत्कल रंजन साहू ने कहा कि तीन नए कानूनों में डिजिटल साक्ष्यों को महत्व देते हुए महिलाओं और बच्चों पर होने वाले अत्याचारों के मामलों को देखते हुए नए प्रावधान जोड़े गए हैं. साथ ही सीनियर सिटीजन और अन्य कमजोर वर्गों को ध्यान रखते हुए कई प्रकार के प्रावधान शामिल किए गए हैं. वहीं, नए कानूनों में अदालत में विचारण के लिए अनुसंधान से लेकर ट्रायल तक समय सीमा भी निर्धारित की गई है.

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